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2030 में विश्वनाथन होंगे CJI!सालों पहले कैसे तय हो जाता है, सुप्रीम कोर्ट में प्रमोशन की बात समझिए

नई दिल्ली : सीजेआई डी. वाई. चन्द्रचूड़ की अगुआई वाली 5 सदस्यों की कलीजियम ने केंद्र के पास सीनियर ऐडवोकेट के. वी. विश्वनाथन को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाने की सिफारिश की है। उनके अलावा आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा को भी शीर्ष अदालत में जज बनाने की सिफारिश की है। अगर विश्वनाथन के नाम को मंजूरी मिलती है तो वह 12 अगस्त 2030 को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बन सकते हैं। तब वह सीजेआई के तौर पर जस्टिस जे. बी. पारदीवाला के उत्तराधिकारी हो सकते हैं और उनका कार्यकाल 9 महीने का होगा।

दूसरी तरफ, जस्टिस मिश्रा की नियुक्ति से पहली बार सुप्रीम कोर्ट में छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित होगा। छत्तीसगढ़ को राज्य बने करीब 23 साल हो गए हैं लेकिन अबतक सुप्रीम कोर्ट में राज्य से कोई जज नहीं रहा है।

जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और एम. आर. शाह के रिटायरमेंट के बाद सुप्रीम कोर्ट में 2 वैकेंसी हुई है। इसके अगले ही दिन कलीजियम ने केंद्र सरकार को जज के लिए 2 नामों की सिफारिश भेजी है।

सालों पहले कैसे तय हो जाता है सीजेआई का नाम, जानिए
सुप्रीम कोर्ट का कोई जज सीजेआई बन सकेगा या नहीं, ये उनके शपथ के साथ ही तय हो जाता है। सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों के रिटायरमेंट की उम्र 65 वर्ष होती है। जब कोई सीजेआई रिटायर होता है तो उस समय जो जज सबसे वरिष्ठ होते हैं, वह सीजेआई बनते हैं। सुप्रीम कोर्ट के जजों की शपथ के क्रम में भी वरिष्ठता का ध्यान रखा जाता है। जो वरिष्ठता में सबसे ऊपर होते हैं उन्हें सबसे पहले शपथ दिलाई जाती है। इसलिए एक ही दिन शपथ लेने वाले सुप्रीम कोर्ट के जजों में भी वह जज सीनियर माने जाते हैं जो पहले शपथ लिये होते हैं। उदाहरण के तौर पर जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस जस्ती चेलमेश्वर ने 10 अक्टूबर 2011 को एक ही दिन सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में शपथ ली थी। 27 अगस्त 2017 को जब तत्कालीन सीजेआई जे. एस. खेहर रिटायर हुए तो जस्टिस दीपक मिश्रा सीजेआई बने। इसकी वजह ये थी कि उन्होंने जस्टिस चेलमेश्वर से पहले सुप्रीम कोर्ट के जज की शपथ ली थी।

…तो 2021 में ही केंद्र को भेजा जा चुका होता विश्वनाथन का नाम
पिछले साल अक्टूबर में ही सीनियर ऐडवोकेट के. वी. विश्वनाथन और कुछ अन्य के नाम पर तत्कालीन सीजेआई यू. यू. ललित की अगुआई वाली सुप्रीम कोर्ट कलीजियम की मुहर लगने वाली थी। लेकिन ललित ने प्रस्ताव पर खुली चर्चा के बजाय कलीजियम सदस्यों के पास सीधे प्रस्ताव भेजने का रास्ता चुना। तब जस्टिस चंद्रचूड़ और एस. ए. नजीर ने इस पर आपत्ति जताई जबकि जस्टिस एस. के. कौल और के. एम. जोसेफ ने ललित का समर्थन किया था। कलीजियम सदस्यों में ही प्रक्रिया को लेकर पैदा हुए गतिरोध की वजह से विश्वनाथन और अन्य नामों को मंजूरी नहीं मिल पाई थी।

कलीजियम ने विश्वनाथन और जस्टिस मिश्रा के अनुभव और ज्ञान का किया जिक्र
मंगलवार को सीजेआई चन्द्रचूड़ की अगुआई वाली और जस्टिस कौल, जोसेफ, अजय रस्तोगी और संजीव खन्ना के सदस्यता वाली कलीजियम ने विश्वनाथन और आंध्र प्रदेश के चीफ जस्टिस पी. के. मिश्रा के नाम की सिफारिश का प्रस्ताव पास किया। प्रस्ताव में दोनों की क्षमता, निष्ठा, अनुभव और ज्ञान का खास जिक्र किया गया है।

कलीजियम ने कहा है कि विश्वनाथन की नियुक्ति से सुप्रीम कोर्ट में बार का प्रतिनिधित्व बढ़ेगा। जस्टिस पी. एस. नरसिम्हा बार से ही हाई कोर्ट जज के तौर पर नियुक्त हुए थे। कलीजियम ने कहा, ‘विश्वनाथन सुप्रीम कोर्ट के बार के प्रतिष्ठित सदस्य हैं। उनके व्यापक अनुभव और गहरे ज्ञान से सुप्रीम कोर्ट को अहम फायदा पहुंचेगा।’

वरिष्ठता सूची में पीछे थे जस्टिस प्रशांत मिश्रा लेकिन इस वजह से मिली तरजीह
विश्वनाथ को 2009 में सीनियर ऐडवोकेट का दर्जा मिला था। कलीजियम ने अपने प्रस्ताव में कहा है, ‘विश्वनाथन के पास कानून की गहरी समझ है और वह न्यायिक बिरादरी में अपनी ईमानदारी के लिए जाने जाते हैं।’

जस्टिस मिश्रा 10 दिसंबर 2009 में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के जज बने थे। बाद में 13 अक्टूबर 2021 को आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बने। हालांकि, उनका नाम जजों की ऑल-इंडिया सीनियॉरिटी लिस्ट में 21वें नबर पर था लेकिन सुप्रीम कोर्ट में छत्तीसगढ़ का कोई प्रतिनिधित्व नहीं होना उनके पक्ष में गया।

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