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टीम इंडिया की इस विकेटकीपर का सुपर ओवर में धमाल, धोनी को लेकर इस बात का है मलाल

दिग्गज महेंद्र सिंह धोनी भले ही मैदान से पिछले काफी वक्त से दूर हैं लेकिन उनका फैन-बेस किसी भी तरह से कम नहीं हुआ है. कई युवा और उभरते क्रिकेटर उन्हें अपना आइडल मानते हैं और उसी लिस्ट में भारतीय महिला क्रिकेट टीम की विकेटकीपर ऋचा घोष भी शामिल हैं. घोष ‘फिनिशर’ की भूमिका का लुत्फ उठा रही हैं. उन्हें हालांकि टीम इंडिया के इस पूर्व कप्तान से जुड़ा एक मलाल भी है. उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज के दूसरे टी20 मैच में तूफानी अंदाज में बल्लेबाजी की और फिर सुपर ओवर में भी जलवा दिखाया.

भारत ने सुपर ओवर में दी ऑस्ट्रेलिया को मात

भारतीय महिला टीम ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज के दूसरे टी20 मैच को सुपर ओवर में जीता. ऑस्ट्रेलिया ने 20 ओवर में महज एक विकेट खोकर 187 रन बनाए. बेथ मूनी 82 जबकि ताहलिया मैकग्रा 70 रन बनाकर नाबाद लौटीं. मूनी ने 54 गेंदों की अपनी अविजित पारी में 13 चौके लगाए जबकि मैकग्रा ने 51 गेंदों पर 10 चौके और एक छक्का जड़ा. इसके बाद भारतीय टीम ने मैच टाई कराया और फिर सुपर ओवर में जीत दर्ज की. दिग्गज महेंद्र सिंह धोनी को आदर्श मानने वाली भारतीय महिला टीम की विकेटकीपर बल्लेबाज ऋचा घोष ने 13 गेंदों पर नाबाद 26 रन बनाए. उन्होंने इस दौरान तीन छक्के जड़े. प्लेयर ऑफ द मैच स्मृति मंधाना ने 49 गेंदों पर 9 चौके और 4 छक्कों से सजी 79 रनों की शानदार पारी खेली.

ऋचा ने दिखाया दम

‘फिनिशर’ की अपनी भूमिका का लुत्फ उठा रहीं ऋचा ने मंगलवार को कहा कि उनके अंदर बड़े शॉट खेलने की क्षमता स्वाभाविक रूप से है. 19 साल की ऋचा ने सुपर ओवर में भी पहली ही गेंद पर छक्का जड़ा और मेजबान टीम की जीत की नींव रखी. उन्होंने कहा, ‘स्मृति दीदी (मंधाना) ने मुझे कहा था कि मैच खत्म करके आना. मैंने हमेशा पावर हिटिंग पर फोकस किया है. इस पर कड़ी मेहनत की और अपनी मानसिक दृढ़ता पर भी ध्यान दिया है. यह सब हमारे प्लान के मुताबिक हुआ. मैं हमेशा अंत तक टिके रहकर अपनी टीम को जीत दिलाना चाहती हूं. हमारी यही योजना थी. सोचा था कि बीच के ओवरों में रन गति बनाए रखी जाए ताकि स्लॉग ओवरों में ज्यादा जोर ना लगाना पड़े.’

पिता के समर्पण का किया जिक्र

ऋचा ने कहा कि वह धोनी के शॉट्स देखते-देखते बड़ी हुई हैं. सिलीगुड़ी की रहने वाली ऋचा ने कहा, ‘बचपन से ही मैंने धोनी का अनुसरण किया है और देखा कि वह कैसे मैच को खत्म करते थे. मेरे पिता (मानवेंद्र घोष) ने भी मेरी बड़े शॉट खेलने की क्षमता को सुधारने में बहुत मदद की. वह हर जगह मेरे साथ जाते थे. वह एक सफल क्रिकेटर नहीं बन सके इसलिए वह मेरा पूरा समर्थन कर रहे हैं जिससे कि मैं अपने सपनों को साकार कर सकूं.’

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