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क्या भारत साल 2047 तक बन सकता है एक विकसित देश? बाकी देशों की तुलना में कैसी है देश की अर्थव्यवस्था की रफ्तार

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने साल 2022 में इंडिपेंडेंस डे पर अपने भाषण में कहा था कि आने वाले समय में भारत की अर्थव्यवस्था पूरी दुनिया में सबसे तेज होगी। उन्होंने साल 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने का लक्ष्य रखा है। हालांकि इसके लिए भारत को लगातार उच्च विकास दर बनाए रखनी होगी। प्रधानमंत्री के ऐसा कहने के तुरंत बाद अर्थशास्त्रियों और अन्य विशेषज्ञों ने इसपर अनुमान लगाने शुरू कर दिए। क्या सच में भारत साल 2047 तक एक विकसित अर्थव्यवस्था बन सकता है। भारतीय अर्थशास्त्री सुरजीत एस भल्ला ने हमारे सहयोगी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया में इसपर एक लेख लिखा है। सुरजीत एस भल्ला के मुताबिक, किसी भी देश की अर्थव्यवस्था विकसित है या विकासशील यह कई बातों पर निर्भर करता है। भारत की अर्थव्यवस्था की बात करें तो देश में अत्यधिक गरीबी पिछले तीन सालो में एक फीसदी के बराबर या उससे कम थी। एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि महामारी के साल यानी 2020-21 में भारत में ज्यादातर गरीबी अपने न्यूनतम स्तर 0.8 फीसदी पर थी। यही नहीं, महामारी से पहले, देश अत्यधिक गरीबी दूर करने के बिल्कुल करीब पहुंच चुका था। केवल अत्यधिक गरीबी ही नहीं, असमानता को मापने वाले गिनी गुणांक के हिसाब से असामनता भी चालीस सालों के न्यूनतम स्तर तक पहुंच गई थी। इसकी वजह महामारी-काल के दौरान सरकार ने खाद्य सब्सिडी शुरू की थी।


अर्थशास्त्री सुरजीत एस भल्ला के मुताबिक, साल 2014 से 2019 के समय को अक्सर भारतीय अर्थव्यवस्था की धीमी वृद्धि के लिए जाना जाता है। ध्यान दें कि देशों का क्लासिकेशन चाहे जो भी हो, यह अवधि न्यूनतम थी। यह भी ध्यान दें कि यह समय एकमात्र ऐसा समय था जब भारत में प्रति व्यक्ति वृद्धि पूर्वी एशिया (चीन को छोड़कर) से ज्यादा थी। यह आउट-परफॉर्मेंस साल 2021-27 के समय के लिए 1.2% प्रति वर्ष के उच्च स्तर तक बढ़ जाता है। अगर भारत में प्रति व्यक्ति आय निरंतर पीपीपी डॉलर में सालाना 4.1% बढ़ती है, तो इस बात की काफी बड़ी संभावना है कि भारत आने वाले समय में जल्द ही विकसित अर्थव्यवस्था वाले देशों की स्थिति में पहुंच जाएगा। इधर दुनिया के कई देशों में गरीबी बढ़ी है। गरीबी में यह इजाफा कोरोना काल के बाद आया है। कोरोना काल में काफी लोगों की नौकरियां गई। कई लोगों का बिजनस भी चौपट हुआ। इसकी वजह से भी दुनिया के देशों में गरीबी बढ़ी है।


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