खेल

कोर सेक्टर में सुस्ती, प्रॉडक्शन पांच माह के निचले स्तर पर, जानिए क्या होगा असर

नई दिल्ली: ग्लोबल इकॉनमी बढ़ती सुस्ती और डिमांड में कमी का असर भारत की कोर सेक्टर में नजर आने लगा है। यही कारण है कि आठ कोर सेक्टर का उत्पादन मार्च में पांच माह के निचले स्तर पर चला गया है। आठ कोर सेक्टर का उत्पादन मार्च 2023 में मात्र 3.6% की बढ़ोतरी हासिल कर पाया। फरवरी में इसमें 7.2% की तेजी देखने को मिली थी। पिछले साल मार्च में आठ कोर सेक्टर का उत्पादन 4.8% चढ़ा था। पिछला निचला स्तर अक्टूबर 2022 में 0.7% था। एड्राइट सिक्योरिटीज के विनय अग्रवाल का कहना है कि आठ कोर सेक्टर में नरमी का साफ मतलब है कि मार्केट में बिक्री में सुस्ती आ रही है, इसके चलते उत्पादन कम हो रहा है।


चालू वित्त वर्ष में ग्लोबल इकॉनमी में स्लोडाउन बढ़ने की खबरें आ रही है। ऐसे में अब इस बात पर ध्यान देना होगा कि भारत के बाजार में इसका असर कम से कम पड़े। आठ कोर सेक्टर का उत्पादन इस लिहाज से ज्यादा मायने रखता है कि Index of Industrial Production (IIP) में इन आठ कोर सेक्टर की हिस्सेदारी 40.27% है। अगर कोर सेक्टर के उत्पादन में गिरावट आएगी तो औद्योगिक उत्पादन भी गिरेगा। कॉमर्स मिनिस्ट्री की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार आठ बुनियादी ढांचा क्षेत्रों, कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और बिजली की विकास दर वित्त वर्ष 2023 में औसतन 7.6% रही, जो 2021-22 के 10.4% से कम है।


इलेक्ट्रॉनिक सेक्टर में डिमांड गिरी, उत्पादन कम

डिमांड में कमी आने से इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग में कमी आनी शुरू हो गई है। इसका असर आने वाले समय में नौकरियों पर पड़ सकता है। सूत्रों के अनुसार सरकार ने साल-2026 तक इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग 300 अरब डॉलर का करने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन जो हालात हैं, उनमें यह तय लक्ष्य का 75 परसेंट ही हासिल कर सकेगी। सूत्रों का कहना है कि मोबाइल हैंडसेट का उत्पादन में गिरती डिमांड से प्रभावित हो रहा है। सरकार ने साल 2026 तक मोबाइल हैंडसेट का उत्पादन 126 अरब डॉलर का रखा हुआ है। मगर जो मौजूदा हालात है, यह लक्ष्य पाना भी मुश्किल लग रहा है। सरकार इस सेगमेंट में 100 अरब डॉलर का उत्पादन तक पहुंच सकती है। एक सरकारी अधिकारी का कहना है कि डिमांड में कमी आनी शुरू हो गई है। एक बार डिमांड में कमी आने के बाद उत्पादन की रफ्तार को बढ़ाना मुश्किल हो जाता है। इसके अलावा निर्यात के मोर्चे पर कोई अच्छी खबर नहीं है। ऐसे में फिर किस तरह से उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button