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हेल्थ हो या लाइफ, सभी को सस्ते में इंश्योरेंस! बजट में मिल सकती है यह सौगात

नई दिल्ली : एक फरवरी को आने वाले बजट (Budget 2023) से बीमा सेक्टर (Insurance Sector) को बहुत उम्मीदें हैं। यह सेक्टर खासकर हेल्थ इंश्योरेंस (Health Insurance) पर लगाए गए 18 फीसदी GST में कटौती की उम्मीद कर रहा है। बीमा सेक्टर विशेषज्ञों का कहना है कि अगर सरकार हेल्थ इंश्योरेंस पर लगाए जीएसटी में कटौती करती है तो उनके लिए बड़ी राहत हो सकती है। अगर आगामी बजट में वित्त मंत्री स्वास्थ्य बीमा और जीवन बीमा पर जीएसटी दर को घटाकर 5 फीसदी करती है तो यह लोगों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) एक फरवरी को आम बजट पेश करेंगी। यह अगले साल होने वाले आम चुनावों से पहले मौजूदा सरकार का आखिरी पूर्ण बजट होगा।

आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना हो सभी के लिए

लोगों को उम्मीद है कि प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रॉजेक्ट आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना को भी मामूली प्रीमियम के साथ आम जनता के लिए खोला जा सकता है। 2018 में शुरू की गई आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना को लेकर शुरुआती दौर में ही अनुमान जताया जा रहा था कि अगले कुछ वर्षों में सरकार इस योजना को जन सामान्य के लिए भी शुरू कर सकती है। इसके लिए लोगों को सामान्य प्रीमियम भरना होगा, जिस तरह केंद्र सरकार ने 12 रुपये मासिक प्रीमियम के साथ दुर्घटना बीमा शुरू किया था, उसी तरह से स्वास्थ्य बीमा को लेकर भी लोगों को उम्मीदें हैं। अभी तक यह योजना फ्री है और वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को ही उपलब्ध है। पिछले 3 वर्षों में सरकार ने इसमें सरकारी हेल्थ सेक्टर के कर्मचारियों और श्रमिक वर्ग को भी शामिल किया है।

कम प्रीमियम और ज्यादा हों सुविधाएं

बाजार में जो हेल्थ पॉलिसीज हैं, उनमें अधिकांश में ओपीडी कवर नहीं है। यदि कोई आवेदक ओपीडी कवर भी लेना चाहता है तो उसे 5 से 7 हजार रुपये अतिरिक्त प्रीमियम देना पड़ता है। अतिरिक्त प्रीमियम भरने पर भी कई कंपनियां ओपीडी कवर नहीं दे रहीं। बीते कुछ वर्षों में हेल्थ पॉलिसी भी महंगी हुई हैं, जो पॉलिसी पहले 5 लाख रुपये और परिवार के 3 सदस्यों को महज 14 हजार रुपये के वार्षिक प्रीमियम पर कवर देती थीं, वही पॉलिसी अब 18 हजार रुपये तक पहुंच गई है। लोगों को उम्मीद है कि सरकार हेल्थ पॉलिसियों के प्रीमियम को कम करके सुविधाओं को और ज्यादा बढ़ाएगी।

क्या कहते हैं पॉलिसी धारक

हेल्थ पॉलिसी में बहुत सी शर्तें छिपी होती हैं, जिनका खुलासा जरूरत पड़ने पर ही किया जाता है। यह पॉलिसी धारक के साथ धोखा होता है। वहीं, सरकार को चाहिए कि वह हेल्थ इंश्योरेंस और लाइफ इंश्योरेंस से GST हटा दे। इससे आम लोगों को काफी राहत मिलेगी। -उदयन गर्ग, पॉलिसी धारक

मैंने 14 हजार रुपये से पॉलिसी शुरू की थी और अब 21 हजार रुपये प्रीमियम जा रहा है। इसके बावजूद इंश्योरेंस कंपनी ओपीडी कवर नहीं दे रही। मैं ओपीडी कवर के लिए और ज्यादा प्रीमियम देने को तैयार हूं, लेकिन कंपनी के एजेंट इससे इनकार कर देते हैं। -राकेश कुमार, पॉलिसी धारक

हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेते समय एजेंट ने कैशलेस का दावा किया था, लेकिन जब जरूरत पड़ी तब पता चला कि 15 प्रतिशत अपने पास से देना होगा। इसके अलावा ऑपरेशन के लिए कई जरूरी सुविधाओं का भी पॉलिसी में कवर नहीं था। यह ग्राहक के साथ धोखा है। सरकार इस पर सख्ती करे। -विजय कुमार, पॉलिसी धारक

हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी पॉलिसी देते समय सभी शर्तों का खुलासा करती है। ग्राहक को पॉलिसी के लाभ और हानि बताई जाती है। पूरी तरह से समझने के बाद ही ग्राहक अपनी जेब के अनुसार पॉलिसी लेता है। कंपनी सभी तरह की पॉलिसी देती है। ज्यादा सुविधाओं के लिए ज्यादा प्रीमियम देना होता है। -राहुल गर्ग, पॉलिसी एजेंट

मुझे परिवार के 4 सदस्यों के लिए हेल्थ पॉलिसी चाहिए, लेकिन 40 वर्ष की आयु के बाद पॉलिसी का प्रीमियम बहुत ज्यादा है, जिसे मैं अफॉर्ड नहीं कर सकता। सरकार जीएसटी कम कर इंश्यारेंस पॉलिसी लेने वालों को राहत दे या फिर आयुष्मान योजना को जनसामान्य के लिए लागू करे, ताकि कम प्रीमियम हो और 5 लाख रुपये के हेल्थ इंश्योरेंस में सभी तरह के कवर हों। -सूरज सिंह, प्राइवेट जॉब

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