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खराब प्रोडक्ट बढ़ा रहा है आपका बिजली का खर्च, 30 फीसदी ज्यादा आता है बिल

नई दिल्ली: जैसे-जैसे लोगों की आमदनी (Income) बढ़ी है, उनका जीवन स्तर (Standard of Living) भी उठ रहा है। इसी के साथ लोगों के घरों में जीवन को आसान बनाने के लिए तमात तरह की मशीनों (Machine) का प्रवेश हो रहा है। यही हाल फैक्ट्रियों का भी है। लोगों की आमदनी बढ़ी है तो वे ज्यादा सामान खरीद रहे हैं। इसलिए फैक्ट्रियों में ज्यादा प्रोडक्शन (Factory Production) हो रहा है। लेकिन आपको मालूम है कि घर हो, दफ्तर हो चाहे फैक्ट्री। सब जगह हम औसतन 30 फीसदी ज्यादा बिजली की खपत करते हैं। यदि एनर्जी एफिसिएंट अप्लायेंस या मशीनों का यूज किया जाए तो यह फिजूलखर्ची रोकी जा सकती है।

ज्यादा बिजली खपत के पीछे क्या है कारण

एबीबी इंडिया लिमिटेड (ABB India Limited) के कंट्री हेड और मैनेजिंग डाइरेक्टर संजीव शर्मा बताते हैं कि भारत में प्रोडक्शन महंगा पड़ता है। यह इसलिए महंगा पड़ता है क्योंकि यहां एनर्जी अनएफिशिएंट मशीनों का यूज होता है। पुराने तकनीक के मोटर के सहारे काम हो रहे हैं जो बिजली की खपत ज्यादा करती है। उनका कहना है कि यहां के फैक्ट्री ऑनर कुछ डॉलर बचाने के लिए वैसी मशीनें खरीद लेते हैं जो ज्यादा बिजली खाती है। यही हाल घरेलू कंज्यूमर्स का है। वे कुछ हजार बचाने के लिए ज्यादा बिजली खपत करने वाले घरेलू उपकरण खरीद लेते हैं।

क्यों बिजली की खपत पर लगाम जरूरी है

भारत में इस समय बिजली की डिमांड तेजी से बढ़ रही है। इसी हिसाब से बिजली का प्रोडक्शन भी बढ़ रहा है। लेकिन दिक्कत यह है कि अपने यहां 70 फीसदी से भी ज्यादा बिजली कोयले (Coal) से बनाई जाती है। अपने यहां बढ़िया कोयला ज्यादा है नहीं। इसलिए विदेशों से काफी कोयले का आयात होता है। यह महंगा पड़ता है। इससे देश का विदेशी मुद्रा भी काफी खर्च हो जाता है। साथ ही कोयले से बिजली बनाने में काबन इमिशन बढ़ता है, वह अलग। इसलिए सरकार भी चाहती है कि लोग एनर्जी एफिशिएंट मशीनों या उपकरणों का यूज करें।

अब फैक्ट्री ही नहीं, घर और दफ्तर भी हो रहे हैं स्मार्ट

एबीबी के भारतीय प्रमुख संजीव शर्मा का कहना है कि अब लोग जागरूक हो रहे हैं। आपको ऐसे ढेरों लोग मिल जाएंगे जो कि घरों में एनर्जी एफिशिएंट प्रोडक्ट यूज कर रहे हैं। दफ्तरों को स्मार्ट बनाया जा रहा है। वहां सेंट्रलाइज कूलिंग सिस्टम तो लगा है, लेकिन वहां सेंसर भी लगा है। यदि वहां ज्यादा व्यक्ति बैठे हैं तो एसी तेज चलेगा। यदि कम व्यक्ति हैं तो वह धीमा हो जाएगा। यही हाल लाइट सिस्टम का भी है। यदि कमरे में कोई नहीं है तो लाइट अपने आप बंद हो जाएगा।

शुरू में खर्च ज्यादा लेकिन..

शर्मा कहते हैं कि भारतीय फैक्ट्री ऑनर को भी जागरूक होना पड़ेगा। उन्हें पुरानी मशीनों की जगह नई मशीनों पर शिफ्ट होना होगा। वैसी मशीनों और मोटरों का उपयोग करना होगा जो कि एजर्नी एफिशिएंट हो। हालांकि इसमें शुरूआत में तो ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ता है। लेकिन यह पैसे तीन से पांच साल में वसूल हो जाते हैं। उन्होंने पुणे के जेडब्ल्यू मैरिएट होटल का उदाहरण दिया। उस होटल में जब एनर्जी एफिशिएंट सिस्टम लगाया गया तो उसका बिजली का बिल 35 फीसदी तक कम हो गया।

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