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कोई वकील बिना परीक्षा पास किए सुप्रीम कोर्ट का जज कैसे बन सकता है, जानिए पूरा प्रोसेस

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को दो नए जज शपथ लेंगे। सुप्रीम कोर्ट में जज के रूप में शपथ लेने वालों में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस चीफ जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और एडवोकेट केवी विश्वनाथन शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की तरफ से 16 मई को सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट केवी विश्वनाथन और आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त करने के लिए केंद्र से सिफारिश की थी। केंद्र सरकार की तरफ से 48 घंटे में ही सुप्रीम कोर्ट जजों के लिए इन नामों पर मुहर लगा दी गई। इसके बाद राष्ट्रपति की तरफ से इन दोनों की नियुक्ति को लेकर लेटर जारी कर दिया है। ऐसे में आपके मन में यह सवाल तो उठता होगा कि क्या सुप्रीम कोर्ट जज के लिए कोई परीक्षा होती है। आखिर बिना परीक्षा के कोई वकील कैसे सुप्रीम कोर्ट में जज के रूप में नियुक्त हो जाता है।

सुप्रीम कोर्ट के जज के लिए योग्यता

अनुच्छेद 124(2) के तहत राष्ट्रपति, सुप्रीम कोर्ट के अन्य जजों की नियुक्ति में भारत के चीफ जस्टिस से परामर्श करने के लिए बाध्य है। हालांकि भारत के चीफ जस्टिस की नियुक्ति में वह किसी से परामर्श करने के लिए बाध्य नहीं है। संविधान के अनुच्छेद 124(3) में सुप्रीम कोर्ट जजों की योग्यताओं के बारे बताया गया है।

  • वह भारत का नागरिक होना चाहिए।
  • उसके पास एलएलबी/एलएलएम की डिग्री होनी चाहिए।
  • वह कम से कम 5 साल के लिए हाई कोर्ट का जज होना चाहिए या उसे 10 साल के लिए हाई कोर्ट का वकील होना चाहिए।
  • इनके अलावा, एक व्यक्ति भी पात्र है यदि वह राष्ट्रपति के अनुसार एक असाधारण न्यायविद है।

    सुप्रीम कोर्ट में जजों के नियुक्ति की प्रक्रिया

    जब भी सुप्रीम कोर्ट में जज की वेकेंसी होती है तो उस पद को भरने के लिए चीफ जस्टिस के नेतृत्व वाला कॉलेजियम जज के नाम की सिफारिश करता है। यह सिफारिश केंद्रीय कानून, न्याय और कंपनी मामलों के मंत्री को भेजी जाती है।

    1. सुप्रीम कोर्ट के जज की नियुक्ति के लिए देश के चीफ जस्टिस की राय सुप्रीम कोर्ट के चार सीनियर मोस्ट जज के कॉलेजियम के सलाह से होनी चाहिए। यदि देश के अगले सीजेआई चार सीनियर मोस्ट उप-जज में से एक नहीं हैं, तो उन्हें कॉलेजियम का हिस्सा बनाया जाएगा क्योंकि जजो के सेलेक्शन में उनका भी हाथ होना चाहिए जो देश के सीजेआई के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान कार्य करेंगे।

  • 2. भारत के चीफ जस्टिस सुप्रीम कोर्ट के उस सीनियर मोस्ट जज की राय जानेंगे जो, उस हाईकोर्ट से आते हैं जहां से अनुशंसित व्यक्ति आता है। यदि उस जज को उस व्यक्ति की योग्यता और अवगुणों का कोई ज्ञान नहीं है, तो अगले सीनियर मोस्ट सुप्रीम कोर्ट जज से सलाह लेनी होती है।
  • 3. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की तरफ से कॉलेजियम की अंतिम सिफारिश प्राप्त होने के बाद, केंद्रीय कानून, न्याय और कंपनी मामलों के मंत्री अपनी सिफारिशों को प्रधान मंत्री के पास रखते हैं। पीएम इस मामले में राष्ट्रपति को सलाह देते हैं।

    4. जैसे ही नियुक्ति को मंजूरी दी जाती है, न्याय विभाग में भारत सरकार के सचिव की तरफ से चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को सूचित करते हैं। इसके बाद चुने गए व्यक्ति से सिविल सर्जन या जिला चिकित्सा अधिकारी की तरफ से हस्ताक्षरित फिजिकल फिटनेस का प्रमाण पत्र प्राप्त करना होता है। नियुक्ति के लिए चयनित सभी व्यक्तियों से मेडिकल सर्टिफिकेट प्राप्त किया जाना होता है चाहे वे नियुक्ति के समय राज्य की सेवा में हों या नहीं। सर्टिफिकेट प्रपत्र (Annex) में संलग्न होना चाहिए।

5. केंद्र की तरफ से मंजूरी के बाद राष्ट्रपति की तरफ से जजों की नियुक्ति का लेटर जारी किया जाता है।

6. जैसे ही राष्ट्रपति की तरफ से अप्वाइंटमेंट के वारंट पर हस्ताक्षर किए जाते हैं, न्याय विभाग में भारत सरकार के सचिव नियुक्ति की घोषणा करते हैं। इसके बाद भारत के राजपत्र में आवश्यक अधिसूचना जारी की जाती है।

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