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क्लासेन के शतक के आगे क्यों ‘विराट’ है कोहली की सेंचुरी, समझें एक-एक पॉइंट

हैदराबाद: सनराइजर्स हैदराबाद और रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के बीच खेले गए मुकाबले में दोनों टीमों की बल्लेबाजी सातवें आसमान पर रही। इसकी वजह विराट कोहली और हेनरिक क्लासेन रहे। दोनों ही बल्लेबाजों ने अपनी-अपनी टीम के लिए शतक ठोका। दोनों की पारियां लाजवाब थी। जहां क्लासेन ने 203 के स्ट्राइक रेट से बल्लेबाजी करते हुए 51 गेंद में 8 चौके और 6 छक्के की मदद से नाबाद 104 रन बनाए। वहीं विराट ने 158 के स्ट्राइक रेट से पूरे 100 रन बनाए, जिसमें उनके बल्ले से 12 चौके और 4 छक्के देखने को मिले। क्लासेन और विराट की पारियां अपनी-अपनी टीम के लिहाज से जबरदस्त रहीं। लेकिन अगर दोनों की पारी की एक दूसरे से तुलना की जाए, तो विराट का शतक क्लासेन से थोड़ा अधिक बेहतर था। क्यों? आइये आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।

कैसे विराट कोहली का शतक था क्लासेन के शतक से बेहतर?

पहले हम बात करते हैं हेनरिक क्लासेन के सेंचुरी के बारे में, क्लासेन जब बल्लेबाजी करने आए थे तो हैदराबाद के सिर्फ 28 रन पर ही दो विकेट गिर गए थे। उसके बाद हेनरिक ने वहां से हैदराबाद की पारी को बखूबी संभाला और आगे तक लेकर गए। इसी कड़ी में उन्होंने सेंचुरी भी जड़ी। लेकिन यह हैदराबाद के लिए करो या मरो वाला मैच नहीं था। हैदराबाद पहले ही आईपीएल 2023 से बाहर हो गई है। तो क्लासेन बिना किसी दिक्कत के अपना नेचुरल गेम खेल सकते थे। साथ ही पहले बल्लेबाजी करते हुए बल्लेबाज पर इतना प्रेशर नहीं होता। उन्हें इस बात की बिल्कुल टेंशन नहीं होती कि उन्हें इस ओवर में इतने रन निकालने ही निकालने हैं।अब एक बार नजर डालें विराट कोहली के शतक पर तो, विराट जब बल्लेबाजी करने आए थे तो आरसीबी के सामने 187 रन का पहाड़ जैसा लक्ष्य था। बता दें कि रन चेज के दौरान बल्लेबाजों पर अधिक प्रेशर होता है। उन्हें टारगेट को दिमाग में रखकर हर ओवर में उस तरह से रन निकालने होते हैं। ऐसे में चेज के दौरान अंडर प्रेशर शतक लगाना अपने आप में बड़ी बात होती है। इतना ही नहीं बल्कि यह बैंगलोर के लिए डू और डाई मैच था और सबको विराट से काफी उम्मीदें थी। ऐसे में विराट पर रन बनाने का डबल प्रेशर था।

आरसीबी का बैटिंग ऑर्डर पूरी तरह से विराट कोहली, फाफ डुप्लिसिस और ग्लेन मैक्सवेल के ऊपर टिका हुआ है। यह हमें इस पूरे सीजन में देखने को मिला है। ऐसे में विराट इस बात से भी अवगत होंगे कि अगर वह जल्दी आउट हो गए तो कहीं ना कहीं टीम को लक्ष्य तक पहुंचने में दिक्कत हो सकती है। तो देखा जाए तो विराट हर जगह से दबाव में थे। लेकिन असली खिलाड़ी वही होता है जो प्रेशर में परफॉर्म कर सके।


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