खेल

होटल-रेस्टोरेंट्स में धड़ल्ले से वसूला जा रहा सर्विस चार्ज, क्या आपको देना चाहिए?

नई दिल्ली : बचपन के दोस्त रियू, अयान और कृति कई दिनों बाद एक दूसरे से मिले थे। तय हुआ कि एक नामी रेस्टोरेंट में डिनर (Dinner in Restaurant) किया जाए। जैसे ही तीनों ने रेस्टोरेंट में एंट्री ली उन्हें हाथ में एक पतली सी स्लिप रख दी गई। तीनों बातें करने में बिजी थे, तो इस स्लिप पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। डिनर करने के बाद जब टेबल पर बिल आया तो कृति को पैसा कुछ ज्यादा लगा। उसने गौर से देखा तो पता लगा कि 10% सर्विस चार्ज (service charges) लगाया हुआ था। उन्होंने रेस्टोरेंट के मैनेजर से इस बारे में पूछा तो उसने कहा, ‘हमारे यहां फूड बिल पर 10% सर्विस चार्ज लिया जाता है। इसके बारे में आपको पहले बताया भी गया है।’ तीनों चौंक गए कि उन्हें इस बारे में पहले कब बताया गया। मैंनेजर बोला, ‘आपको एंट्री के टाइम एक स्लिप दी गई होगी। उसमें इस बारे में लिखा है।’ अब तीनों ने वह स्लिप देखी तो उसमें छोटे-छोटे अक्षरों में 10% सर्विस टैक्स के बारे में बताया हुआ था।


चाहे दिल्ली हो या मुंबई, रेस्टोरेंट हो या बार… हर जगह ऐसा हो रहा है। कुछ जगह आपको पहले से बताया जाता है और कुछ जगह नहीं, लेकिन 10% सर्विस चार्ज धड़ल्ले से लिया जा रहा है। सही जानकारी नहीं होने के कारण ग्राहक भी कुछ नहीं कर पाते। उन्हें मजबूरी में सर्विस चार्ज देना ही पड़ता है।

सीसीपीए ने किया हुआ है बैन

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने सर्विस चार्ज पर बैन लगाया हुआ है। जुलाई 2022 में सीसीपीए ने रेस्टोरेंट्स मैनेजमेंट को निर्देश दिये थे कि डिफॉल्ट रूप से भी सर्विस चार्ज नहीं लगाया जाए। रेस्टोरेंट्स मालिक फूड और बेवरेज बिल पर 10 से 20% तक सर्विस चार्ज वसूलते हैं। कुछ रेस्टोरेंट्स ने एंट्री गेट पर इस सूचना का बोर्ड भी लगा दिया है कि वे सर्विस चार्ज वसूलेंगे। सीसीपीए की गाइडलाइन्स ग्राहकों को यह अधिकार देती है कि ने कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के प्रावधानों के तहत इसके खिलाफ शिकायत कर सकते हैं। यह एक गलत ट्रेड प्रैक्टिस है और उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन है।

होटल संचालक देते हैं यह जवाब

होटेल एंड रेस्टोरेंट्स एसोसिएशन (AHAR) के प्रेसिडेंट सुकेश शेट्टी कहते हैं, ‘सीसीपीए का बयान केवल एक एडवाइजरी है। यह किसी रेस्टोरेंट मालिक पर निर्भर करता है कि वे इसे फॉलो करें या नहीं।’ वहीं, वेस्टर्न इंडिया फेडरेशन ऑफ होटल्स एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन (वेस्टर्न रीजन) की प्रवक्ता हर्षला नायक ने दावा किया, ‘सीसीपीए के निर्देश पर दिल्ली हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है। यह रोक 20 जुलाई 2020 को लगी थी और यह अभी भी जारी है।’

यह तो जबरदस्ती टिप देना हुआ

पहले जब होटल और रेस्टोरेंट्स में लोग खाना खाने जाते थे, तो बिलिंग के समय वेटर को टिप के रूप में कुछ रुपये देते थे। यह टिप ग्राहक अपनी इच्छा से देते थे। सर्विस पसंद नहीं आती तो टिप देने का कोई मतलब नहीं होता था। लेकिन सर्विस चार्ज आने से आपको खाना अच्छा लगा हो या नहीं, सर्विस चार्ज के रूप में टिप देनी ही पड़ रही है। यह जो जबरदस्ती टिप देना हुआ। यह भी तय नहीं है कि यह सर्विस चार्ज का पैसा स्टाफ को मिलता भी है या नहीं।

जीएसटी कम किया लेकिन खाना उतना ही महंगा

रेस्टोरेंट में खाने पर पहले 18 फीसदी जीएसटी लगता था। ग्राहकों को बड़ी राहत देते हुए इस दर को घटाकर 5 फीसदी कर दिया गया। अब डाइन-इन, टेकअवे या रेस्टोरेंट से फूड ऑर्डर करने पर 5 फीसदी जीएसटी लगता है। जीएसटी भले ही घट गया हो, लेकिन सर्विस चार्ज के चलते अभी भी रेस्टोरेंस्ट्स में खाना महंगा ही है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button