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स्मार्टफोन का इस्तेमाल करने वाले बच्चों में मानसिक समस्याओं का खतरा, स्टडी हर मां-बाप को पढ़नी चाहिए

नई दिल्ली : यदि आपको लगता है कि स्मार्टफोन या टैब का यूज आपके बच्चे को उसके साथ के अन्य बच्चों से आगे निकलने में मदद मिलेगी तो थोड़ा सावधान होने की जरूरत है। बच्चों में स्मार्टफोन का बढ़ता यूज उसके भविष्य के लिए खतरे की घंटी है। एक ग्लोबल सर्वे में ऐसे फैक्ट सामने आए हैं जिसे पढ़कर हर पैरंट्स को सतर्क होने की जरूरत है। इस सर्वे के रिजल्ट परेशान करने वाले हैं। सर्वे के अनुसार एक बच्चे को जितनी जल्दी स्मार्टफोन दिया जाता है, उतना ही उसे एक युवा वयस्क के रूप में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करने की आशंका बढ़ जाती है।

ग्लोबली जारी हुए सर्वे में क्या है?

विश्व स्तर पर जारी और TOI के साथ शेयर किया गया सर्वे रिजल्ट खतरनाकक है। इसमें कहा गया है कि कम उम्र में स्मार्टफोन (जिसमें टैबलेट शामिल हैं) के हाथ में आने के साथ ही साथ मेंटल हेल्थ के मापदंडों में लगातार गिरावट देखी गई। ऐसे बच्चे जिन्होंने कम उम्र में स्मार्टफोन का यूज किया है, उनमें युवा होने पर आत्महत्या से जुड़े विचार, दूसरों के प्रति आक्रामकता की भावना, वास्तविकता और मतिभ्रम अधिक होने जानकारी सामने आई है।

कहां-कहां किया गया सर्वे

अमेरिका के एनजीओ सैपियन लैब्स ने इस स्टडी को 40 से अधिक देशों में किया। नए ग्लोबल स्टडी में 40 से अधिक देशों के 18 से 24 साल की आयु के 27,969 एडल्ट्स का डेटा जुटाया गया। इसमें भारत के लगभग 4,000 युवा शामिल हैं। इसमें पाया गया कि महिलाएं अधिक प्रभावित दिखाई देती हैं। इसमें महिलाएं अधिक प्रभावित दिखीं। ‘एज ऑफ फर्स्ट स्मार्टफोन एंड मेंटल वेलबीइंग आउटकम’ स्टडी के तहत मेंटल हेल्थ कोशेंट (MHQ) के तहत मानसिक क्षमताओं और लक्षणओं का आकलन किया गया। इसके तहत अंकों की तुलना उत्तरदेने के बीच पहले स्मार्टफोन या टैबलेट के स्वामित्व की रिपोर्ट की गई आयु से की गई थी।

किस उम्र में पहला स्मार्टफोन

सर्वे में 74 प्रतिशत महिलाएं ऐसी थीं जिन्होंने 6 साल की उम्र में अपना पहला स्मार्टफोन मिला, उनमें मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्याएं अधिक पाई गईं। वहीं, 10 साल की उम्र में अपना पहला स्मार्टफोन यूज करने वालों में मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्याएं घटकर 61% तक हो गईं। वहीं, 15 साल की उम्र में अपना पहला स्मार्टफोन यूज करने वाले युवाओ में मेंटल हेल्थ से जुड़े मामले 52% थे। स्टडी में पाया गया कि जिन लोगों को 18 साल की उम्र में अपना पहला स्मार्टफोन मिला, उनमें से 46% मानसिक रूप से परेशान या संघर्षरत थे। पुरुषों में भी यही ट्रेंड था लेकिन उनमें परेशानी थोड़ी कम थी।

सर्वे में पैरंट्स के लिए मैसेज

सर्वे के रिजल्ट्स में माता-पिता के लिए एक स्पष्ट संदेश है। इसमें जितना हो सके अपने बच्चे को स्मार्टफोन देने में देरी करें। न्यूरोसाइंटिस्ट का कहना है कि बच्चों पर अपने साथियों का दबाव अधिक है। ऐसे में अपने पर बच्चे पर ध्यान दें। बच्चे का सामाजिक विकास, उनकी मानसिक भलाई और दुनिया को नेविगेट करने की क्षमता के लिए मौलिक रूप से महत्वपूर्ण है। ऐसे में उन्होंने स्मार्टफोन से थोड़ा दूर रखना ही बेहतर है।

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