‘सिर्फ पाकिस्तान ही रोक सकता है अपनी बर्बादी, आईएमएफ का लोन भी नहीं खत्म कर पाएगा कंगाली’
इस्लामाबाद: पाकिस्तान और आईएमएफ के बीच बातचीत अब खत्म हो चुकी है। पाकिस्तान को उम्मीद है कि उसे जल्द ही कर्ज की एक और किश्त मिल जाएगी। पाकिस्तान में एक और मिनी बजट आ सकता है। इसमें शहबाज शरीफ सरकार अप्रत्यक्ष कर बढ़ा कर पाकिस्तानी आम जनता को और भी ज्यादा निचोड़ सकती है। हालांकि यह उपाय अगले कुछ महीने के लिए ही लागू होगा। आने वाले वर्षों में लगातार बजट घाटा 5 फीसदी से ज्यादा रहने का अनुमान है। वहीं महंगाई लगभग 20 फीसदी रहेगी। ऐसे में सवाल है कि क्या यह मिनी बजट और IMF की किश्त समस्या का समाधान कर सकती है?
क्या बताया तरीका
उन्होंने आगे कहा कि आम पब्लिक को निचोड़ना बहुत आसान है, उन मुद्दों पर ध्यान ले जाना चाहिए जो राष्ट्रीय संसाधनों को खा रहे हैं। मुख्तार ने आगे कहा कि मंत्री ‘पाकिस्तान स्थिरीकरण कोष’ भी बना सकते हैं, जहां खास तौर से बैंकिंग और दूरसंचार क्षेत्र से जुड़ी बड़ी कंपनियां निवेश पर उचित रिटर्न और टैक्स में छूट के लिए अगले 10 साल के लिए निवेश करें। उन्होंने कहा कि अगर पाकिस्तान की 10 हजार कंपनियां इसमें निवेश करेंगी तो, मिनी बजट से ज्यादा फायदा होगा।
गंभीर होने की जरूरत
उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तान के स्थिरीकरण कोष के लिए बड़ी हाउसिंग सोसायटी योगदान दे सकती हैं। उनका तर्क है कि बड़े डेवलपर्स के पास अतिरिक्त कैश है, जो मिनी बजट से बहुत ज्यादा है। क्या हम राजकोषीय अंतर को पूरा करने के लिए इस नकदी को उधार नहीं ले सकते? उपाय बहुत सारे हैं, लेकिन जरूरत है इस पर गंभीरता दिखाने की। पाकिस्तान को इस आर्थिक संकट से निपटने के लिए दीर्घकालिक योजना की जरूरत है। देश मिनी बजट और आईएमएम की किश्त पर ही भरोसा नहीं रख सकता। पाकिस्तान को बचाने के लिए लॉन्ग टर्म प्लान की जरूरत है।