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जिस ‘नंदिनी’ के लिए मच रहा इतना बवाल, जानिए वो है कौन, कितना बड़ा है साम्राज्य?

नई दिल्ली: इन दिनों कर्नाटक में दूध पर जंग जारी है। अमूल (Amul) ने जैसे ही कर्नाटक (Karnataka) में अपने प्रोडक्ट्स उतारने की बात कही विवाद शुरू हो गया। प्रदेश के लोगों ने अपने लोकल ब्रांड नंदिनी (Nandini) को बचाने के लिए मुहीम छेड़ दी। अमूल बायकॉट की आवाज बुलंद होने लगी। दूध के लिए कर्नाटक में शुरू हुई जंग ने सियासी रंग ले लिया है। लोग अपने घरेलू डेयरी ब्रांड को बचाने के लिए सड़कों पर उतर आएं हैं । आरोप लगा कि अमूल के जरिए कर्नाटक के लोकल दूध ब्रांड नंदिनी को खत्म करने की साजिश हो रही है। नंदिनी को बचाने के लिए सोशल मीडिया पर मुहीम जारी है। सोशल मीडिया पर #savenandini ट्रेंड कर रहा है। जिस नंदिनी के लिए इतना बवाल हो रहा है, उसकी कहानी भी उतनी ही दिलचस्प है।

कैसे हुई नंदिनी की शुरुआत?

नंदिनी कर्नाटक का एक पॉपुलर मिल्क ब्रांड है। कंपनी पर मालिकाना हक कर्नाटक कॉपरेटिव मिल्क प्रोड्यूसर्स फेडरेशन लिमिटेड (KMF) का है। ये देश का दूसरा और और दक्षिण भारत का सबसे बड़ा डेयरी को-ऑपरेटिव है। दक्षिण भारत में नंदिनी डेयरी प्रोडक्शन में सबसे बड़ा रोल निभाती है। इसकी नींव साल 1955 में कोडगू जिले में पहले डेयरी के तौर पर रखी गई। समय के साथ बदलाव होता रहा। साल 1965 के आते-आते दूध की बढ़ती मांग को देखते हुए मिल्क प्रोसेस करने की यूनिट लगाई गई। शुरुआत में इसकी क्षमता 50 हजार लीटर प्रति दिन थी। साल 1974 में कर्नाटक डेयरी डेवलपमेंट प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई, जिसके बाद इसमें काफी बढ़ावा मिला।

कैसे मिला नंदिनी नाम ?

कर्नाटक मिल्क फेडरेशन बनने के बाद डेयरी उत्पाद तेजी से बढ़ने लगा। कंपनी को ब्रांड नेम की जरूरत महसूस होने लगी। काफी सर्वे और रिसर्च के बाद साल 1983 में नंदिनी नाम तय किया गया। पवित्र गाय के नाम पर डेयरी उत्पाद का नाम नंदिनी रखा गया। नंदिनी ब्रांड कर्नाटक का सबसे बड़ा ब्रांड बन गया। इसकी पकड़ 22000 गांवों तक पहुंच गई। 24 लाख से अधिक किसान और पशुपालक नंदिनी के साथ जुड़े हैं। कंपनी रोजाना 84 लाख लीटर दूध खरीदती है । मौजूदा वक्त में कंपनी के पास 65 से अधिक प्रोडक्ट्स हैं, जो बाजार में छाएं हुए हैं।

अमूल Vs नंदिनी

नंदिनी के प्रोडक्ट्स काफी सस्ते होते हैं। अगर अमूल के दूध या दही से इसके प्रोडक्ट्स की तुलना करें तो ये काफी सस्ते हैं। अमूल के एक लीटर टोंड दूध की कीमत 54 रुपये लीटर है तो वहीं नंदिनी मिल्क के प्राइस 39 रुपये है। यानी अमूल से नंदिनी के दूध 15 रुपये सस्ते है। अब दही की बात करें तो नंदिनी दही के एक किलो पैक की कीमत 47 रुपये है, जबकि अमूल की कीमत 66रुपये है। कीमत के अलावा अगर बाकी चीजों में अमूल और नंदिनी की तुलना करें तो वो कुछ इस तरह से है…

नंदिनी के प्रोडक्ट्स सस्ते तो अमूल से खतरा क्यों?

नंदिनी के प्रोडक्ट्स सस्ते होते हैं, उसके पीछे बड़ी वजह सब्सिडी है। दरअसल कर्नाटक सरकार इसपर सब्सिडी देती है, जिसकी वजह से नंदिनी के प्रोडक्ट्स सस्ते होते हैं। साल 2008 में येदियुरप्पा सरकार एक लीटर दूध पर 2 रुपये की सब्सिडी देती थी। इसके बाद जब सिद्धारमैया की सरकार आई तो उसने सब्सिडी को दोगुना कर 4 रुपये कर दिया। साल 2013 में फिर से जब येदियुरप्पा की सरकार आई तो सब्सिडी बढ़ाकर 6 रुपये कर दी गई। ज्यादा सब्सिडी मिलने की वजह से इसके उत्पाद सस्ते होते हैं। आपको बता दें कि बेंगलुरू के 70 फीसदी मिल्क मार्केट पर नंदिनी का कब्जा है।

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