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क्या बजट में मिलेगी सस्ते सोने की सौगात? वित्त मंत्री कर सकती हैं यह बड़ा ऐलान

नई दिल्ली : आम बजट में गोल्ड (Gold) से जुड़ी बड़ी घोषणा हो सकती है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) बुधवार, 1 फरवरी को बजट 2023 (Budget 2023) पेश करेंगी। साल 2024 में होने वाले आम चुनावों से पहले यह मौजूदा सरकार का आखिरी पूर्ण बजट होगा। सरकार इस बजट में सोने पर आयात शुल्क (Import Duty on Gold) कम करने की घोषणा कर सकती है। सरकार ने जुलाई 2022 में सोने पर आयात शुल्क को 7.5 फीसदी से बढ़ाकर 12.5 कर दिया था। साथ ही 2.5% एग्रीकल्चर इन्फ्रा सेस जोड़कर कुल शुल्क को 15% कर दिया गया। इससे जुलरी इंडस्ट्री (Jewelery Industry) को नुकसान पहुंचा है। आयात शुल्क बढ़ने से भारतीय आभूषण उद्योग के लिए इनपुट लागत बढ़ गई है।

9 फीसदी पर लाया जाए आयात शुल्क

कामा जूलरी के एमडी कॉलिन शाह ने कहा है कि सरकार को बजट में सोने पर आयात शुल्क को घटाकर 9 फीसदी पर ले आना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘आभूषण उद्योग को सरकार से विशेष ध्यान की आवश्यकता है। यह एक बहुत बड़ा निर्यातक है, रोजगार के बड़े अवसर पैदा करता है, साथ ही अत्यधिक विनियमित है।’

घटा है गोल्ड जूलरी का निर्यात

दिसंबर 2022 में गोल्ड जूलरी (प्लेन और स्टडेड) का कुल सकल निर्यात 4.55% घटकर 4,635.64 करोड़ रुपये रहा। जबकि पिछले साल इसी अवधि के लिए यह 4,856.47 करोड़ रुपये था। दिसंबर 2022 में सभी प्रकार की स्टडेड गोल्ड जूलरी का कुल सकल निर्यात 21.95% घटकर 2,265.90 करोड़ रुपये रहा। यह दिसंबर 2021 में 2,903.01 करोड़ रुपये था।

ज्यादा इंपोर्ट डयूटी के ये हैं नुकसान

1. अधिक आयात शुल्क ने अनौपचारिक आयात को प्रोत्साहन बढ़ा दिया है। इसके परिणामस्वरूप तस्करी के मामलों में भारी उछाल आया है।

2. सोने की तुलना में कम आयात शुल्क का लाभ लेने के लिए प्लेटिनम मिश्र धातु के आयात जैसे अन्य माध्यमों से शुल्क चोरी की घटनाएं भी हुई हैं। सितंबर और अक्टूबर 2022 के दौरान लगभग 25 टन ऐसे आयात दर्ज किए गए।

3. सोना पिछले कुछ महीनों से लगातार डिस्काउंट पर कारोबार कर रहा है। दिसंबर 2022 में डिस्काउंट का औसत $30 था और जुलाई 2022 से यह औसत लगभग $15 था।

4. कीमतों में छूट का फायदा केवल नकद और असंगठित व्यापार करने वालों को हो रहा है। जबकि यह संगठित खिलाड़ियों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है, क्योंकि वे व्यापक मूल्य अंतर के कारण अनौपचारिक बाजार के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते।

5. सोने की रिफाइनरीज को मिलने वाले शुल्क के अंतर के बावजूद वे अनौपचारिक बाजार में कीमतों के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते हैं। इसने कई भारतीय रिफाइनरीज को अव्यवहारिक बना दिया है।

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