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मुकेश अंबानी हर काम से पहले लेते हैं इनकी सलाह, अंबानी परिवार से है खास नाता, जानिए कौन हैं ये

नई दिल्ली: दिग्गज कारोबारी मुकेश अंबानी को उनके सटीक फैसलों के लिए जाना जाता है। रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) का कारोबार लगातार बढ़ रहा है। धीरूभाई अंबानी (Dhirubhai Ambani) के बाद अब मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) कारोबार को नई ऊंचाईयों पर पहुंचा रहे हैं। मुकेश अंबानी को परिवार के साथ अक्सर धार्मिक कार्यक्रमों में देखा जाता है। खासतौर से मुकेश अंबानी की मां कोकिलाबेन अंबानी काफी आध्यात्मिक प्रवृत्ति की हैं। मुकेश अंबानी की सफलता के पीछे उनकी मजबूत टीम भी शामिल है। हालांकि बहुत ही कम लोगों को मुकेश अंबानी के आध्यात्मिक गुरु के बारे में जानकारी है।


अंबानी परिवार (Ambani Family) हर बड़े काम से पहले इनकी सलाह जरूर लेता है। मुकेश अंबानी के आध्यात्मिक गुरु का नाम रमेश भाई ओझा (Ramesh Bhai Ojha) है। भाईश्री के नाम से ख्याति प्राप्त रमेश भाई ओझा (Ramesh Bhai Ojha) ही वह शख्स हैं जिन्होंने मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) और अनिल अंबानी (Anil Ambani) के बीच कारोबारी साम्राज्य को लेकर छिड़े संघर्ष में समझौता कराने का काम किया था।


कौन हैं रमेश भाई ओझा

रमेश भाई ओझा (Ramesh Bhai Ojha) एक जाने-माने आध्यात्मिक गुरु हैं। रमेश भाई गुजरात के पोरबंदर में एक आश्रम चलाते हैं, जिसका नाम संदीपनी विद्यानिकेतन आश्रम है। आध्यात्मिक गुरु रमेश भाई ओझा, धीरूभाई अंबानी के समय से ही अंबानी परिवार के संरक्षक बने हुए हैं। ऐसा बताया जाता है कि कोकिलाबेन अक्सर उनके वीडियोज देखा करती हैं। उनसे प्रभावित होकर उन्होंने गुरु रमेश भाई ओझा (Ramesh Bhai Ojha) को साल 1997 में अपने घर राम कथा कराने के लिए आमंत्रित किया था। यह कार्यक्रम एक सप्ताह तक चला था। इस दौरान रमेश भाई ओझा और अंबानी परिवार के अच्छे रिश्ते बन गए थे। यह अभी तक चले आ रहे हैं।


हर बड़े काम से पहले लेते हैं सलाह

अंबानी परिवार (Mukesh Ambani Family) हर बड़े काम से पहले रमेश भाई ओझा (Ramesh Bhai Ojha) की सलाह जरूर लेता है। जब जामनगर में रिलायंस ने अपनी पहली रिफाइनरी स्थापित की थी, तो इसका उद्घाटन रमेश भाई ओझा ने ही किया था। रमेश भाई ओझा (Ramesh Bhai Ojha) का जन्म गुजरात के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनकी दादी भागवत गीता को बहुत मानती थीं। वह चाहती थीं कि उनके घर में रोज भागवत गीता का पाठ हो। दादी की इच्छा को पूरा करने के लिए रमेश भाई ओझा रोज गीता का पाठ करने लगे। इसके बाद उनकी रुचि आध्यात्म के प्रति बढ़ गई और वो आध्यात्मिक गुरु बन गए।

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