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हम यूक्रेन नहीं बल्कि नाटो के साथ युद्ध लड़ रहे… पूर्व रूसी राष्ट्रपति ने फिर दी परमाणु युद्ध की धमकी

मॉस्को: रूस के पूर्व राष्ट्रपति और सिक्योरिटी काउंसिल के डिप्टी चेयरमैन दिमित्री मेदवेदेव ने कहा कि यूक्रेन में नाजी विचारधारा को खत्म करने के लिए रूस का अभियान चलता रहेगा। मेदवेदेव ने दावा किया है कि रूस यूक्रेन के साथ नहीं, बल्कि सीधे नाटो के साथ युद्ध लड़ रहा है। इससे पहले दिमित्री ने परमाणु हमले की भी चेतावनी दी थी। रूसी राष्ट्रपति के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय अदालत की ओर से जारी वारंट को लेकर उन्होंने कहा था कि पुतिन को गिरफ्तार करने की कोशिश दुनिया को परमाणु प्रलय की ओर ले जाएगी।

रूस के प्रमुख मीडिया संस्थानों के साथ इंटरव्यू में उन्होंने कहा, ‘मैं सिर्फ एक बात कहूंगा जो बेहद स्पष्ट है। रूसी संघ यूक्रेन के नाजी शासन के साथ युद्ध नहीं लड़ रहा है। हमारा देश 36 लाख मजाबूत नाटो सेना के साथ युद्ध में है। वे इस तरह के हाइब्रिड युद्ध में हिस्सा ले रहे हैं और वे वास्तव में अब इसे छिपाते नहीं हैं।’ मेदवेदेव ने कहा कि कुछ पश्चिमी विश्लेषकों ने नाटो की भागीदारी को पहले ही स्वीकार किया है। रूस हमेशा अपने हमले को एक विशेष सैन्य अभियान बताता रहा है।

क्रीमिया को कब्जाने की कोशिश पर होगा परमाणु युद्ध

उन्होंने कहा, ‘हमें उन सभी लक्ष्यों को प्राप्त करने की जरूरत है जो हमारे क्षेत्रों के लिए निर्धारित किए गए हैं। हमें उन सभी विदेशियों का बाहर निकालना होगा। हमें एक सेनिटरी जोन बनाने की जरूरी जहां हथियारों के इस्तेमाल की अनुमति न हो। उन्होंने कहा कि यह 70-100 किमी का डिमिलिट्राइज जोन होगा।’ मेदवेदेव के दावे के मुताबिक यूक्रेन और रूस के बीच एक बफर जोन होना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर यूक्रेन से जुड़े क्रीमिया को फिर से कब्जाने की कोशिश हुई तो सभी तरह के हथियारों का इस्तेमाल होगा। इसमें परमाणु हथियार भी शामिल हैं।

रूस ने क्रीमिया पर किया था कब्जा

क्रीमिया काला सागर में मौजूद है। ऐतिहासिक रूप से ये यूक्रेन का हिस्सा रहा है। हालांकि 2014 में रूस ने इस पर कब्जा कर लिया, जिसके कारण दुनिया भर में रूस की आलोचना हुई। कई देशों ने उस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए। रूस के मुताबिक क्रीमिया में एक जनमत संग्रह के बाद उसने कब्जा किया। वहीं अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने इसे अवैध घोषित कर दिया। रूस का कहना था कि क्रीमिया में रूसी भाषी नागरिकों की रक्षा और अपने सामरिक हितों को सुरक्षित करने के लिए यह विलय जरूरी था। तभी से रूस और यूक्रेन के बीच तनाव रहा है।

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