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बड़बोले’ इमरान या बाढ़ की आफत… पाकिस्तान को किसने ज्यादा डुबोया? भारत के लिए खुशखबरी या खतरा?

इस्लामाबाद : वर्ल्ड बैंक पाकिस्तान को दक्षिण एशिया की ‘सबसे कमजोर अर्थव्यवस्था’ मानता है। मुल्क पिछले कई महीनों से रेकॉर्ड तोड़ महंगाई का सामना कर रहा है। पाकिस्तान के पास विदेशी मुद्रा भंडार लगातार कम होता जा रहा है। रिपोर्ट्स दावा कर रही हैं कि पाकिस्तान के पास सिर्फ दो से तीन हफ्तों तक आयात को बनाए रखने के पैसे बचे हैं। आंकड़े बताते हैं कि महंगाई दर दोगुनी हो चुकी है। खाने-पीने की चीजों में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। इस मामले में महंगाई दर 35 फीसदी चढ़ गई है। पाकिस्तान की मुद्रा 27 जनवरी को डॉलर के मुकाबले 262 रुपए पर 20 साल के सबसे निचले स्तर पर आ गई थी। सवाल ये हैं कि आखिर किन वजहों से पाकिस्तान इन हालात में पहुंच गया और क्या भारत को इससे चिंतित होना चाहिए?

विशेषज्ञों का कहना है कि अपने सहयोगी देशों और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से सहायता और अनुदान पर निर्भर ‘राजनीतिक अर्थव्यवस्था’ चलाने से पाकिस्तान के वित्तीय स्वास्थ्य पर असर पड़ा है। सरकारों पर कर को फैलाने और राजस्व के स्रोतों को बढ़ाने की दिशा में कम प्रयास करने के आरोप लगाए गए हैं। इसके अलावा भारी सब्सिडी वाले बिजली बिल, दक्षिण एशिया में सबसे सस्ता पेट्रोल और डीजल बेचने वाले पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान हुआ। पिछले दो दशकों के आंकड़े बताते हैं कि 2004 में राजस्व घाटा 2.25 बिलियन डॉलर था। 2019 में यह 25.31 बिलियन डॉलर के शिखर पर पहुंच गया।

इमरान खान ने मुल्क को कितना डुबोया?

पाकिस्तान की मौजूदा शहबाज सरकार और कई विश्लेषक पड़ोसी मुल्क की बदहाली के लिए पिछली इमरान सरकार को जिम्मेदार मानते हैं। वित्त मंत्री इशाक डार ने 28 जनवरी को इस्लामाबाद में मीडियाकर्मियों से कहा कि इमरान का आर्थिक कुप्रबंधन ‘गंभीर वित्तीय संकट, मुद्रास्फीति, डॉलर और पाकिस्तानी रुपए में बड़े अंतर और भारी कर्ज’ का कारण बना। खान के प्रधानमंत्री चुने जाने से पहले वित्त वर्ष-18 में मुद्रास्फीति औसतन 3.93 प्रतिशत थी। एक साल बाद 2019 में यह बढ़कर 10.58 प्रतिशत हो गई। 2022 में यह 12.2 प्रतिशत दर्ज की गई। आईएमएफ से मदद मांगने में देरी के लिए भी इमरान की आलोचना की जाती है।

बाढ़ ने किया 3.3 करोड़ लोगों को विस्थापित

पाकिस्तान में पिछले साल जुलाई और सितंबर के बीच मानसून के दौरान भयावह बाढ़ आई, जिसने अर्थव्यवस्था को सबसे गहरी चोट पहुंचाई। अक्टूबर के वर्ल्ड बैंक के आंकड़े बताते हैं कि बाढ़ ने 1,739 लोगों की जान ली और 40 अरब डॉलर के इन्फ्रास्ट्रक्चर को नष्ट कर दिया। बाढ़ ने 80 लाख एकड़ से अधिक फसलों को नष्ट कर दिया और 3.3 करोड़ लोगों को विस्थापित कर दिया। पाकिस्तान का संकट श्रीलंका की याद दिलाता है। 2022 के मध्य में, श्रीलंका की अर्थव्यवस्था का पूरी तरह पतन हो गया और देश का विदेशी मुद्रा भंडार खाली हो गया था। विदेशी कर्ज के बोझ से पैदा हुए आर्थिक संकट ने राजनीतिक अस्थिरता को भी जन्म दिया था।

भारत की ओर देख रहे शहबाज

पाकिस्तान के संकट पर फिलहाल भारत ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि शहबाज शरीफ परोक्ष रूप से भारत से आर्थिक सहयोग मांग रहे हैं। पिछले दिनों उन्होंने कहा था कि पिछले सात दशकों में दोनों देशों के बीच युद्ध से सिर्फ आर्थिक नुकसान हुआ है। आर्थिक अस्थिरता का मतलब है कि पाकिस्तान के पास अब भारत-विरोधी गतिविधियों के लिए संसाधनों का अभाव होगा। हालांकि भारत में कुछ विश्लेषक पाकिस्तान की चरमराती अर्थव्यवस्था को भारत के लिए गंभीर चिंता का विषय मानते हैं और महसूस करते हैं कि इसके रणनीतिक और सुरक्षा मायने हो सकते हैं।

भारत के लिए क्यों चिंताजनक पाकिस्तान संकट?

न्यूज वेबसाइट मनीकंट्रोल से बात करते हुए एक स्वतंत्र शोधकर्ता सौरीश घोष ने कहा कि अगर पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था पूरी तरह डूब जाती है तो इस बात की संभावना है कि भारत को शरणार्थी संकट का सामना करना पड़ सकता है। अगर पाकिस्तान एक मुल्क के रूप में विफल हो गया तो देश के भीतर आतंकी नेटवर्क का प्रभाव बढ़ सकता है और इससे भारतीय हितों को नुकसान पहुंच सकता है। उन्होंने कहा कि श्रीलंका और पाकिस्तान दोनों आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं। ऐसे में सार्क (SAARC) अपना महत्व खो देगा और पाकिस्तान को बचाने के लिए चीन आगे आ सकता है।

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