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बदल जाएगी एशिया की सबसे बड़ी बस्ती धारावी:अडानी ग्रुप ने रिडेवलपमेंट के लिए जीती बोली

मुंबई में मौजूद एशिया के सबसे बड़े स्लम धारावी को अडानी ग्रुप रिडेवलप करेगा। अडानी ग्रुप ने सबसे ज्यादा 5,069 करोड़ रुपए की बोली लगाकर इस प्रोजेक्ट को हासिल किया है। बोली लगाने में दूसरे नंबर पर DLF ग्रुप रहा जिसने 2,025 करोड़ रुपए की बोली लगाई, जबकि नमन ग्रुप की बोली रद्द कर दी गई। इस टेंडर में 8 ग्लोबल कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई थी लेकिन असल में सिर्फ तीन कंपनियों ने टेंडर जमा किए।

धारावी रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट लगभग दो दशकों से अटका हुआ है। धारावी को दुनिया की बड़ी बस्तियों में से एक माना जाता है। ये मुंबई में ऐसी जगह पर है जो रियल एस्टेट के सोने की तरह है। ये मुंबई के मध्य में बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स के करीब है। बांद्रा-कुर्ला को भारत की रिचेस्ट बिजनेस डिस्ट्रिक्ट माना जाता है। भूमि अधिग्रहण और पुनर्वास की पेचीदा जटिलताओं के बीच, इसके रिडेवलपमेंट में बड़े पैमाने पर धन का निवेश होगा।

1 जनवरी 2000 से पहले के लोगों को फ्री में मकान
धारावी रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट 20 हजार करोड़ का है। सरकार का लक्ष्य अगले 17 साल में प्रोजेक्ट पूरा करना और सात साल में पूर्ण पुनर्वास करना है। प्रोजेक्ट के तहत, जो लोग 1 जनवरी 2000 से पहले से धारावी में रह रहे हैं उन्हें फ्री में पक्का मकान दिया जाएगा। जबकि, जो लोग 2000 से 2011 के बीच आकर यहां बसे हैं, उन्हें इसके लिए कीमत चुकानी होगी।

फिल्मों से बड़ी लोकप्रियता, टूरिस्ट भी आते हैं
साल 2008 में ‘स्लमडॉग मिलियनेयर’ फिल्म के रिलीज़ होने के बाद इस क्षेत्र को लोकप्रियता मिली। फिल्म ने कई अवॉर्ड भी जीते। इसके बाद फिल्म गली बॉय में ये देखने को मिली थी। कई टूरिस्ट यहां भारत की बस्ती में रहने वालों के जीवन की झलक देखने आते हैं।

1882 में अंग्रेजों ने बसाया था
इस इलाके को 1882 में अंग्रेजों ने बसाया था। मजदूरों को किफायती ठिकाना देने के मकसद से इसे बसाया गया था। धीरे-धीरे यहां लोग बढ़ने लगे और झुग्गी-बस्तियां बन गईं। यहां की जमीन सरकारी है, लेकिन लोगों ने झुग्गी-बस्ती बना ली है।

एक लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार
2.8 वर्ग किमी में फैली झुग्गी बस्ती में चमड़े की चीजें, और मिट्टी के सजावटी बर्तन तैयार किए जाते हैं। यहां तैयार सामानों को देश-विदेशों में बेचा जाता है। इससे एक लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलता है। राज्य सरकार इस पूरे इलाके को बेहतर शहरी इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ गगनचुंबी इमारतों के ग्रुप में बदलना चाहती है। धारावी में 60 हजार परिवार और करीब 12 हजार कमर्शियल कॉम्प्लेक्स हैं। कुल करीब 10 लाख लोग रहते हैं।

प्रोजेक्ट को पहली बार 1999 में प्रस्तावित किया
1999 में, भाजपा-शिवसेना सरकार ने पहली बार धारावी के पुनर्विकास का प्रस्ताव रखा था। इसके बाद, 2003-04 में महाराष्ट्र सरकार ने धारावी को एक इंटीग्रेटेड प्लान्ड टाउनशिप के रूप में पुनर्विकास करने का निर्णय लिया और इसके लिए एक कार्य योजना को मंजूरी दी गई और टेंडर निकाले गए। हालांकि 2011 में सरकार ने सभी निविदाओं को रद्द कर दिया और एक मास्टर प्लान तैयार किया।

2019 में अडाणी ग्रुप हारा बोली
2018 में, भाजपा-शिवसेना सरकार ने धारावी के लिए एक स्पेशल पर्पज व्हीकल का गठन किया और इसे पुनर्विकास परियोजना के लिए नोटिफाई किया। बाद में ग्लोबल टेंडर आमंत्रित किए गए। जनवरी 2019 में दुबई स्थित इंफ्रास्ट्रक्चर फर्म सिकलिंक टेक्नोलॉजीज कॉरपोरेशन ने अडाणी ग्रुप को हराकर बोली जीती, लेकिन पुनर्विकास परियोजना में रेलवे की जमीन को शामिल करने के फैसले के बाद टेंडर नहीं दिया गया।

2020 में सरकार बदली और टेंडर कैंसिल
2020 तक, महाराष्ट्र सरकार बदल गई थी, और उसी साल अक्टूबर में, उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र विकास अघाडी सरकार (MVA) ने टेंडर कैंसिल कर दिया और कहा कि जल्द ही नई निविदाएं मंगाई जाएंगी। MVA सरकार ने आरोप लगाया था कि टेंडर कैंसिल करने के कारणों में से एक केंद्र की ओर से परियोजना के लिए महत्वपूर्ण रेलवे भूमि को ट्रांसफर करने में देरी थी।

फिर बदली सरकार और अडाणी को टेंडर
फिर से सरकार बदलने और एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद नए सिरे से निविदाएं आमंत्रित की गई थीं जिसमें अडाणी ग्रुप ने टेंडर हासिल किया। पिछले 15 साल में, महाराष्ट्र सरकार ने पुनर्विकास के लिए कम से कम चार प्रयास किए जो अब जाकर सफल हो पाया है।

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