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अडानी ग्रुप के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच को सरकार तैयार, जानिए कौन करेगा

नई दिल्ली: (विशेष संवाददाता)। अडानी ग्रुप (Adani Group) को लेकर एक बड़ी खबर आई है। यह खबर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) की तरफ से आई है। उन्होंने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की निगरानी वाला एक पैनल अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) की ओर से अडानी समूह के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच करेगा। हालांकि उन्होंने इस बारे में विस्तार से बताने से इंकार किया है। उनका कहना है कि जब इस मामले की निगरानी कोर्ट से हो रही हो तो इस पर कुछ टिप्पणी करना उचित नहीं लगता। उनका कहना है कि सरकार भारत सरकार कंपनियों से दूर रहती है। वाशिंगटन में इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) की बैठक में भाग लेने के बाद दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि भारत सरकार पूरी कोशिश कर रही है कि इकॉनमी में तेजी बनी रहे।

तेल खरीद पर लगातार कर हैं आकलन

रूस से तेल (Crude Oil) की खरीद पर उन्होंने कहा कि कोई भी देश अपनी बड़ी आबादी की सेवा के लिए सस्ती कीमतों को देखेगा। सीतारमण ने कहा कि हमें लगातार आकलन करना होगा कि सबसे अच्छा सौदा कहां मिल से सकता है, क्योंकि यह अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण इनपुट है। ओपेक प्लस देशों की ओर से उत्पादन में कटौती किए जाने से ऊर्जा की लागत बढ़ती है तो दक्षिण एशियाई देश रूसी कच्चे तेल को जी-7 की ओर से लगाए गए प्राइस कैप के पास या उससे अधिक पर खरीद सकते हैं।

GDP में तेजी बनी रहेगी

GDP ग्रोथ पर वित्त मंत्री ने कहा कि भारत सरकार पर्याप्त उपाय कर रही है, जिससे देश की GDP ग्रोथ में तेजी बनी रहे। बेशक मैन्युफैक्चरिंग वस्तुओं और सेवाओं की गतिविधियों की डिमांड में कमी इस राह में बड़े कांटे हैं। उनको दूर करना होगा। गौरतलब है कि इस साल के बजट में इससे जुड़े कई उपायों की घोषणा की गई है।

इकॉनमी पर है RBI की पैनी नजर

सीतारमण ने कहा कि RBI भारत की इकॉनमी पर पैनी नजर बनाए हुए है। इस बार रेपो रेट (Repo Rate) में बढ़ोतरी नहीं की गई है। इंडस्ट्री ने इस कदम का स्वागत किया है। मगर जहां तक महंगाई की बात है तो इस मोर्चे पर मानसून की बौछारों से काफी कुछ तय होगा। वित्तीय घाटे पर उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि बजट में GDP के परिपेक्ष्य में 5.9% के वित्तीय घाटे का जो लक्ष्य तय किया गया है, उसको हासिल कर लिया जाएगा।

निजीकरण की गति धीमी क्यों

सरकारी कंपनियों के निजीकरण (Privatisation) की धीमी गति पर सीतारमण ने कहा, निजीकरण करना इतना आसान नहीं। निजीकरण करने से पहले कई चरणों से गुजरना पड़ता है। सरकार उन कंपनियों का निजीकरण करना चाहती है, जो कारोबारी रूप से उसके लिए चिंता का कारण बने हुए हैं। रोजगार पर उन्होंने कहा कि सरकारी मंत्रालयों और विभागों में खाली पदों को भरने के लिए कहा गया है। प्राइवेट सेक्टर में स्किल विकसित करने पर जोर दिया जा रहा है।

क्रिप्टो पर सहमति

क्रिप्टोकरंसी (Cryptocurrency) पर सीतारमण ने कहा कि अगर जी-20 सदस्यों के बीच आम सहमति है, तो हम एक व्यापक ढांचे को देखेंगे और प्रत्येक देश को अपने स्वयं के विधायी ढांचे को अपनाने के लिए छोड़ देंगे।

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