शिवसेना और उसका ‘धनुष और तीर’ शिंदे का… चुनाव आयोग ने दिया उद्धव को बड़ा झटका
नई दिल्ली: महाराष्ट्र में बीएमसी चुनाव से पहले उद्धव ठाकरे को बड़ा झटका लगा है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से उन्हें फिर पटखनी खाने को मिली है। शिवसेना और पार्टी का प्रतीक धनुष और तीर शिंदे गुट के पास चला गया है। चुनाव आयोग ने यह आदेश दिया है। चुनाव आयोग ने पाया कि शिवसेना का मौजूदा संविधान अलोकतांत्रिक है। बिना किसी चुनाव के पदाधिकारियों के रूप में एक गुट के लोगों को अलोकतांत्रिक रूप से नियुक्त करने के लिए इसे बिगाड़ दिया गया है। इस तरह की पार्टी की संरचना विश्वास को प्रेरित करने में विफल रहती है। उद्धव खेमे के संजय राउत ने आयोग के इस फैसले को लोकतंत्र की हत्या करार दिया है। उन्होंने कहा है कि इस फैसले को न्यायालय में चुनौती दी जाएगी। वहीं, सीएम एकनाथ शिंंदे ने आयोग को धन्यवाद दिया है।
चुनाव आयोग के फैसले में क्या-क्या कहा गया है?
चुनाव आयोग के इस फैसले को ऐतिहासिक माना जा रहा है। इससे पार्टियों पर दूरगामी असर पड़ सकता है। यह उन्हें अपने व्यवहार में बदलाव लाने के लिए मजबूर करेगा। चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों को सुझाव भी दिया है। उसने पार्टी के अंदरूनी मामलों में लोकतांत्रिक मूल्य पैदा करने के साथ मूल सिद्धांतों का पालन करने के लिए कहा है।
बीते महीने महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे गुटों ने पार्टी के नाम और उसके सिंबल पर अपना-अपना दावा पेश किया था। इस बारे में उन्होंने चुनाव आयोग को लिखित सूचना दी थी। चुनाव आयोग ने शिवसेना के चुनाव चिन्ह धनुष और तीर को फ्रीज कर दिया था। अलबत्ता, शिंदे गुट को दो तलवार और ढाल का सिंबल दिया था। इसी तरह उद्धव ठाकरे खेमे को जलती मशाल का चुनाव चिन्ह दिया गया गया था। बीते साल नवंबर में अंधेरी ईस्ट विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुए थे। तब ऐसा किया गया था।
बीते महीने महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे गुटों ने पार्टी के नाम और उसके सिंबल पर अपना-अपना दावा पेश किया था। इस बारे में उन्होंने चुनाव आयोग को लिखित सूचना दी थी। चुनाव आयोग ने शिवसेना के चुनाव चिन्ह धनुष और तीर को फ्रीज कर दिया था। अलबत्ता, शिंदे गुट को दो तलवार और ढाल का सिंबल दिया था। इसी तरह उद्धव ठाकरे खेमे को जलती मशाल का चुनाव चिन्ह दिया गया गया था। बीते साल नवंबर में अंधेरी ईस्ट विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुए थे। तब ऐसा किया गया था।