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जिसका नाम सुनते ही कांपता है Pakistan, ऐसे Ajit Doval को डर कब लगता है?

नई दिल्ली: भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के बारे में कहा जाता है कि उनकी चर्चा होने पर पाकिस्तान के हुक्मरानों के पसीने छूटने लगते हैं। वह 7 साल पाकिस्तान में जासूस रहे। उनका नाम जेहन में आते ही एक जासूस, जांबाज, तेजतर्रार और इंटेलिजेंट अफसर की छवि उभरती है। तो क्या डोभाल को कभी डर नहीं लगता है? सोशल मीडिया पर 36 सेकंड का एक वीडियो वायरल हो रहा है। इसमें वह हंसते हुए कहते हैं कि खतरा तो हर आदमी को लगता है, डर तो हर शख्स को लगता है। आगे बढ़ने से पहले यह जान लीजिए कि इतिहास में पहली बार किसी पुलिस अधिकारी को एक मिलिट्री ओहदे का वीरता पुरस्कार मिला था। IPS अधिकारी डोभाल को कीर्ति चक्र मिला है। शांति काल में दिया जाने वाला यह दूसरा सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है। भारत के ‘जेम्स बॉन्ड’ कहे जाने वाले डोभाल नए मिशन के बारे में कहते हैं कि नया ऑपरेशन, नया ऑब्जेक्टिव… ये सोचो कि आज तक मैंने कोई ऑपरेशन किया ही नहीं है। रात गई तो बात गई। जो बीत गया वो खत्म हो गया। कुछ नया सोचो। एक इनोवेशन के बाद तैयारी करिए अगले इनोवेशन की।


भारत के Spy Master अजीत डोभाल ने एक इंटरव्यू में बताया था कि कैसे इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1988 में ऐसी स्थिति बनने लगी थी कि आतंकी वारदात करके स्वर्ण मंदिर में चले जाते थे। आतंकियों को भरोसा हो गया था कि इतना जबर्दस्त रिएक्शन हुआ है कि अब भारत सरकार किसी ऑपरेशन के बारे में सोच भी नहीं सकती है। बिना गोली चलाए या खून बहाए आतंकियों से निपटना था। इसके बाद कैसे आतंकियों का हितैषी बनकर उग्रवादी की वेशभूषा में डोभाल अंदर घुसे और उनका सरेंडर कराया, वह अपने आप में मिसाल और जासूसी का उत्कृष्ट उदाहरण है।

वायरल हो रहा वीडियो EPIC चैनल को दिए इंटरव्यू का एक हिस्सा है। इसमें डोभाल से पूछा गया कि क्या उन्हें डर लगता है? भारत के बॉन्ड कहते हैं कि खतरा सभी को लगता है। इसकी एक टाइमिंग है। कुछ लोगों को घटना से पहले लगता है। कुछ लोगों को घटना के वक्त लगता है और कुछ को घटना के बाद लगता है। वह मुस्कुराते हुए कहते हैं, ‘मैं थर्ड कैटगरी वाला आदमी हूं। घटना से पहले मेरा दिमाग शायद उस बात पर नहीं रहता है कि इसमें मेरे लिए डेंजर कितना है। जब हो रही होती है तो सारा माइंड फोकस्ड रहता है कि आप कर क्या रहे हैं। जब सब कुछ हो जाता है। आप घर आ जाते हैं। सिगरेट पीने लगते हैं फिर लगता है यार क्या हो सकता था।’ यह कहकर डोभाल ठहाका लगाकर हंस पड़ते हैं।


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