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Apple के लोगो में आधा कटा सेब क्यों? दिलचस्प है कहानी

नई दिल्ली: भारत में पहले एप्पल (Apple) स्टोर की आज शुरुआत हो गई है। मुंबई में एप्पल ने अपना पहला आउटलेट शुरू कर दिया है। एप्पल के सीईओ टिम कुक (Tim Cook) खुद इस स्टोर की अपनिंग की। एप्पल फोन भले ही कीमत में मिडिल क्लास की पहुंच से दूर हो, लेकिन इसके बाद भी एप्पल के मोबाइल (Apple iPhone) यूज करना लोगों के लिए जुनून की तरह है। एप्पल के फोन और डिवाइस के लिए लोगों में दिवानगी स्टोर के बाहर लगी कतार को देखकर लगा सकते हैं। अपने एडवांस तकनीक और वर्ल्ड क्लास क्वालिटी प्रोडक्ट के दाम पर कंपनी ने खूब नाम कमाया है। कंपनी का नाम जितना अनोखा है उससे ज्यादा अनोखा इसका लोगो (Apple logo) है। जब कभी एप्पल कंपनी का नाम लेते हैं, लोगो यानी कटे सेब की तस्वीर सामने आ जाती है, लेकिन क्या आपने सोचा है कि इतनी बड़ी कंपनी का लोगो एक कटा सेब क्यों है?

​एप्पल लोगो की कहानी

एक खाया हुआ सेब एप्पल (Apple) जैसे बड़े ब्रांड का लोगो कैसे बन गया? इसकी कहानी भी दिलचस्प है। अमेरिकी कंपनी एप्पल की नींव 1 अप्रैल 1976 में रखी गई। स्टीव जॉब्स, स्टीव वोजनियाक और रोनाल्ड वेन ने मिलकर इस कंपनी की शुरुआत की। कंपनी की स्थापना पर्सनल कंप्यूटर बनाने के लिए की गई, लेकिन धीरे-धीरे इसका पूरा रूप बदल गया। साल 1977 में कंपनी का नाम ‘ऐप्पल इंक’ (Apple Inc) रखा गया। कंपनी के नाम के साथ-साथ उनका लोगो भी बदल गया। आज उसी लोगो की कहानी हम बता रहे हैं।

​कटे सेब के पीछे की कहानी

एप्पल के मौजूदा लोगो कटे सेब से पहले उसका लोगो आइज़ैक न्यूटन की तस्वीर थी। वहीं न्यूटन, जिन्होंने गुरुत्वाकर्षण की खोज की। एप्पल के लोगो में न्यूटन को सेब के पेड़ के नीचे बैठे दिखाया गया था। इस लोगो को एप्पल के फाउंडर में से एक रोनाल्ड वेन ने तैयार किया था। साल 1976 में वो कंपनी ने अलग हो गए, जिसके बाद उस लोगो को बदलने का फैसला किया गया। इसके बाद लोगो बना आधा खाया हुआ सेब।

​दिल छू लेने वाली कहानी

एप्पल के लोगो को लेकर कई कहानियां हैं। इनमें से एक कहानी ये है कि जब कंपनी के लिए नया लोगो की खोज हो रही थी तो स्टीव जॉब्स, स्टीव वोजनियाक को महान कंप्यूटर वैज्ञानिक ‘एलन ट्यूरिंग’ का ध्यान आया। एलन ट्यूरिंग ने जर्मन के कोड तोड़ने की मशीन बनाई थी। कहा जाता है कि उन्हें श्रद्धांजली देते हुए खाए हुए सेब को लोगो बनाने के डिजाइन को फाइनल किया गया। दरअसल 7 जून, 1954 को एलन ट्यूरिंग की मौत हो गई। उन्हें होमोसेक्सुएलिटी के लिए दोषी ठहराया गया था। उस वक्त अमेरिका में होमोसेक्सुएलिटी गुनाह था। एलन को दोषी ठहराया गया और उन्हें इलाज के लिए केमिकल ट्रीटमेंट देने का फैसला किया गया। उन्हें सायनाइड इंजेक्टेड एप्पल खाने के लिए दिया गया, जिसे खाने के बाद उनकी मौत हो गई। उनके शव के पास एक बार का चखा हुआ ज़हरीला सेब बरामद हुआ था। इसी से प्रेरित होकर एप्पल ने एलन ट्यूरिंग को श्रद्धांजली देते हुए कटे हुए सेब को लोगो बनाया। हालांकि बाद में कंपनी ने इस कहानी को काल्पनिक बताते हुए लोगो के पीछे की असली वजह बताई।

​लोगो के डिजाइन ने बताई असली कहानी​

कोड्सजेस्चर नाम की वेबसाइट के साथ इंटरव्यू के दौरान लोगो के डिजाइनर रॉब जेनिफ ने बताया कि एप्पल का लोगो कटा हुआ बनाया गया, ताकि लोग कंफ्यूज न हो। उन्होंने कहा कि इसके पीछे उनकी मंशा थी कि लोग आसानी से एप्पल के logo को पहचान सके। एप्पल नाम से मिलता-जुलता लोगो वो बनाना चाहते थे, लेकिन अगर वो सेब को पूरा रखते तो लोग उसे चेरी या टमाटर समझ लेते। इसलिए उन्होंने कटा हुआ सेब लोगो में बनाया। उन्होंने कहा कि लोगो के पीछे उनकी सोच थी कि लोग खुद फील करें कि वो सेब में से एक बाइट ले रहे हैं।

​एप्पल के लोगो का सफर​

वहीं एप्पल के लोगो को लेकर ये भी कहा जाता है कि स्टीव जॉब्स का नार्थ कैलिफोर्निया में सेब का बगीचा था, जहां वो अपना काफी वक्त बिताते थे। इसलिए उन्होंने इसे लोगो चुना। साल 1977 में कटा हुआ सेब एप्पल का लोगो बना, जिसे रॉब जेनिफ ने डिजाइन किया। साल 1977 से लेकर 1998 तक इसका रंग रेनबो रखा गया। साल 1998 में इसे बदलकर गोल्डन कर दिया गया। एप्पल लोगो का रंग बदलता रहा। कभी वो पूरा नीला तो कभी ग्रे और कभी शाइनिंग ग्रे हो गया।

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