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ये है दुनिया का ‘आठवां महाद्वीप’ जीलैंडिया, 375 साल की तलाश के बाद हुई थी खोज, यहां है मौजूद

वॉशिंगटन: दुनिया में आपको सात महाद्वीप के बारे में पता होगा। लेकिन एक ‘आठवां’ महाद्वीप भी है, जिसके अस्तित्व पर वैज्ञानिकों ने मुहर लगा दी है। ये महाद्वीप खोया हुआ था। लगभग 375 साल की खोज के बाद इस महाद्वीप को खोजा जा सका। इस महाद्वीप का नाम जीलैंडिया (Zealandia) हैं। जीलैंडिया की खोज भूविज्ञान और पृथ्वी विज्ञान के क्षेत्र में लगातार हो रही रीसर्च पर भी प्रकाश डालता है। हालांकि इस महाद्वीप पर अगर आप जाना चाहें तो संभव नहीं होगा, क्योंकि ये पानी के नीचे डूबा हुआ है।

    इस महाद्वीप का आकार लगभग 18.9 लाख वर्ग किमी है, जो कभी गोंडवाना नाम के सुपर कॉन्टिनेंट का हिस्सा था। आज से 50 करोड़ साल पहले गोंडवाना में पश्चिमी अंटार्कटिका, पूर्वी ऑस्ट्रेलिया का हिस्सा भी था। हालांकि जीलैंडिया लगभग 10.5 करोड़ साल पहले गोंडवाना से अलग होने लगा। यह महाद्वीप क्यों टूटा इसके बारे में भूवैज्ञानिक अभी भी खोज कर रहे हैं। जैसे-जैसे यह टूटता गया, वैसे ही यह लहरों के नीचे समाता गया। इसका 94 फीसदी से भी ज्यादा हिस्सा पानी के नीचे डूबा हुआ है।

    वैज्ञानिकों ने माना महाद्वीप का अस्तित्व

    जीलैंडिया के अस्तित्व के बारे में सबसे पहले 1642 में डच व्यवसायी और नाविक एबेल तस्मान ने रिकॉर्ड दर्ज किया था। यह ‘महान दक्षिणी महाद्वीप’ को खोजने के मिशन पर थे। हालांकि वह इस भूमि को खोज नहीं सके औक न्यूजीलैंड के दक्षिणी द्वीप पर पहुंच गए। यहां उनका सामना स्थानीय माओरी समुदाय के लोगों से हुआ। माओरी लोगों ने शत्रुता के बाद भी उन्हें बेहद महत्वपूर्ण जानकारी दी। हालांकि वैज्ञानिकों को जीलैंडिया के अस्तित्व पर सहमत होने में 400 साल लग गए।

    पानी के नीचे है महाद्वीप

    टाइम्स नाउ की रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में भूवैज्ञानिकों ने अंततः इसके अस्तित्व की पुष्टि कर दी। नए महाद्वीप का अधिकांश हिस्सा पानी के नीचे है। 2 किमी की गहराई में जाने पर आपको जीलैंडिया मिलेगा। जीलैंड क्राउन रिसर्च इंस्टीट्यूट जीएनएस साइंस के भूवैज्ञानिकों में से एक एंडी टुलोच के मुताबिक जीलैंडिया की खोज दिखाती है कि एक चीज जो बेहद साफ है उसे खोजने में भी समय लग सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि गोंडवाना से जीलैंडिया के अलग होने के बारे में वैज्ञानिक अभी भी नहीं समझ पाए हैं।

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