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आम नागरिक क्या चाहे निर्मला मैडम से

नई दिल्ली: चाहे देश (Country) हो या आम गृहस्थ (Household)। हर कोई अपना बजट (Budget) बनाते हैं। दरअसल, बजट एक ऐसा दस्तावेज है जो लक्ष्यों के आधार पर आगामी अवधि के लिए आमदनी और खर्चों का अनुमान लगाने के लिए बनाया जाता है। कोई भी बजट पूरे वर्ष खर्च और आमदनी का एक हिसाब होता है। देश का बजट भी इसी तरह बनता है। आम करदाता की नजर भी बजट पर होती है। वह आमतौर पर लगाए जाने वाले टैक्स, खासतौर पर इनकम टैक्स में होने वाले बदलाव पर होती है। बजट से उनकी उम्मीदें भी इसी मसले पर टिकी होती है। जब से जीएसटी लागू हुआ है, तब से बजट में आम करदाताओं का ध्यान अप्रत्यक्ष करों पर भी जाने लगा है। टैक्स मामलों के विशेषज्ञ और चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA)

टैक्स की सीमा पांच लाख हो

देश के आम व्यक्तिगत करदाताओं को एक वैकल्पिक कर प्रणाली दी गई थी। इसके तहत इनवेस्टमेंट, स्टैण्डर्ड डिडक्शन एवं मकान बनाने के लिए लिए गए लोन पर छूट आदि को छोड़ने पर एक रियायती कर की दर दी गई थी। हालांकि, कर देयता की सीमा 2.50 लाख रुपये ही रखी गई है। लेकिन यह वैकल्पिक कर की व्यवस्यथा लोकप्रिय नहीं हुई है। इसलिए करदाताओं की उम्मीद यह है कि निवेश एवं खर्च इत्यादि की छूट को जारी रखते हुए ही टैक्स की सीमा ही 5 लाख रुपये कर दी जाए। साथ ही कर की जो मुख्य दर है उसे ही थोड़ा कम कर दिया जाए।

होम लोन पर ज्यादा छूट मिले

स्वयं के रहने के लिए मकान बनाने के लिए जो होम लोन लिया जाता है, उस पर इस समय छूट पर 2 लाख रुपये की एक सीमा है। इस समय मकान बनाने की लागत बढ़ती जा रही है। इसलिए, आम करदाता की उम्मीद है कि इस सीमा को अब 3 लाख रुपये कर दिया जाए। इससे अपना मकान बनाने वाले करदाताओं को राहत मिलेगी और यह एक तार्किक राहत भी होगी।

स्टेंडर्ड डिडक्शन हो एक लाख

वेतनभोगी कर्मचारियों को इस समय स्टैण्डर्ड डिडक्शन के रूप में 50,000 रुपये की छूट मिलती है। उनकी मांग यह है कि इस राशि को बढ़ा कर एक लाख रुपये कर दी जाए। आयकर की धारा 80 सी के तहत जो जीवन बीमा, भविष्य निधि, बच्चों की शिक्षा इत्यादि पर निवेश एवं खर्चों की सीमा इस समय 1.50 लाख रुपये है और यह बहुत ही पुरानी है। इसे भी अब बढ़ा कर 2.50 लाख रुपये कर दिया जाना चाहिए। ऐसी उम्मीद भविष्य की बचत की जरूरतों को देखते हुए की जा रही है।

पैन आधार लिंक को लेकर डराएं नहीं

पेन कार्ड और आधार कार्ड लिंक को लेकर भी कई करदाता आहत हैं। यहां ध्यान रखने योग्य बात यह है कि पैन कार्ड और आधार, दोनों ही सरकार के बनाये हुए हैं। इसमें कोई फर्क नहीं होना चाहिए कि वे लिंक नहीं हो रहे हैं या नहीं। यदि आप ऐसा नहीं कर पा रहे हैं तो कम से कम इसके लिए लगाया जाने वाला शुल्क तो हटा लेना चाहिए।

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