उत्तर प्रदेशरोजमर्रा

डा प्रियंका भारद्वाज,फिजियोथेरेपिसट , बनी बांदा की पहली कायरोप्रैक्टिक एक्सपर्ट।

कायरोप्रैक्टिक के द्वारा खिसकी हुई हड्डियों को पुनः अपनी सामान्य स्थिति में लाते हैं।

बांदा – गत दिनों दिल्ली में आयोजित गॉनस्टीड कायरोप्रैक्टिक बायो मैकेनिकल कार्यशाला में अपने बांदा शहर की सीनियर फिजियोथेरेपिसट डा प्रियंका भारद्वाज (एमपीटी,आर्थो) ने प्रशिक्षण लिया था।इस विधि की यह देश की पहली कार्यशाला थी। डा प्रियंका ने बताया कि पहले बांदा, चित्रकूट और आस पास के लोग इस तकनीक द्वारा इलाज के लिए दर्द में ही सफर करके दिल्ली,गुरुग्राम और बिहार जैसे बड़े शहरों में ये सुविधा लेने जाते थे, पर अब मरीज ये सुविधा अपने शहर बांदा (आवास विकास,B -224,TVS agency के पीछे)में ही ले सकते हैं।कमर दर्द, सायटिका,माइग्रेन, गर्दन दर्द,डिस्क प्रॉब्लम्स,घुटनों का गठिया का इस तकनीक द्वारा इलाज किया जाता है।

डा प्रियंका ने यह भी बताया कि मांसपेशियों और नसों के कुछ रोग ऐसे होते है जो सिर्फ दवा से ठीक नहीं होते,उन रोगों में दवा के साथ साथ फिजियोथेरेपी भी करवानी पड़ती है। फिजियोथैरेपी के अभाव में रोगी उस वक्त तो ठीक हो जाते हैं पर कुछ समय बाद फिर से वही समस्या दोबारा होने लगती है। फिजियोथैरेपी द्वारा मांसपेशियों और नसों को फिर से नॉर्मल स्थिति में लाया जाता है और कायरोप्रैक्टिक के द्वारा खिसकी हुई हड्डियों को फिर से अपनी सामान्य स्थिति में लाने की कोशिश करते है।

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