उत्तर प्रदेशसामाजिक

सनातन संस्कृति में वर्णित,बुंदेलखंड में प्रचलित,बांदा में गाजे बाजे के साथ किया गया कजली विसर्जन।

प्रेम और अटूट विश्वास का प्रतीक (रक्षाबंधन)पर्व को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया,ग्राम पंचायत मवई बुर्जुग में।

बांदा-प्राचीन काल से चली आ रही प्रथा भाई-बहन के प्रेम और अटूट विश्वास का प्रतीक (रक्षाबंधन) पावन पर्व को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।

प्रातः कालीन समय में महिलाएं,बहनें और बच्चे गाजे- बाजे के साथ कजली लेकर ग्राम पंचायत मवई बुजुर्ग गांव के किनारे बने गोसाई तालाब में विसर्जित किया है।

कजली विसर्जन के पश्चात सभी बहने अपने-अपने भाइयों की पूजा,अर्चन कर मस्तक में हल्दी चावल का तिलक कर उनकी कलाइयों पर रक्षा सूत्र राखी बांधकर लंबी उम्र की कामना करते हुए अपनी रक्षा का वचन लेती हैं।

भाई भी अपनी बहनों को बड़े हर्ष के साथ उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं।तथा विभिन्न प्रकार के उपहार भेंट करते हैं।पूर्वजों की माने तो पूर्व काल में द्रौपदी भगवान श्री कृष्ण की कलाई से रक्त बहता देख अपनी साड़ी का पल्लू फाड़ कर बांध देती हैं तभी श्री कृष्ण भगवान ऐसा अद्भुत प्रेम देखकर द्रौपदी को वरदान और आशीर्वाद देते हैं की आज से जब भी तुम्हें संकट दिखे मुझे याद कर लेना मैं तुम्हारी रक्षा करने का वचन देता हूं।

तभी कहा जाता है की महाभारत काल में द्रोपदी चीर हरण में श्री कृष्ण ने द्रौपदी की लाज बचाई थी।रक्षाबंधन जैसे पवित्र त्यौहार पर अनेक विद्वानों के अनेक मत हैं।कजली विसर्जन के सुनहरे मौके पर गांव के कोने-कोने से कंजली लिए महिलाओं के अनेक गुटों के साथ तमाम बड़े बुजुर्ग व भारी संख्या में युवा भी शामिल रहते है।।

 

 

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