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विनोद कुमार शुक्ल को मिलेगा साहित्य का ‘ऑस्कर’ अवार्ड, बुकर के बाद हिंदी को दूसरा सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय सम्मान

नई दिल्लीः हिंदी के जाने-माने लेखक विनोद कुमार शुक्ल को अंतरराष्ट्रीय साहित्य में योगदान के लिए 2023 का पेन/नाबोकोव पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। गैर लाभकारी संगठन ‘पेन अमेरिका’ द्वारा मंगलवार को इसकी घोषणा की गई। हिंदी भाषा के प्रतिष्ठित समकालीन लेखकों में शामिल उपन्यासकार और कवि शुक्ल को दो मार्च को न्यूयॉर्क के टाउन हॉल में 59वें वार्षिक पेन साहित्य पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। हिंदी के मशहूर साहित्यकार कृष्ण कल्पित के मुताबिक, इसे अमेरिका में साहित्य का ऑस्कर सम्मान समझा जाता है। रेत समाधि लिखने वाली गीतांजलि श्री को बुकर पुरस्कार मिलने के बाद यह हिंदी को मिला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दूसरा बड़ा सम्मान है।

मंगलवार को चयन मंडल में शामिल अमित चौधरी, रोया हाकाकियन और माजर मेंगिस्टे ने एक बयान में पुरस्कार की घोषणा की। पेन/नाबोकोव पुरस्कार हर साल एक ऐसे जीवित लेखक को प्रदान किया जाता है, जिसका काम चिरस्थायी मौलिकता और उत्कृष्ट शिल्प कौशल वाला हो। पूर्व में इस पुरस्कार से न्गुगी वा थियोंगो, ऐनी कार्सन, एम. नोरबे से फिलिप, सैंड्रा सिस्नेरोस, एडना ओ’ब्रायन और एडोनिस को सम्मानित किया जा चुका है।

अपनी ”विशिष्ट भाषायी शैली और भावनात्मक गहराई” के लिए जाने जाने वाले शुक्ल को 1999 में ”दीवार में एक खिड़की रहती थी” के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। शुक्ल की अन्य उल्लेखनीय कृतियों में ”नौकर की कमीज” (1979) और एक कविता संग्रह ”सब कुछ होना बचा रहेगा” (1992) शामिल हैं।

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