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सिंधु जल समझौते पर भारत से टकराव क्यों चाह रहा पाकिस्तान? अब बर्दाश्त करने को राजी नहीं भारत

नई दिल्ली: सिंधु जल समझौते को लेकर पाकिस्तान भारत से टकराव क्यों चाहता है? क्यों इस मसले पर पाकिस्तान समझौते को तोड़ना चाहता है? भारत को उसे काउंटर करने के लिए कदम उठाने क्यों पड़े? हाल ही में भारत ने सालों पुराने इस समझौते की शर्तों को बदलने की मांग की, जिसके बाद ये सवाल उठ रहे हैं। इसके पीछे पाकिस्तान के एकतरफा उठाए गए कई कदमों को जिम्मेदार बताया गया।

समझौते में संशोधन : भारत सरकार ने हाल ही में पाकिस्तान से कहा है कि वह सिंधु जल समझौते में संशोधन करे। इसके लिए पाकिस्तान को नोटिस भेजा गया। भारत ने कहा कि पाकिस्तान ने समझौते के अनुरूप पहल नहीं की। ऐसे में भारत को भी इसमें संशोधन करना होगा। मसला जम्मू-कश्मीर में चल रही दो बिजली परियोजनाओं को लेकर भी है। जम्मू-कश्मीर में किशनगंगा और रतले बिजली संयंत्र पर दोनों देशों की असहमति है।

    63 साल पुराना समझौता : आजादी के बाद नदियों के पानी को लेकर दोनों देशों में कई तरह की दुविधापूर्ण स्थिति पैदा होने लगी थी। इसे दूर करने के लिए 1960 में सिंधु जल समझौता हुआ। इसमें अंतरराष्ट्रीय मानकों के हिसाब से दोनों देशों के बीच नदी के पानी के बंटवारे को लेकर समझौता हुआ। विश्व बैंक ने समझौते की मध्यस्थता की थी। सिंधु जल समझौता संधि के तहत सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलज नदियों के पानी का बंटवारा हुआ था। समझौते के पालन के लिए सिंधु आयोग का गठन किया गया था।

    पाकिस्तान की हरकत से सवाल: दशकों तक भारत संधि का पालन करता रहा। जल की जितनी आपूर्ति भारत को मिली उसी के हिसाब से उसका इस्तेमाल किया। मगर, पाकिस्तान ने समझौते के प्रतिकूल हरकत शुरू कर दी।

    डैम का विरोध : 2007 में जम्मू-कश्मीर में जब भारत ने किशनगंगा हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट के तहत रन ऑफ द रिवर बांध का निर्माण किया तो पाकिस्तान ने इसका विरोध किया। साथ ही भारत की ओर पानी आपूर्ति भी बाधित करने की कोशिश की। इस प्रोजेक्ट से हजारों लोगों को सिंचाई और बिजली का लाभ मिलने वाला था। बाद के सालों में पाकिस्तान की ओर से ऐसी ही कुछ और कोशिशें हुईं।

    भारत ने उठाई आवाज : पाकिस्तान की हरकत लगातार जारी रही तो भारत ने हाल ही में कड़े कदम उठाने का फैसला किया। भारत ने कहा कि जब पाकिस्तान 63 साल पुराने समझौते से पीछे हट रहा है और उसकी शर्तों को मानने से इनकार कर रहा है तो इसमें संशोधन की जरूरत है। साथ ही यह भी कहा गया कि पिछले पांच वर्षों में भारत ने जल आयोग की मीटिंग में पाकिस्तान के सामने इससे जुड़े मसले लगातार उठाए, लेकिन पाकिस्तान पर इसका कोई असर नहीं हुआ।


    विश्व बैंक पर भी सवाल : भारत ने इस मामले में विश्व बैंक के रवैये पर भी सवाल उठाए हैं। भारत का तर्क है कि सिंधु जल समझौता दो देशों के बीच है और विश्व बैंक को इस मामले में बार-बार दखल देना या समझौते की शर्तें बदलने का कोई अधिकार नहीं है।

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