उत्तर प्रदेश

गुलाला घाट पर क‍िया गया अंतिम संस्कार, आशुतोष टंडन के निधन पर CM योगी ने घर पहुंचकर दी श्रद्धांजलि

लखनऊ। पूर्वी विधानसभा सीट से भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री 63 वर्षीय आशुतोष टंडन ‘गोपाल’ का गुरुवार को मेदांता अस्पताल में निधन हो गया। वह पिछले कई दिनों से भर्ती थे और घर वापसी के बाद उन्हें फिर से भर्ती कराना पड़ा था। वह मेटास्टैटिक कैंसर से पीड़ित थे। मेदांता के चिकित्सकों के मुताबिक उनका मल्टी आर्गन फेल हो रहा था। महत्वपूर्ण अंगों के काम न करने से उन्हें बीस दिनों से वेंटिलेटर पर रखा गया था। गुरुवार सुबह साढ़े दस बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। उनका अंतिम संस्कार गुरुवार शाम को गुलाला घाट पर किया गया। मुखाग्नि छोटे भाई अमित टंडन ने दी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक श्रद्धांजलि देने चौक स्थित आवास पहुंचे।

गुलाला घाट पर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना, मंत्री जितिन प्रसाद, नन्द गोपाल गुप्ता नन्दी, दया शंकर सिंह समेत भाजपा नेता भी पहुंचे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ ही सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी उनके निधन पर दुख जताया है। उनका शव भाजपा मुख्यालय भी लाया गया, जहां भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी समेत अन्य ने श्रद्धांजलि दी। उनके निधन से शहर समेत चौक में शोक की लहर छा गई।

पूर्व मंत्री और अटल बिहारी वाजपेयी के खास रहे दिवंगत लालजी टंडन के तीन पुत्रों में गोपाल सबसे बड़े थे। परिवार में पत्नी के अलावा बेटी है, जिसका विवाह हो चुका है। मध्य प्रदेश और बिहार के राज्यपाल रह चुके लालजी टंडन से राजनीति के गुर सीखने वाले गोपाल टंडन जनता के बीच लोकप्रिय थे। पिता की राजनीतिक विरासत को उन्होंने संभाला था। वर्ष 2014 के चुनाव में कलराज मिश्र के देवरिया से सांसद चुने जाने के बाद पूर्वी विधानसभा सीट रिक्त हो गई थी।

उप चुनाव में भाजपा ने गोपाल टंडन को मैदान में उतारा था और वह जीत गए। इससे पहले वह पश्चिम विधानसभा सीट से सपा उम्मीदवार से चुनाव हार गए थे। उप चुनाव जीतने के बाद से गोपाल टंडन का राजनीतिक सफर आगे बढ़ने लगा था और प्राविधिक एवं चिकित्सा शिक्षा से लेकर नगर विकास विभाग का जिम्मा उन्हें दिया गया था। पूर्वी विधानसभा सीट से 2017 और 2022 का चुनाव भी उन्होंने जीता था, लेकिन दूसरी बार की योगी सरकार में उन्हें मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिल पाई थी। दारुलशफा के त्रिलोकनाथ रोड पर सरकारी बंगले पर वह उसी तरह से जनता से मिलते थे, जिस तरह से उनके पिता लालजी टंडन मिला करते थे।

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