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न्यूक्लियर-बायोलॉजिकल अटैक हुआ तो भी देख लेंगे… भारत और अमेरिका पहली बार कर रहे ऐसा युद्धाभ्यास

नई दिल्ली: बीते साल मई के महीने में रूस और यूक्रेन युद्ध के दौरान रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल की चर्चा ने जोर पकड़ा था। दरअसल यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने रूस पर रासायनिक हाथियारों का इस्तेमाल करने का अंदेशा जताया था। उन्होंने पश्चिमी देशों से इस संभावित हमले को रोकने के लिए और कड़े प्रतिबंध लगाने का आह्वान किया था। वहीं कुछ अपुष्ट रिपोर्ट्स में कहा जा रहा था कि दक्षिणी यूक्रेन के मारियुपोल में रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया गया है। यह रिपोर्ट सही है या गलत इस पर अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है, लेकिन रासायनिक हमले के डर से दुनिया के देश जरूर सतर्क हो गए हैं। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका और भारत ने भी रासायनिक और जैविक हमलों से निपटने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। भारत की नैशनल सिक्यॉरिटी गार्ड (NSG) और अमेरिका का स्पेशल ऑपरेशन्स फोर्स (SOF) अपने छठवें संयुक्त आतंकरोधी अभ्यास तरकश (Tarkash Exercise) में पहली बार केमिकल, बायोलॉजिकल, रेडियोलॉजिकल और न्यूक्लियर हमलों से निपटने और उन्हें विफल करने की ट्रेनिंग चेन्नई में ले रहे हैं। 16 जनवरी 2023 से शुरू हुए इस संयुक्त अभ्यास का समापन 14 फरवरी को होगा।

दोनों देशों के सैनिकों ने किया अभ्यास

सूत्रों ने कहा कि चेन्नई अभ्यास के दौरान किए गए विभिन्न आतंकवाद विरोधी अभ्यासों में आतंकवादियों की ओर से रासायनिक और जैविक हमलों का मुकाबला करने के लिए एक अभ्यास किया गया। इस संयुक्त अभ्यास में पहली बार रासायनिक, जैविक, रेडियोलॉजिकल और परमाणु (CBRN) अटैक से बचने के लिए अभ्यास किया गया। मॉक ड्रिल के दौरान रासायनिक एजेंटों से लैस एक आतंकवादी संगठन ने एक अंतरराष्ट्रीय शिखर सम्मेलन के दौरान एक कन्वेंशन हॉल पर हमला करने की धमकी दी। मॉक ड्रिल में शामिल एनएसजी और यूएस (एसओएफ) टीमों की ओर से संयुक्त अभ्यास में आतंकवादियों के कब्जे से बंधकों को सुरक्षित छुड़ाना और आतंकवादियों के रासायनिक हथियारों को निष्क्रिय करना था। अमेरिकी विशेष बलों और एनएसजी के रासायनिक, जैविक, रेडियोलॉजिकल और परमाणु युद्ध के विशेषज्ञों ने शहरी आतंकवाद विरोधी माहौल में सीबीआरएन खतरे से निपटने के लिए खास चर्चा की।

‘भविष्य के खतरों से सतर्क रहना है’

एनएसजी के महानिदेशक एमए गणपति ने कहा, ‘एनएसजी को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भविष्य के खतरों से अवगत रहना है और सीबीआरएन खतरों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए विशिष्ट क्षमताओं का विकास किया है।’ संयुक्त अभ्यास के दौरान दोनों बलों ने चेन्नई में कई स्थानों पर संयुक्त आतंकवाद रोधी अभ्यास किया। अधिकारी ने कहा, ‘शहरी क्षेत्र की चुनौतियों को देखते हुए यह अभ्यास भी मॉक ड्रिल में किया गया कि भारतीय वायुसेना के हेलिकॉप्टर से सुरक्षा बल की छोटी टीम एक परिसर में उतरती है और समिट वाले ऑडिटोरियम में पहुंचकर आतंकी हमले को नाकाम कर देती है।’

रसायनिक हमले अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, आतंकवादियों की डब्ल्यूएमडी या सीबीआरएन तक पहुंच और उपयोग करने की संभावना अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है। आतंकवादी समूह ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाने के लिए हमलों में सीबीआरएन उपरकणों से लैस हथियारों का उपयोग कर रहे हैं। आतंकी समूह एक से बढ़कर एक खतरनाक हथियारों का जखीरा जुटाने की कोशिश कर रहे हैं और उनके इस्तेमाल की ट्रेनिंग भी ले रहे हैं। ये सब वर्षों से चल रहा है। तकनीक में हो रही प्रगति और डार्क वेब सहित कानूनी और अवैध वाणिज्यिक चैनलों के विस्तार के साथ, इनमें से कुछ हथियार तेजी से सुलभ हो गए हैं।

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