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कहीं वंदे भारत का हाल भी न हो जाए बेहाल, ट्रेनें तो खूब चल रहीं पर यात्री नहीं आ रहे, भारतीय रेल से भंग हो रहा मोह?

नई दिल्ली: भारतीय रेलवे (Indian Railways) लगातार विस्तार कर रहा है। एक के बाद एक वंदे भारत ट्रेनों (Vande Bharat Express) की शुरुआत हो रही है। अब तक देश को 14 वंदे भारत ट्रेनों का तोहफा मिल चुका है । इस लिस्ट में कई और वंदे भारत ट्रेनों का नाम जुड़ने वाला है। एक तरफ ऱेलवे विस्तार कर रहा है तो दूसरी ओर एक अलग तस्वीर सामने आ रही है। रेल यात्रियों की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है। रेलवे में यात्रियों की संख्या अब तक प्री कोविड स्तर पर नहीं पहुंच सकी हैं। मौजूदा वित्त वर्ष में रेल यात्रियों की संख्या में लगातार गिरावट आई है। चालू वित्त वर्ष में फरवरी तक 11 महीनों में ट्रेन से सफर करने वाले यात्रियों की संख्या में आई गिरावट हैरान करने वाली है। वित्त वर्ष 2019-20 के मुताबिक इस वित्त वर्ष में रेल यात्रियों की संख्या में 1815 करोड़ की कमी आई है।


पिछले पांच वर्षों के आंकड़ों को देखें तो साल 2019-20 में रेलवे से 7674 करोड़ लोगों ने सफर किया था। जबकि साल 2018-19 में 7725 करोड़ यात्रियों ने रेल यात्री की थी। लेकिन कोराना महामारी और लॉकडाउन के बाद रेल यात्रियों की संख्या में भारी गिरावट देखने को मिल रही है। साल 2020-21 में मात्र 985 करोड़ लोगों ने रेल से सफर किया था । ये संख्या साल 2021-22 में बढ़कर 3063 अरब पर पहुंच गई। जबकि साल 2022-23 में ये नंबर 5858 करोड़ पर पहुंच गए। इन नंबर्स को देखकर आपको लग रहा होगा कि हर साल करोड़ों की संख्या में रेल यात्री ट्रेनों से सफर करते हैं, लेकिन इन नंबर्स ने रेलवे की टेंशन बढ़ा दी है। साल 2022-23 में यात्रियों की संख्या अभी भी प्री कोविड पीरियड से 24% कम है।

सब अर्बन और नॉन सब अर्बन कैटेगरी में बंटी रेल यात्रियों की संख्या में लगातार कमी आ रही है। सब अर्बन सर्विसेज में छोटी दूरी वाली ( 150 किमी से कम दूरी) ट्रेनें आती है। साल 2022-23 में कोलकाता, चेन्नई, मुंबई सब अर्बन सेक्शन में यात्रियों की संख्या 858 करोड़ रही, जो साल 2029-20 के मुकाबले 20 फीसदी कम है। वेस्टर्न जोन के सब अर्बन ट्रैफिक में सबसे अधिक गिरावट देखने को मिली। वहीं सेंट्रल जोन के सब अर्बन ट्रैफिक में 127 करोड़ की कमी आई। इसी तरह से साउथ जोन में 85 करोड़ की कमी आई है। नॉन सब अर्बन जोन की बात करें तो नॉर्दन जोन में सबसे ज्यादा की गिरावट आई है। इन जोन में साल 2019-20 के मुकाबले इस वित्त वर्ष में 176 करोड़ कम रेल यात्रियों ने सफर किया।

क्यों घट रहे हैं रेल यात्री

रेल यात्रियों की संख्या में आ रही इस गिरावट के पीछे कई कारक है। रेल किराए में लंबे वक्त से कोई कटौती नहीं की गई है। कोराना के समय वरिष्ठ नागिरकों को किराए में मिलने वाली छूट भी खत्म कर दी गई। रेल किराए पर लगने वाले डायनामिक फेयर के कारण लोगों को रेल टिकटों पर ऊंची कीमत चुकानी पड़ती है। कई बार को रेल किराया फ्लाइट टिकट के बराबर हो जाती है। ऐसे स्थिति में लोग रेल के मुकाबले फ्लाइट टिकट का चुनाव करना बेहतर समझते है। खासकर प्रीमियम ट्रेनों का किराए को देखते हुए लोग समय को बचाने के लिए फ्लाइट से सफर करना बेहतर मानते हैं। इतना ही नहीं जिस तरह से पिछले दो-तीन सालों से देश में एक्सप्रेसवे और हाईवे का जाल बिछ रहा है, लोग रेल के मुकाबले सड़क यात्रा करने को बेहतर मान रहे है। उदाहरण के तौर पर दी देखें तो रेल से दिल्ली से जयपुर जाने में जहां चार लोगों का टिकट दितने का होगा, उतने में पूरा परिवार लगभग उतने ही समय में अपनी कार से दिल्ली से जयपुर पहुंच जाता है। अपनी गाड़ी से जाने पर ट्रेन के साथ की टाइमिंग की कोई बाध्यता नहीं होती है।

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