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जब हवा में जलकर खाक हो गए थे 35 लोग, हिंडनबर्ग के नाम में ही छुपी है मौत, जान लीजिए हिटलर के दौर की कहानी

नई दिल्ली : हिंडनबर्ग (Hindenburg) एक ऐसा बम बन गया है कि जिस पर भी गिरता है, परखच्चे उड़ा देता है। अडानी ग्रुप (Adani Group) पर एक रिपोर्ट जारी कर इस शॉर्ट सेलर ने कोहराम मचा दिया था। ग्रुप के शेयरों (Adani Group Shares) में ऐसी बिकवाली हुई कि कुछ ही दिनों में 140 अरब डॉलर स्वाहा हो गए। इस रिपोर्ट को 2 महीने हो चुके हैं और अब हिंडनबर्ग ने एक और बम गिरा दिया है। इस बार निशाने पर है टेक कंपनी ब्लाक (Block)। जैक डॉर्सी (Jack Dorsey) की इस कंपनी पर हिंडनबर्ग ने कई आरोप लगाए हैं। इससे एक ही झटके में कंपनी का शेयर (Block Share) 72 रुपये से गिरकर सीधा 59 रुपये पर आ गया। दरअसल हिंडनबर्ग का यह घातक रूप इसके नाम में भी छुपा है। हिंडनबर्ग नाम ही एक तबाही की याद दिलाता है। ऐसी तबाही, जिसमें कई लोग हवा में ही राख हो गए थे। आइए जानते हैं कि यह क्या कहानी है।

हिटलर के दौर से जुड़ा है इतिहास

हिंडनबर्ग के नाम का इतिहास हिटलर के दौर से जुड़ा है। दरअसल, हिंडनबर्ग एक एयरशिप (Hindenburg Airship) था। इसे आसमान का टाइटेनिक भी कहा जाता है। बात साल 1937 की है, जब जर्मनी में हिटलर (Hitler) का शासन था। अमेरिका के न्यूजर्सी में हिंडनबर्ग एयरशिप को लोग जमीन से देख रहे थे। अचानक एक तेज धमाका हुआ और हिंडनबर्ग एयरशिप में आग लग गई। सब कुछ स्वाहा हो चुका था। इस घटना में सिर्फ 30 सेकेंड में 36 लोग जिंदा जल गए थे।

जब तेज तूफान में फंस गया हिंडनबर्ग

हिंडनबर्ग एयरशिप ने 3 मई 1937 को जर्मनी के फ्रैंकफर्ट से अमेरिका के न्यू जर्सी के लिए उड़ान भरी। एयरशिप के न्यू जर्सी पहुंचने पर मौसम बिगड़ गया था। एयरशिप लैंड नहीं कर पा रहा था। वैसे भी एयरशिप की लैंडिंग बहुत मुश्किल भरी होती थी। कुछ ही देर में हवा का रुख एयरशिप के खिलाफ होने लगा। एयरशिप के चालक दल के पास दो विकल्प थे। पहला यह कि धीरे-धीरे लैंडिंग साइट की तरफ बढ़ने की कोशिश की जाए, इसमें काफी टाइम लगता। दूसरा था एक शार्प मोड़ लेते हुए लैंडिंग साइट पर पहुचा जाए। एयरशिप के पायलट ने दूसरे रास्ते को चुना। लेकिन शार्प मोड़ लेने के चलते एयरशिप के पिछले हिस्से के कुछ स्टील के तार टूट गए। इससे एक गैस चैंबर को नुकसान पहुंच गया और गैस लीक होने लगी। अभी एयरशिप लैंडिंग साइट तक पहुंचा ही नहीं था कि उसका पिछला हिस्सा नीचे की तरफ झुकने लगा। जबकि लैंडिंग के वक्त एयरशिप को बैलेंस रखना होता है। बैंलेंस करने के लिए पायलट ने पिछले हिस्से से तीन बार पानी गिराने का आदेश दिया। साथ ही सारे क्रू मेंबर्स को एयरशिप में आगे की ओर जाने को कहा गया।

एयरशिप से नीचे कूदने लगे लोग

एयरशिप को लैंड कराने की प्रक्रिया जटिल होती है। एयरशिप को लैंड कराते समय कुछ रस्सियां नीचे फेंकी जाती थीं। इन रस्सियों से एयरशिप को नीचे खींचा जाता था। हिंडनबर्ग एयरशिप को भी रस्सियों के सहारे नीचे खींचा जा रहा था। उसी वक्त एयरशिप के पिछले भाग में आग लग गई। एयरशिप में काफी सारी हाइड्रोजन गैस भरी हुई थी। इसने तुरंत आग पकड ली और कुछ ही देर में एयरशिप आग का गोला बन गया। आग लगने पर कई लोग डर के चलते खिड़कियां तोड़कर नीचे कूद गए। इस दौरान सिर्फ 30-35 सेकेंड में ही 36 लोगों की जान चली गई। ऐसा कहा जाता है कि तूफान में बिजली कड़कने से एयरशिप का बाहरी हिस्सा और अंदर के ढांचे के बीच इलेक्ट्रिक चार्ज पैदा हुआ था। इसके चलते आग लगी। इस हादसे ने एयरशिप इंडस्ट्री को बर्बाद कर दिया था। हिंडनबर्ग हादसे के बाद लोगों का एयरशिप से भरोसा उठ गया।

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