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जोशीमठ पर अपडेट ले रहे पीएम मोदी, दरारों का दर्द मिटाने की प्लानिंग, आज आएगी केंद्र की एक्सपर्ट टीम

देहरादून: जोशीमठ के लगभग डेढ़ किलोमीटर के भू-धंसाव वाले इलाके को आपदाग्रस्त घोषित कर दिया गया है। इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद एक्टिव हो गए हैं। प्रधानमंत्री ने रविवार को उत्तराखंड के CM पुष्कर सिंह धामी से फोन पर बात की। धामी ने ट्वीट किया, ‘प्रधानमंत्री खुद जोशीमठ की स्थिति और क्षेत्र में चल रहे सुरक्षात्मक कार्यों पर नजर बनाए हुए हैं। साथ ही उन्होंने जोशीमठ को बचाने के लिए हर संभव सहायता का आश्वासन दिया।’ उन्होंने यह भी कहा कि वह जल्द ही प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात कर इस पूरे मामले की जानकारी खुद देंगे।

हालात से निपटने के लिए प्लान तैयार करने पर हुई चर्चा
इस बीच, प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव पी. के. मिश्रा ने जोशीमठ के हालात पर हाई लेवल बैठक की। इस दौरान हालात से निपटने के लिए प्लान तैयार करने पर चर्चा हुई। एक अधिकारी ने बताया कि NDRF की एक और SDRF की चार टीमें पहले ही जोशीमठ पहुंच चुकी हैं। बैठक के दौरान उत्तराखंड के मुख्य सचिव ने राहत कार्यों की पूरी जानकारी प्रधानमंत्री कार्यालय को दी। बैठक में जोशीमठ के जिला अधिकारी भी शामिल हुए। अधिकारियों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है।

जोशीमठ में कुल 4,500 इमारतें हैं और इनमें से 610 में बड़ी दरारें पड़ गई हैं। सर्वे किया जा रहा है। जोशीमठ में कुछ होटल, एक गुरुद्वारे और दो इंटर कॉलेजों में अस्थाई राहत केंद्र बनाए गए हैं। इनमें लगभग 1,500 लोग रह सकते हैं। स्थानीय लोग अपना घर छोड़कर जाने के नाम से घबरा रहे हैं। स्थानीय निवासी सुनयना को यह चिंता है कि बच्चे कैसे पढ़ेंगे, कैसे घर का गुजारा होगा, कहां रहेंगे, क्या करेंगे।

आज जोशीमठ पहुंचेगी केंद्र की एक्सपर्ट टीम
भू-धंसाव की स्टडी करने के लिए केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय की ओर से बनाई विशेषज्ञों की टीम सोमवार को जोशीमठ पहुंचेगी। यह टीम रविवार शाम को ऋषिकेश पहुंची। यह टीम निरीक्षण करने के बाद तीन दिन में भू-धंसाव के कारण और प्रभाव पर अपनी रिपोर्ट तैयार कर राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन को सौंपेगी। यह टीम गंगा अलकनंदा नदी से हो रहे भूकटाव के अलावा निर्माणाधीन राष्ट्रीय राजमार्ग और जलविद्युत परियोजनाओं पर पड़ने वाले प्रभाव का आकलन भी करेगी। जोशीमठ की स्थिति पर सैटलाइट से भी नजर रखी जाएगी। उत्तराखंड सरकार ने नैशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (NRSC) हैदराबाद और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग (IIRS), देहरादून से आग्रह किया है कि सैटलाइट तस्वीरों के जरिए जोशीमठ का आकलन करके एक रिपोर्ट सौंपी जाए। सीमा प्रबंधन सचिव और NDMA के सदस्य सोमवार को उत्तराखंड का दौरा करेंगे और स्थिति का जायजा लेंगे।लोगों से घर खाली कराने की अपील

दिल्ली हाई कोर्ट में भी अर्जी
जोशीमठ के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट में भी अर्जी दायर की गई है। इसमें मांग की गई है कि एक रिटायर जज की अगुआई में समिति बने और केंद्र को निर्देश दिया जाए कि प्रभावित परिवारों का पुनर्वास देखा जाए। अर्जी में दावा किया गया है कि 60 से ज्यादा परिवार शहर से चले गए हैं जबकि कई वहीं रुककर अपनी जान जोखिम में डाले हुए हैं या फिर वे इस सर्दी में वैकल्पिक आवास की तलाश कर रहे हैं।

चमोली जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों की टीम ने रविवार को जोशीमठ नगर के मारवाड़ी वॉर्ड में घर-घर जाकर स्थिति का जायजा लिया। जिन घरों में दरारें मिली है उन परिवारों को तुरंत शिफ्ट कराने के निर्देश दिए। DM हिमांशु खुराना खुद लोगों से मिले। 60 से ज्यादा परिवारों को दरार वाले घरों से शिफ्ट किया गया है। DM हिमांशु खुराना ने कहा कि नुकसान को देखते हुए, कम से कम 90 और परिवारों को घर जल्द से जल्द खाली करना होगा। सेना इसमें मदद कर रही है। जोशीमठ में चार-पांच सुरक्षित स्थानों पर अस्थाई राहत केंद्र बनाए गए हैं। गढ़वाल के कमिश्नर ने कहा, ‘काफी समय से जमीन धंसने की घटनाएं धीरे-धीरे हो रही हैं, लेकिन पिछले एक हफ्ते में इसकी गति बढ़ गई है। घरों, खेतों और सड़कों में बड़ी दरारें दिखाई दे रही हैं।’

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