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पाकिस्तान के लिए ‘जहर’ न बन जाए IMF की ‘दवा’, अवाम की खून-पसीने की कमाई चूस लेंगे शहबाज शरीफ

इस्लामाबाद: पाकिस्तान इस समय आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहा है। ऐसे में अब शहबाज सरकार ने जनता की ‘बलि’ चढ़ाने का फैसला कर लिया है। पाकिस्तान जल्द से जल्द IMF के साथ डील करना चाहता है। अगर यह डील होती है तो तय है कि पाकिस्तान में महंगाई बढ़ेगी। विदेशी मुद्रा भंडार की कमी से जूझ रहा पाकिस्तान अपनी अर्थव्यवस्था को बचाए रखने और डिफॉल्ट से बचने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और अन्य देशों से कर्ज को लेकर बातचीत कर रहा है। IMF कर्ज के साथ सख्त शर्तें लगाता है, जो पाकिस्तानी जनता के लिए मुश्किलें पैदा करेगा।

IMF की शर्तें पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था के लिए किसी कड़वी दवा की तरह हो सकती है। IMF की शर्तों में बजट घाटे को कम करना, राजस्व को बढ़ाना, बिजली और पेट्रोलियम की सब्सिडी को समाप्त करना और विदेशी मुद्रा बाजार के हस्तक्षेप को कम करना शामिल है। पाकिस्तान की सरकार ने IMF के साथ बातचीत को बढ़ाने के लिए दो बड़ी शर्तों को लागू भी कर दिया है। IMF की कर्ज की शर्तों में से एक को पूरा करने के लिए अधिकारियों की ओर से एक्सचेंज रेट में ढील दी गई है, जिसके बाद रुपए में एक बड़ी गिरावट देखने को मिली है।

मिनी बजट से जनता पर आएगा बोझ
सरकार लगातार IMF की उन शर्तों में ढील की मांग कर रही है, जो जनता पर दबाव डालेंगे, जैसे ईंधन सब्सिडी में कटौती। सरकार अब IMF फंड को लुभाने के लिए एक मिनी बजट भी पेश करने की तैयारी कर रही है। पाकिस्तानी कंपनी आरिफ हबीब लिमिटेड ने एक नोट जारी करते हुए कहा कि मिनी बजट प्रस्तावित कर दिया गया है। इसमें बताया गया है कि सरकार हर वह कदम उठाएगी जो पैसा बढ़ाएं। इसमें कहा गया है सरकार एक्साइज ड्यूटी बढ़ा कर 25-30 अरब रुपए जुटाना चाहती है।

क्या हो सकता है मिनी बजट में

आरिफ हबीब लिमिटेड की ओर से कहा गया है कि बैंकों की विदेशी मुद्रा आय पर टैक्स लगाया जा सकता है, जिससे 20 अरब रुपए जुटाए जाएंगे। तीन फीसदी का बाढ़ शुल्क से 50 अरब रुपए जुटाने का अनुमान है। चीनी वाले पेय पदार्थ पर अतिरिक्त टैक्स लगा कर 60 अरब रुपए इकट्ठा किए जाएंगे। सस्टेनेबल डेवलपमेंट पॉलिसी इंस्टीट्यूट के उप कार्यकारी निदेशक वकार अहमद ने कहा कि सरकार आने वाले मिनी बजट में नए टैक्स जोड़ सकती है। बाढ़ के प्रभाव से निपटने के लिए टैक्स बढ़ाया जा सकता है।

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