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संकट में राहुल! एक्सपर्ट बोले- जमानत के बाद भी जा सकती है सांसदी, चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे

नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता जा सकती है, इतना ही नहीं उनके चुनाव लड़ने पर भी 6 साल की रोक लग सकती है। क्योंकि राहुल के खिलाफ गुजरात के सूरत की एक अदालत ने आपराधिक मानहानि मामले में दो साल की जेल की सजा सुनाई है। उन्होंने 2019 के चुनाव प्रचार के दौरान कर्नाटक के कोलार में एक रैली को संबोधित हुए ‘मोदी सरनेम’ को लेकर विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा था, ‘सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है…। राहुल को कोर्ट ने जमानत भी दे दी, लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि अभी भी राहुल की लोकसभा सदस्यता पर संकट आ सकता है। इसके अलावा उनके चुनाव लड़ने पर भी रोक लग दी है। राहुल पर ये संकट जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में अयोग्यता के प्रावधान की वजह से आ सकता है।

अदालत ने ठहराया मानहानि मामले में दोषी
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एचएच वर्मा, जिन्होंने राहुल को आईपीसी की धारा 499 और 500 के तहत आपराधिक मानहानि का दोषी ठहराया था, ने उन्हें 15,000 रुपये के मुचलके के खिलाफ जमानत दे दी और 30 दिनों के लिए सजा को निलंबित कर दिया, ताकि उन्हें हाई कोर्ट में अपील करने की अनुमति मिल सके। सूत्रों ने बताया कि कानूनी एक्सपर्ट्स ने राहुल को जिला अदालत के इस फैसले के खिलाफ बड़ी अदालत में अपील करने की सलाह दी है।

राहुल की संसद सदस्यता जा सकती है
दरअसल, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में अयोग्यता के प्रावधान से बचने के लिए अदालत से मिली राहत काफी नहीं है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस कानून के अनुसार जैसे ही संसद या राज्य विधानसभा के सदस्य को किसी अपराध में दोषी ठहराया जाता है और उसे दो साल या उससे ज्यादा सजा होती है, तो वो सदस्य सदन की सदस्यता से अयोग्य घोषित किया जा सकता है। इसके साथ ही उसके चुनाव लड़ने पर भी रोक लग सकती है। ऐसे में अगर हाई कोर्ट जिला अदालत के फैसले को नहीं पलटते तो राहुल की संसद से सदस्यता जा सकती है।
अदालत ने क्या कहा?
इस मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि अगर सजा की अवधि मानहानि के अपराध की गंभीरता को देखते हुए तय की गई है, निर्वाचित प्रतिनिधि की अयोग्यता को देखते हुए नहीं। अगर आरोपी को कम सजा दी जाती है, तो इससे जनता में गलत संदेश जाता है और मानहानि का उद्देश्य पूरा नहीं होता। कोई भी बिना किसी झिझक के किसी को भी बदनाम करेगा। अदालत ने राहुल के पुराने बयान को लेकर सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी भी बताई, जब 2019 में चुनाव प्रचार के दौरान राहुल ने ‘चौकीदार चोर है’ अभियान चलाया था।
बीजेपी विधायक ने दायर किया था मानहानि का केस
राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का केस पूर्णेश मोदी ने दायर किया, जो सूरत पश्चिम से बीजेपी के विधायक भी हैं। उन्होंने 2019 में दायर अपनी शिकायत में कहा था कि राहुल ने अपने बयान से करोड़ों लोगों का अपमान किया है। राहुल के वकील किरीट पानवाला ने इस आधार पर एक मामूली सजा की गुहार लगाई कि उनके मुवक्किल का इरादा किसी का अपमान करने का नहीं था। उन्होंने अदालत से कहा, ‘शिकायतकर्ता को किसी भी तरह का दर्द या नुकसान नहीं हुआ है, और आरोपी को पहले कभी किसी अपराध का दोषी नहीं पाया गया है और उसने किसी से कोई दया या माफी नहीं मांगी है।’
‘जानबूझकर दिया ऐसा बयान’
राहुल को दोषी ठहराते हुए अदालत ने कहा कि वह अपने भाषण को पीएम नरेंद्र मोदी, नीरव मोदी, विजय माल्या, मेहुल चोकसी और अनिल अंबानी तक सीमित कर सकते थे, लेकिन उन्होंने ‘जानबूझकर’ एक ऐसा बयान दिया, जिससे मोदी सरनेम वाले लोगों को ठेस पहुंची। अदालत ने कहा कि यह आपराधिक मानहानि के बराबर है। अपने आदेश में अदालत ने कहा कि आरोपी के एक सांसद होने के नाते उनके द्वारा दिए गए किसी भी भाषण का जनता पर प्रभाव पड़ेगा। अदालत ने कहा कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष जानते थे कि उन्हें अपनी विवादास्पद टिप्पणी से फायदा होगा।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का दिया हवाला
अदालत ने राहुल के इस बचाव को खारिज कर दिया कि शिकायतकर्ता द्वारा पेन ड्राइव और सीडी के रूप में पेश किए गए इलेक्ट्रॉनिक सबूतों के साथ छेड़छाड़ की जा सकती थी। इसने अतीत में राहुल को दिए गए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का हवाला दिया, जिसमें उन्हें ‘चौकीदार चोर है’ डिग के लिए माफी मांगने के बाद सतर्क रहने की सलाह दी गई थी। अदालत ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट द्वारा आरोपी को सचेत करने के बावजूद, उसके आचरण में कोई बदलाव नहीं आया है।’
दोष सिद्ध होने के बाद राहुल ने अदालत से कहा कि उन्होंने कोलार में भाषण जनहित में दिया था। सीजेएम ने उनकी दलील को खारिज कर दिया। सुनवाई से पहले अदालत परिसर को कांग्रेस कार्यकर्ताओं के विरोध की आशंका में बड़ी सुरक्षा तैनाती के साथ किलेबंद कर दिया गया था। राहुल करीब 10.50 बजे पहुंचे। फैसले के तुरंत बाद वह दिल्ली के लिए उड़ान भरने से पहले एक गुजराती थाली रेस्तरां में दोपहर के भोजन के लिए रवाना हुए।
फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए पूर्णेश मोदी ने कहा, ‘टिप्पणी ने मोदी और तेली समाज को बदनाम किया जो देश भर में करोड़ों में हैं। इसलिए मैंने शिकायत की थी। मैं फैसले का स्वागत करता हूं।’ वहीं गुजरात कांग्रेस के अमित चावड़ा ने कहा, ‘हम कांग्रेसी हैं, हम पहले नहीं झुके और अब नहीं झुकेंगे। सत्य को परेशान किया जा सकता है, पराजित नहीं। सत्य हमेशा संघर्ष को चुनता है।’

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