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खजाने की फिक्र भी, ग्रोथ की राह भी

नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जो बजट पेश किया है, वह ऐसे हालात में बनाया गया, जब दुनियाभर में माहौल अनिश्चित सा दिख रहा हे और ग्रोथ रेट घट रही है। दूसरी ओर, भारत की अर्थव्यवस्था दमदार बनी हुई है और करीब सात प्रतिशत ग्रोथ की उम्मीद की जा रही है। टैक्स कलेक्शन का हाल अच्छा चल रहा है, प्राइवेट सेक्टर की बैलेंस शीट पर कर्ज घटा है और बैंकिंग सेक्टर में अच्छी-खासी पूंजी दिख रही है। यह आत्मविश्वास से भरी वित्त मंत्री की ओर से ऐसे देश का बजट है, जो उम्मीदों से भरा हुआ है।

इस बजट में जिस आंकड़े का सबसे ज्यादा हवाला दिया जाएगा और जिसे सबसे ज्यादा याद रखा जाएगा, वह आंकड़ा है 10 लाख करोड़ रुपये के कैपिटल एक्सपेंडिचर का। यह पिछले बजट के मुकाबले 33 प्रतिशत ज्यादा है और वित्त वर्ष 2016 के मुकाबले इसमें चार गुना बढ़ोतरी हुई है। कैपिटल एक्सपेंडिचर का इकॉनमी पर कई स्तरों पर असर पड़ता है। इससे प्राइवेट सेक्टर की ओर से इनवेस्टमेंट भी बढ़ेगा।

राजकोषीय अनुशासन पर भी इस बजट में ध्यान बनाए रखा गया है। वित्त वर्ष 2024 के लिए फिस्कल डेफिसिट को जीडीपी के 5.9 प्रतिशत पर रखागया है। इस साल यह 6.4 प्रतिशत पर रहेगा, ऐसा बताया गया है। राजकोषीय अनुशासन से इस बात पर भरोसा होता है कि देश की बॉरोइंग कॉस्ट एक सीमा से बाहर नहीं जाएगी।

सरकार ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सहारा देने पर जोर बनाए रखा है। बजट में ग्रामीण विकास और कृषि मंत्रालय के लिए कुल आवंटन अच्छा है। पिछले कुछ वर्षों से एमएसएमई को सपोर्ट दिया जा रहा है। इस बार के बजट में भी यही बात है। सरकार ने क्रेडिट गारंटी स्कीम के फंड में 9 हजार करोड़ रुपये डालने की बात की है। इससे एमएसएमई को और कोलैटरल फ्री कर्ज मिल सकेगा। ब्याज दर में एक प्रतिशत की कमी करने का प्रस्ताव भी किया गया है। यह सब एमएसएमई के लिए बहुत अच्छी बात है।

इस बजट में ग्रीन ग्रोथ पर बहुत जोर है। सभी सेक्टरों में टिकाऊ ग्रोथ पर फोकस किया गया है। एनर्जी ट्रांजिशन यानी प्रदूषण फैलाने वाले ईंधन के बजाय पर्यावरण संरक्षण में मददगार ईंधन के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए 35 हजार करोड़ रुपये का आवंटन् किया गया है। इसके अलावा ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम की बात भी है। सस्टेनेबल ग्रोथ के लिए ये पॉजिटिव कदम हैं।
भारत को इनोवेशन चेन में आगे बढ़ने की भी जरूरत है। ऐसा तभी होगा, जब सरकार और प्राइवेट रिसर्च एंड डिवेलपमेंट, शिक्षा जगत के लोग, स्टार्टअप्स और वेंचर कैपिटलिस्ट मिलजुलकर काम करें और इकोसिस्टम बनाएं।

बजट तैयार करना एक विज्ञान भी है और कला भी। इसमें हाल-फिलहाल की जरूरतों और लंबी अवधि के लक्ष्यों, दोनों पर निगाह रखनी होती है। बजट ऐसा होना चाहिए, जो तमाम लोगों और सेक्टरों की उम्मीदें पूरी करे। इकॉनमी की बुनियाद मजबूत बनाए रखी जाए और लोकलुभावन कदमों के जाल में न फंसा जाए, ऐसा बजट होना चाहिए। वित्त मंत्री ने इस लिहाज से शानदार काम किया है।

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