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सऊदी अरब, चीन, यूएई… दोस्तों के आगे गिड़गिड़ा रहा पाकिस्तान, IMF ने फंसाया बड़ा पेंच, लोन के लिए रखी बड़ी शर्त

इस्लामाबाद : पाकिस्तान वर्तमान में अपने सबसे गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है। जनता महंगाई और टैक्स के बोझ तले दबी हुई है और सरकार उसे लगातार बढ़ाती जा रही है। आईएमएफ की तरफ से भी झटका मिलने के बाद पाकिस्तान अब अपने पुराने सहयोगियों की तरफ देख रहा है। ऐसे समय में उसे चीन और सऊदी अरब की तरफ से ‘सकारात्मक संकेत’ मिले हैं। पाकिस्तान बुरी तरह कर्ज में फंसा हुआ है। पाकिस्तान ने 100 अरब डॉलर के कुल विदेशी कर्ज में 30 फीसदी अकेले सिर्फ चीन से लिया है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री दावा कर चुके हैं कि मुल्क दिवालिया हो चुका है।


पाकिस्तान सरकार आईएमएफ प्रोग्राम को पुनर्जीवित करना चाहती है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी पिछले हफ्ते म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन के मौके पर अपने सऊदी समकक्ष और चीनी विदेश नीति के प्रमुख से मिले थे। इस मुलाकात के बारे में अधिक जानकारी सामने नहीं आई है। सूत्रों के हवाले से द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने कहा कि बिलावल ने सऊदी विदेश मंत्री फैसल बिन फरहान अल सऊद और सीपीसी केंद्रीय समिति के पॉलिटिकल ब्यूरो के सदस्य और विदेशी मामलों के केंद्रीय आयोग के कार्यालय के निदेशक वांग यी के साथ आपसी हितों के मुद्दों पर चर्चा की।

मदद करना चाहते हैं सऊदी अरब और चीन!

रिपोर्ट के अनुसार मामले की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने कहा, ‘सऊदी और चीनी समकक्षों के साथ विदेशी मंत्री की बातचीत से मुझे जो जानकारी मिली, वह यह थी कि दोनों देश पाकिस्तान की मदद करने के इच्छुक हैं।’ म्यूनिख की बैठकों से पाकिस्तान के काफी उम्मीदें हैं। सूत्र ने दावा किया, ‘मैं बारीकी से तो नहीं बता सकता लेकिन मैं दावा करता हूं कि ये बैठकें वास्तव में अच्छी रहीं। सऊदी और चीनी दोनों विदेश मंत्री बहुत सहायक थे।’


पाकिस्तान को चाहिए मित्र देशों की मदद

आईएमएफ की शर्तों को पूरा करने के लिए शहबाज सरकार ने कई कठोर उपाय लागू किए हैं। इनमें नए टैक्स लागू करना, बिजली और ईंधन पर सब्सिडी को घटना शामिल है। आईएमएफ को पाकिस्तान के मित्र देशों से ठोस आश्वासन की भी जरूरत है कि वे कर्जदार मुल्क से तत्काल लोन वापस नहीं मांगेगें। सऊदी अरब, चीन और संयुक्त अरब अमीरात को यह आश्वासन आईएमएफ को देना होगा जिसके बाद वह अगली किश्त को मंजूरी देगा। इसे देखते हुए बिलावल की सऊदी और चीनी मंत्रियों के साथ मीटिंग को बेहद अहम माना जा रहा है।

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