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श्रीलंका के 40 लाख बच्चों के लिए वरदान बनी भारत की मदद, छपेंगी किताबें, पूरा होगा पढ़ाई का सपना

कोलंबो : पिछले साल आर्थिक संकट के चलते श्रीलंका में अराजकता फैल गई थी। इसने न सिर्फ राजनीतिक अस्थिरता को जन्म दिया बल्कि आर्थिक गतिविधियों को भी ठप्प कर दिया। मुश्किल समय में पड़ोसी धर्म निभाते हुए भारत लगातार श्रीलंका की मदद कर रहा है। अब हिंदुस्तान की तरफ से भेजी गई सहायता राशि श्रीलंकाई छात्रों के लिए वरदान साबित हो रही है। श्रीलंका ने भारत से मिली सौ करोड़ डॉलर की सहायता में से एक करोड़ डॉलर की राशि का इस्तेमाल अपने 40 लाख विद्यार्थियों के लिए लगभग आधी किताबें छापने के लिए किया है। कोलंबो स्थित भारतीय उच्चायोग ने शनिवार को यह जानकारी दी।


भारत ने श्रीलंका को उसके आर्थिक संकट से निपटने में मदद देने के लिए अपनी आर्थिक सहायता के हिस्से के रूप में पिछले साल उसे सौ करोड़ डॉलर की ऋण सहायता की घोषणा की थी। उच्चायोग ने कहा कि खाद्य, ईंधन, दवाओं, औद्योगिक कच्चे माल सहित जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति के लिए भारत सरकार की ओर से मार्च 2022 में श्रीलंका सरकार को सौ करोड़ अमेरिकी डॉलर की रियायती ऋण सुविधा दी गई थी।


छपेंगी 40 लाख छात्रों की किताबें

उसने कहा कि इसमें से सरकार और निजी आयातकों ने भारत से प्रिंटिंग कागज़ और सामग्री की खरीद के लिए एक करोड़ अमरीकी डॉलर का इस्तेमाल किया है। उच्चायोग के मुताबिक, इसका इस्तेमाल शैक्षणिक वर्ष 2023 में श्रीलंका के 40 लाख विद्यार्थियों की जरूरत की 45 प्रतिशत किताबों को छापने के लिए किया जा रहा है। भारत और श्रीलंका के बीच बहुआयामी और बहु-क्षेत्रीय साझेदारी है।


भारत दे चुका है 4 अरब डॉलर

बयान में कहा गया है, ‘अब तक, जरूरी वस्तुओं, पेट्रोलियम, उर्वरकों, रेलवे के विकास, बुनियादी ढांचे, रक्षा क्षेत्र और नवीकरणीय ऊर्जा सहित विभिन्न क्षेत्रों में श्रीलंका को चार अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक की ऋण सहायता प्रदान की है।’ मई 2021 में श्रीलंका सरकार ने 51 बिलियन डॉलर का विदेशी कर्ज न चुका पाने के चलते इतिहास में पहली बार डिफॉल्ट होने की घोषणा की। इसके बाद श्रीलंका के राजपक्षे परिवार के खिलाफ जनता सड़कों पर आ गई थी।

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