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धर्मांतरण के लिए बाध्य करने वाले लिंक होंगे ब्लॉक, मीडिया घरानों, गूगल, ट्विटर को दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को कुछ मीडिया घरानों तथा ट्विटर और गूगल समेत कुछ सोशल मीडिया मंचों को ऐसी खबरों और वीडियो के लिंक को ब्लॉक करने का निर्देश दिया, जिनमें दावा किया गया है कि एक मुस्लिम व्यक्ति ने एक महिला को इस्लाम धर्म अपनाने के लिए मजबूर किया। न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने यह विचार करने के बाद आदेश पारित किया कि यह एक गंभीर खतरा है, जो समाचार से जुड़ी खबरों और ऑनलाइन उपलब्ध वीडियो पर दर्शकों द्वारा की गई टिप्पणियों से स्पष्ट है। इसके साथ ही उच्च न्यायालय ने इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) , समाचार प्रसारण और डिजिटल मानक प्राधिकरण (एनबीडीएसए) और गूगल एलएलसी तथा ट्विटर इंक को नोटिस जारी किया।


अदालत ने सुदर्शन न्यूज के अध्यक्ष सुरेश चव्हाणके, ओडिशा टेलीविजन लिमिटेड, पिट्टी मीडिया एलएलपी, भारत प्रकाशन (दिल्ली) लिमिटेड को भी नोटिस जारी किया जो ‘द ऑर्गनाइजर, वॉयस ऑफ द नेशन’ का मालिक है। उच्च न्यायालय ने पक्षकारों से उस व्यक्ति द्वारा दायर याचिका पर जवाब देने को कहा, जिसके खिलाफ एक महिला ने बलात्कार का मामला दायर किया है। उच्च न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई 24 मई को नियत की है।


शास्त्रीय संगीत शिक्षक होने का दावा करने वाले याचिकाकर्ता अज़मत अली खान ने दिल्ली निवासी महिला द्वारा 19 अप्रैल को उनके खिलाफ दर्ज कराई गई प्राथमिकी के संबंध में ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर प्रकाशित और प्रसारित समाचार और वीडियो को हटाने की मांग की है। प्राथमिकी में महिला ने खान पर उसे धर्मांतरण के लिए बाध्य करने का आरोप लगाया है। याचिकाकर्ता के वकील राजीव बजाज ने दलील दी कि समुदायों में नफरत फैलाने के उद्देश्य से इस तरह की खबरों का प्रकाशन और सामग्री तथा वीडियो आदि का वितरण पूरी कहानी को सांप्रदायिक रंग देकर किया जा रहा है।

अदालत ने दिल्ली पुलिस को भी नोटिस जारी किया और इस मामले में अब तक की गई जांच के संबंध में स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। अदालत ने दिल्ली पुलिस के वकील से शिकायतकर्ता महिला से संपर्क करने और इस याचिका के लंबित होने के बारे में सूचित करने को कहा। सुनवाई के दौरान, गूगल की ओर से पेश वकील ममता झा ने कहा कि चूंकि प्राथमिकी पहले ही दर्ज की जा चुकी है, इसलिए वीडियो बनाने वाले व्यक्ति से पूछताछ की आवश्यकता है।


पीसीआई की ओर से पेश वकील टी सिंहदेव ने कहा कि याचिकाकर्ता के नौ मई के ईमेल पर गौर किया जाएगा, जिसमें खबरों के लिंक शामिल हैं। उन्होंने अदालत से कहा कि पीसीआई के अधिकार क्षेत्र में केवल प्रिंट मीडिया है। एनबीडीएसए की ओर से पेश वकील निशा भंभानी ने कहा कि कोई भी प्रतिवादी समाचार चैनल एनबीडीए का सदस्य नहीं है, इसलिए वे इसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आते हैं।

अदालत ने स्पष्ट किया कि खबरों का लिंक ब्लॉक करने का उसका निर्देश चैनलों और सोशल मीडिया मंचों सहित सभी प्रतिवादियों के लिए है। उसने कहा, "यह उनकी सुरक्षा का सवाल है। यदि वे (चैनल) इसे ब्लॉक नहीं करते हैं, तो आप (सोशल मीडिया मंच) इसे ब्लॉक कर दें। मेरा निर्देश स्पष्ट है। इसे सभी को ब्लॉक करना होगा।"

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