तो क्या रूस से अब नहीं मिलेगा सस्ता तेल? राष्ट्रपति पुतिन की जिद से बढ़ेगी भारत की मुश्किलें

तेल का रिकॉर्ड आयात
मार्च 2023 में भारत ने रोजाना रूस से 1.64 मिलियन बैरल तेल का रिकॉर्ड आयात किया था। रूस लगातार छठे महीने कच्चे तेल का भारत का टॉप सप्लायर रहा है और भारत के तेल आयात का करीब एक तिहाई हिस्सा रहा। अप्रैल में अब तक भारत को कच्चा तेल औसतन 83.96 डॉलर प्रति बैरल की कीमत पर मिल रहा है। भारत और रूस के साथ बातचीत जारी है । रूस की तरफ से होने वाले तेल आयात पर अमेरिका और यूरोप की तरफ से 60 डॉलर प्रति बैरल प्राइस कैप तय किया गया है। ऐसे में भारत बहुत कम कीमत रूस से तेल हासिल कर रहा है। रूस से होने वाला तेल आयात भारत के लिए बड़ी बचत की भी वजह है।
क्या होगा रुपए का विकल्प
अमेरिका की तरफ से रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों का मतलब यह भी है कि भारत रूस से तेल आयात के बाद अमेरिकी डॉलर में पेमेंट नहीं कर सकता है। जबकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भुगतान का पारंपरिक तरीका डॉलर ही है। इसने अब भारतीय नीति निर्माताओं के लिए बड़ी समस्याएं खड़ी कर दी हैं। इसके कई विकल्प तलाशे जा रहे हैं और भुगतान करने का एक तरीका भारतीय रुपये का प्रयोग है। एक विकल्प यह भी है कि पेमेंट किसी तीसरे देश की मुद्रा को भी पेमेंट के तौर पर प्रयोग किया जा सकता है। कुछ ऐसी रिपोर्ट्स आई हैं जिसमें कहा गया है कि भारत और रूस की तरफ से तेल के पेमेंट के तौर पर यूएई की करेंसी दिरहम का भी प्रयोग रहा है।
दिरहम का प्रयोग
इन रिपार्ट्स को लेकर किसी ने भी कोई पुष्टि नहीं की और इन्हें अनौपचारिक माना गया है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की तरफ से फरवरी में आई एक रिपोर्ट में कहा गया था कि भारतीय रिफाइनर दिरहम के यूज कर पेमेंट कर सकती हैं। भारत सरकार की तरफ से इस बात पर कोई टिप्पणी नहीं की गई है। भारत-रूस के संबंधों पर नजर रखने वाले जानकारों की मानें तो भारत असल में दिरहम का प्रयोग कर रहा है। जबकि रूस को इसकी जरूरत नहीं है। उनका कहना है कि यह बहुत ज्यादा समय तक नहीं चलेगा। भारत, तेल समेत रूस से आयात होने वाले रुपए का प्रयोग करने के तरीके तलाश रहा है।