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सैलरीड क्लास के लिए ये है TAX बचाने का ‘रामबाण’ उपाय, जानिए आठ वाला फॉर्मूला

नई दिल्ली: कई कंपनियां अपने कर्मचारियों को वित्त वर्ष की शुरुआत में अपने CTC में फेर बदल करने की अनुमति देती हैं। यदि आपकी कंपनी आपको यह विकल्प देती है तो टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक टैक्स बचाने वाले उपायों को चुनकर आप खुद अपना सैलरी ब्रेक-अप तैयार कर सकते हैं। आइए ऐसे आठ तरह की छूट या कटौतियों के बारे में समझते हैं जिन्हें CTC का हिस्सा बनाकर अच्छा खासा टैक्स बचाया जा सकता है :

1. फ्यूल, ट्रैवल रीइंबर्समेंट्सयदि काम के लिए टैक्सी से यात्रा कर रहे हैं, तो पूरी रकम कंपनी से वापस ले सकते हैं जिस पर कोई टैक्स देनदारी नहीं होगी। यदि ऑफिस के काम के लिए खुद की गाड़ी से जा रहे हैं या फिर कार कंपनी ने मुहैया कराई हो तो आप फ्यूल और मेंटिनेंस खर्चों की वापसी के लिए दावा कर सकते हैं। यदि गाड़ी खुद के इस्तेमाल में भी ला रहे हैं तो खर्चे पर 1.6 लीटर से कम इंजन वाली कारों के लिए 2,700 रुपये और बड़ी कारों के लिए 3,300 रुपये की टैक्सेबल वैल्यू बनती है।

2. ड्राइवर का वेतन

सीनियर इग्जेक्यूटिव को ड्राइवर रखने का ऑप्शन भी दिया जाता है। ड्राइवर को दी जाने वाली सैलरी की 900 रुपये प्रति महीने की टैक्सेबल वैल्यू होती है लेकिन यह आपके टैक्स का एक बड़ा हिस्सा बचा सकता है।

3. लीव ट्रैवल असिस्टेंस (LTA)

चार साल की अवधि में दो बार दावा करने पर छुट्टियों के दौरान आपके परिवार की ट्रैवल लागत का रीइंबर्समेंट टैक्स फ्री होता है। पिछले दो वर्षों से कोविड संबंधी रोक टोक के चलते LTA का इस्तेमाल पूरी क्षमता से नहीं हो सका है। लेकिन अब जब घूमने-फिरने पर लगी रोक हटा दी गई हैं, तो अपने CTC में इस बड़े टैक्स सेवर को चुनने में ही समझदारी है। LTA को साल की शुरुआत में CTC का हिस्सा बना देना चाहिए। आप वर्ष के दौरान बाद में इसका विकल्प नहीं चुन सकते हैं या ITR दाखिल करते समय इसका दावा नहीं कर सकते हैं।

4. चल संपत्ति

अगर कंपनी अपने कर्मचारियों के लिए चल संपत्ति खरीदने की पेशकश करती है तो बड़ी बचत संभव है। सेक्शन 17(2) के तहत, कंपनी के नाम से खरीदे गए और व्यक्तिगत इस्तेमाल के लिए कर्मचारी को दिए गए गैजेट और अप्लायंसेज पर कीमत के केवल 10% पर टैक्स लगाया जाता है। कंप्यूटर के मामले में कोई टैक्स नहीं है।

5. इंटरनेट, फोन बिल

कोविड महामारी के दौरान जब लोग घर से काम कर रहे थे तो इंटरनेट और फोन बिल बढ़ गए। इन खर्चों के रीइंबर्समेंट पर ऍम्पलॉयी को कोई टैक्स नहीं देना होता है। लेकिन आपको ओरिजन बिल जमा कराना होता है।

6. न्यूजपेपर, मैग्जीन

इसी तरह, समाचार पत्रों और पत्रिकाओं के बिल जमा कराते हैं तो इसके रीइंबर्समेंट पर भी टैक्स नहीं देना होता है।

7. भोजन कूपन

यह प्रति भोजन 50 रुपये तक टैक्स फ्री है जो लगभग 2,200 रुपये महीना बैठता है। यह सुविधा कई वर्षों से मौजूद होने के बावजूद इसका बहुत व्यापक रूप से इस्तेमाल नहीं हो सका है। लेकिन डिजिटल वॉलेट की शुरुआत ने कर्मचारियों के लिए हर भोजन का बिल रखे बिना इस भत्ते का इस्तेमाल करना आसान बना दिया है। इतना ही नहीं, डिजिटल वॉलेट की बदौलत कंपनियों के लिए भी कम्पलायंस यानी अनुपालन आसान हो गया है।

8. NPS में योगदान

रिटायरमेंट कॉर्पस बनाते समय यह टैक्स को काफी कम कर सकता है। सेक्शन 80CCD(2) के तहत NPS में रखे गए बेसिक पे के 10% तक टैक्स फ्री है। फिर भी, जिन्हें इसकी पेशकश की गई है उनमें से मुश्किल से 10% कर्मचारियों ने वास्तव में इसका विकल्प चुना है। एक सच्चाई यह भी है कि NPS लागत के मामले में म्यूचुअल फंड से अधिक किफायती और रिटर्न के मामले में प्रॉविडेंट फंड, PPF और दूसरे इंश्योरेंस प्लान को को मात देता है। हालांकि, NPS का विकल्प चुनने से आपकी टेम होम सैलरी घट जाएगी क्योंकि यह पैसा इन्वेस्ट हो जाता है।

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