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पहली बार इंडोनेशिया पहुंच गई अपनी ‘सिंधुकेसरी’, चीन की उड़ गई नींद

नई दिल्ली: दक्षिण चीन सागर (South China Sea) में चीन और इंडोनेशिया के संघर्ष के बीच पहली बार भारतीय पनडुब्बी आईएनएस सिंधुकेसरी (INS Sindhu kesari) इंडोनेशिया पहुंची हैं। इंडोनेशिया दक्षिण चीन सागर में चीन के साथ अन्य आसियान देशों की तरह समुद्री विवाद में फंसा हुआ है। यहां पहली बार भारत की पनडुब्बी देखकर चीन की टेंशन जरूर बढ़ गई है। तीन हजार टन डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी INS सिंधुकेसरी बुधवार को सुंडा जलडमरूमध्य को पार कर अपने पहले परिचालन टर्न अराउंड के लिए जकार्ता पहुंची। नौ सेना के वरिष्ठ अधिकारी ने हमारे सहयोगी संस्थान टाइम ऑफ इंडिया को बताया कि भारतीय युद्धपोत अक्सर ही इंडोनेशिया और अन्य आसियान देशों का दौरा करते हैं। पहली बार किसी भारतीय पनडुब्बी ने खतरनाक हथियारों के साथ दक्षिण चीन सागर में इतनी लंबी दूरी तय की है।

जानें क्या है खासियत

पिछले साल जनवरी में 375 मिलियन के करार के अनुसार, भारत ब्रह्मोस के तट-आधारित एंटी-शिप सिस्टम की तीन मिसाइल बैटरी की आपूर्ति करेगा, जो एक घातक पारंपरिक (गैर-परमाणु) हथियार है जो 290 किमी की स्ट्राइक रेंज के साथ मच 2.8 पर ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना अधिक उड़ता है। ऐसा अनुमान जताया जा रहा है कि भारत के आईएनएस सिंधुकेसरी के इंडोनेशिया पहंचने के बाद दक्षिण चीन सागर के विवाद में चीन के साथ फंसे ताइवान, मलेशिया, फिलीपींस और वियतनाम देश से भी इस पनडुब्बी को लेकर समझौतों के रास्ते खुलेंगे। दरअसल भारत एक तरफ अफ्रीकी और खाड़ी देशों के साथ सैन्य संबंधों को बढ़ावा देने के अलावा सैन्य अभ्यास कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ पनडुब्बियों को संचालित करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों के जरिए आसियान देशों के साथ रक्षा सहयोग को लगातार बढ़ा रहा है।

पीएम मोदी ने इंडोनेशिया के साथ बढ़ाया रक्षा सहयोग

नौसेना के एक अन्य अधिकारी ने बताया कि ‘भारत और इंडोनेशिया ने कई क्षेत्रों में अपने रणनीतिक और रक्षा सहयोग का विस्तार किया है। खासकर 2018 में पीएम नरेंद्र मोदी की देश की यात्रा के दौरान एक नए रक्षा सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद यह तेजी से बढ़ा है।

रूस की रही अहम भूमिका

दो शिशुमार-क्लास (जर्मन HDW) और दो सिंधुघोष-क्लास (रूसी-मूल किलो-क्लास) पनडुब्बियों के साथ-साथ चार पुरानी सिंधुघोष-क्लास (रूसी-मूल किलो-क्लास) पनडुब्बियों को अपग्रेड करने के लिए रूस में सेवेरोडविंस्क ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया था। 1,197 करोड़ रुपये का ‘मीडियम रिफिट-कम-लाइफ एक्सटेंशन’ जो 2018 में पूरा हुआ था। इस महीने की शुरुआत में नागपुर में फिलीपींस के 21 सैन्य कर्मियों के लिए ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों के परिचालन प्रशिक्षण के बाद अब पनडुब्बी को इंडोनेशिया में तैनात किया गया है।

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