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भारत संग दोस्‍ती से पहले तालिबान ने बाजवा से ली थी मंजूरी, पाकिस्‍तान ने ‘लालच’ में दिया साथ, दावा

काबुल: अफगानिस्‍तान में तालिबान के सत्‍ता में आने के बाद भारत के साथ रिश्‍ते अब एक बार फिर से सुधरते दिख रहे हैं। भारत ने अपने दूतावास के एक दल को फिर से काबुल भेज दिया है। यही नहीं भारत ने अफगानिस्‍तान को कई टन गेहूं भेजा है। इसके अलावा भारत फिर से अफगानिस्‍तान को मानवीय मदद दे रहा है। इस बीच अफगानिस्‍तान पर आई एक ताजा किताब में दावा किया गया है कि तालिबान ने भारत के साथ रिश्‍ते सुधारने को लेकर बड़ा दावा किया गया है। इसमें कहा गया है कि भारतीय राजनयिकों को फिर से बुलाने से पहले तालिबान ने पाकिस्‍तान के तत्‍कालीन आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा के साथ बैठक की थी।


किताब ‘द रिटर्न ऑफ द तालिबान’ के लेखक हसन अब्‍बास हैं जो वॉशिंगटन में पढ़ाते हैं। पाकिस्‍तानी अखबार डॉन ने वॉशिंगटन में स्थित वरिष्‍ठ शोधकर्ता मार्विन जी वेइनबौम के हवाले से कहा कि तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्‍ताकी ने बाजवा के साथ एक लंबी बैठक की थी। इसके बाद ही तालिबान ने भारत से राजनयिकों और तकनीकी स्‍टाफ को फिर से भेजने के लिए अनुरोध किया था। इस किताब में यह बताया गया है कि किस तरह से सत्‍ता में आने के बाद तालिबान को अपनी दकियानूसी सोच को बदलने के लिए संघर्ष करना पड़ा।


पाकिस्‍तान ने इस लालच में दी तालिबान को मंजूरी

किताब में हसन अब्‍बास लिखते हैं कि काबुल में भारत की वापसी संभव नहीं होती अगर पाकिस्‍तान ने मदद नहीं किया होता। उन्‍होंने कहा कि पाकिस्‍तान ने इसको मंजूरी इसलिए दी ताकि इसके जरिए तालिबान की नई नवेली सरकार को कुछ आर्थिक मदद दी जा सके। उन्‍होंने कहा कि तालिबान की तरह से ही पाकिस्‍तान किसी भी तरह से तालिबानी आतंकियों को आर्थिक मदद दिलाना चाहता था ताकि अफगानिस्‍तान में उनकी सरकार चल सके। किताब में यह भी दावा किया गया है कि तालिबानी इसलिए भारत के साथ रिश्‍ते सुधारना चाहते थे कि ताकि उन्‍हें अंतरराष्‍ट्रीय वैधानिकता और मान्‍यता मिल सके।


इस किताब में यह भी कहा गया है कि रूस और चीन के विपरीत भारत ने तालिबान राज आने के बाद अफगानिस्‍तान से अपने राजनयिक रिश्‍ते खत्‍म कर लिए थे। अब्‍बास लिखते हैं कि भारत अब गंभीरतापूर्वक अपनी स्थिति की समीक्षा कर रहा है और तालिबान के साथ संतुल‍ित रिश्‍ते बना रहा है और अफगानिस्‍तान को स्थिर बनाने में मदद कर रहा है। अब्‍बास ने कहा कि काबुल के नए शासकों को बड़े पैमाने पर विदेशी निवेश की जरूरत है ताकि देश का पुर्ननिर्माण किया जा सके और उसे उबारा जा सके। भारत ने इसका आश्‍वासन तालिबान को दिया है।

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