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पाकिस्तान की फौज या कंगाल अवाम… किसे चुनेंगे शहबाज? IMF ने रखी अब तक की सबसे मुश्किल शर्त

इस्लामाबाद : अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान सरकार से हाल ही में स्टाफ-लेवल यात्रा के दौरान ब्याज दरों में वृद्धि करने के लिए कहा है। संस्था ने आर्थिक संकट को काबू में करने के लिए सरकार से ‘आक्रामक रुख’ अपनाने के लिए कहा है। आईएमएफ ने शहबाज सरकार से सवाल किया कि उनकी तरफ से रक्षा बजट पर क्या कदम उठाए गए हैं। साथ ही क्या रक्षा खर्च में कटौती के लिए सहमति बनी है? आईएमएफ के ये सवाल इस बात के संकेत हैं कि पाकिस्तान में मौजूदा कंगाली की अगली शिकार उसकी सेना होने वाली है।

आईएमएफ ने पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल से कहा कि अगर सरकार रक्षा बजट में कटौती नहीं कर सकती तो उन्हें अतिरिक्त राजस्व के लिए चीजों पर जीएसटी दर को 25 फीसदी तक बढ़ाना होगा। न्यूज18 की खबर के अनुसार पाकिस्तान सरकार आईएमएफ की शर्तों को मानने के लिए दर्जनों उपभोक्ता चीजों पर 25 फीसदी जीएसटी (General Sales Tax) लगाएगी क्योंकि वह रक्षा खर्च में कटौती करने में विफल रही है।

अवाम पर बढ़ने वाली है महंगाई की मार

सूत्रों के हवाले से खबर में कहा गया है कि ऋणदाता ने पाकिस्तान को 1.2 बिलियन डॉलर की अगली किश्त हासिल करने के लिए एक रीपेमेंट प्लान (Repayment Plan) पेश करने के लिए कहा है। खबर के मुताबिक पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय के लोगों का कहना है कि आईएमएफ ने पाकिस्तान से विनिमय दरों को ‘पूरी तरह’ उदार बनाने के लिए कहा है। अगले चार महीनों में कम से कम 7 अरब रुपए का अतिरिक्त राजस्व हासिल करने के लिए पाकिस्तान फेडरल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू ने सैकड़ों टैरिफ लाइनों के खिलाफ जीएसटी दरों को बढ़ाकर 25 फीसदी करने का प्रस्ताव तैयार किया है।

फौज को भी करनी होगी खर्च में कटौती

आईएमएफ के साथ स्टाफ-लेवल के समझौते पर पहुंचने के लिए पाकिस्तान सरकार की ओर से खर्च में कटौती और अतिरिक्त टैक्स लागू करने जैसे उपाय किए जा रहे हैं। गंभीर आर्थिक संकट के बीच पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई से अपने खर्च में कटौती करने के लिए कहा गया है। खबरों की मानें तो सैन्य प्रतिष्ठान योजना बना रहा है कि वे अपने गैर-लड़ाकू खर्च में किस तरह कटौती कर सकते हैं। कंगाली का असर पाकिस्तान के आतंकवाद-रोधी अभियान पर भी पड़ रहा है।

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