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दावोस में पूरी दुनिया ने देखा भारतीय अर्थव्यवस्था का दमखम! भारत के आगे चीन की चमक पड़ी फीकी

नई दिल्ली: स्विट्जरलैंड के दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (World Economic Forum) 2023 की सालाना बैठक शुक्रवार यानी 20 जनवरी 2023 को समाप्त हो गई। पांच दिन चली इस बैठक में जलवायु, युद्ध और आर्थिक मुद्दों पर गहन चर्चा हुई। इस बार वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में भारत ने अपना दमखम दिखाया है।
साल 2023 में, जैसा कि वैश्विक मंदी की आशंका बनी हुई है। देश को किसी भी बड़ी अर्थव्यवस्था के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की उम्मीद है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, विश्व बैंक संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए केवल 0.5% और चीन के लिए 4.3% की तुलना में 6.6% की वृद्धि का अनुमान लगा रहा है। अगर भारत अपनी गति को बनाए रख सकता है, तो भारत 2026 में जर्मनी को दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में पीछे छोड़ देगा। साल 2032 में जापान को नंबर तीन स्थान से पछाड़ देगा और 2035 तक 10 ट्रिलियन डॉलर के सकल घरेलू उत्पाद के साथ केवल तीसरा देश बन जाएगा। भारत की अर्थव्यवस्था वर्तमान में लगभग 3.5 ट्रिलियन डॉलर की है, जो इसे दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाती है। डब्ल्यूईएफ के संस्थापक और कार्यकारी चेयरमैन क्लॉस श्वाब ने कहा कि एक बंटी हुई दुनिया में भारत एक उज्ज्वल स्थान है। उन्होंने कहा कि भारत विश्व व्यवस्था में एक प्रमुख स्तंभ के रूप में उभर रहा है।

भारत से सौ नेताओं ने लिया हिस्सा

पांच दिवसीय बैठक में लगभग 100 भारतीय नेताओं ने भाग लिया, जिनमें चार केंद्रीय मंत्री और एक मुख्यमंत्री शामिल थे। डब्ल्यूईएफ के अध्यक्ष बोर्गे ब्रेंड ने अपनी समापन टिप्पणी में कहा कि जलवायु मोर्चे पर कदम और न्यायसंगत वृद्धि लक्ष्यों पर महत्वपूर्ण प्रगति के साथ यह एक उल्लेखनीय सप्ताह रहा है। सोमवार को शुरू हुई इस बैठक में कई राष्ट्राध्यक्षों या सरकार के प्रमुख शामिल हुए और विभिन्न बैठकों को संबोधित किया। साथ ही बड़ी संख्या में राजनीति, उद्योग, शिक्षा और नागरिक समाज के नेताओं ने विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। इस बार की बैठक का विषय ‘एक खंडित दुनिया में सहयोग’ था। ब्रेंड ने कहा कि दुनिया भले ही आज खंडित हो, लेकिन यहां उम्मीदें उभरी हैं, ताकि कल ऐसा न हो। आईएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने समापन सत्र के दौरान कहा कि वैश्विक नेताओं के लिए उनका संदेश व्यावहारिकता और सहयोग का है।

वैश्विक जीडीपी में आ सकती है 7 फीसदी की गिरावट

अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) की प्रमुख क्रिस्टलीना जॉर्जीवा ने शुक्रवार को विश्व समुदाय से व्यावहारिक एवं सहयोगपूर्ण रुख का अनुरोध करते हुए कहा कि आपस में विभाजित होने से वैश्विक जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में सात प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है। जॉर्जीवा ने विश्व आर्थिक मंच की यहां आयोजित 53वीं बैठक के अंतिम दिन के सत्र को संबोधित करते हुए कहा, "अगर हम अब भी एकजुट नहीं हुए तो हमें अर्थव्यवस्था एवं लोगों की बेहतरी के लिए बड़े जोखिम का सामना करना होगा।" उन्होंने कहा कि अगर मध्यम अवधि की वृद्धि संभावनाओं को देखें तो आपूर्ति शृंखला से जुड़े मसलों को हल करने का तरीका हमारी वृद्धि संभावनाओं को निर्धारित कर देगा। उन्होंने कहा, "दुनिया के लिए मेरा संदेश यही है कि हम व्यावहारिक और सहयोग करने वाले बनें।" वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में सुधार की संभावना के बारे में पूछे जाने पर आईएमएफ प्रमुख ने कहा, "पिछले साल हमने वृद्धि अनुमानों को तीन बार संशोधित किया था और इसमें आगे और कमी न करना ही फिलहाल के लिए अच्छी खबर है।"उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में श्रम बाजार की स्थिति पर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है।

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