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नोएडा-ग्रेनो वाले ध्यान दें! जेपी के प्रोजेक्ट में क्या आपके भी फंसे हैं फ्लैट, कल आए फैसले की 5 बड़ी बातें जान लें

नई दिल्ली: जेपी इन्फ्राटेक (Jaypee Infratech) की नोएडा और ग्रेटर नोएडा में स्थित कई आवासीय परियोजनाओं में घर खरीदने वाले करीब 20,000 लोगों को कई साल बाद भी घर नहीं मिल पाए हैं। कंपनी के भारी कर्ज में दबने के बाद उसके खिलाफ दिवाला प्रक्रिया शुरू हो गई थी, लेकिन अब जाकर उसे एनसीएलटी की मंजूरी मिली है। जेपी इंफ्राटेक के अधिग्रहण और अधूरे फ्लैट का निर्माण पूरा करने पर मंगलवार को राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT) ने आदेश जारी किया है। एनसीएलटी (NCLT) ने जेपी इन्फ्राटेक को खरीदने के लिए मुंबई की कंपनी सुरक्षा एआरसी (Suraksha Asset Reconstruction) के रिजॉल्यूशन प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। घर खरीदारों ने जेपी इन्फ्राटेक (Jaypee Infratech) के मामले में आए फैसले को होली का तोहफा बताया है। अगर आपका भी जेपी में घर फंसा हुआ है तो आज हम आपको ऐसी पांच बातें बताने जा रहे हैं, जिनके बारे में जानकारी होना जरूरी है।

    साल 2003 में आवंटित हुई थी जमीन

    जेपी इंफ्राटेक (Jaypee Infratech) को साल 2003 में नोएडा में विकास के लिए 2500 हेक्टेयर भूमि आवंटित की गई थी। जेआईएल (Jaypee Infratech) ने चार साल के बाद 32 हजार से ज्यादा फ्लैट बनाने और प्लॉट बेचने का प्रस्ताव दिया। इन्हें साल 2011-12 तक डिलीवर किया जाना था। लेकिन अभी तक 12 हजार फ्लैट और सौ से ज्यादा कुछ प्लॉट ही डिलीवर किए गए हैं।

    2016 से कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं बायर्स

    जेपी इन्फ्राटेक (Jaypee Infratech) के प्रॉजेक्ट में निवेश कर फंसे हजारों बायर्स 2016 से कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। एनसीएलटी ने साथ ही यमुना अथॉरिटी और आईसीआईसीआई की आपत्तियों को भी एनसीएलटी ने खारिज कर दिया है। बता दें कि जेपी इन्फ्रा के खिलाफ कॉरपोरेट इनसॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन का प्रोसेस अगस्त 2017 में शुरू हुआ था। नवंबर -2022 ट्रिब्यूनल ने सुरक्षा ग्रुप की बिड पर फैसला सुरक्षित रखा था। होम बायर्स ने साल 2010 में जेपी इन्फ्रा में फ्लैट बुक कराए थे।

    हाई प्रोफाइल लोन डिफॉल्ट मामलों में से एक

    साल 2017 में जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड (Jaypee Infratech) 12 हाई प्रोफाइल लोन डिफॉल्ट मामलों में से एक था, जिसे आरबीआई और केंद्र की ओर से इनसॉल्वेंसी रेजोल्यूशन के लिए डर्टी डोजेन कहा गया था। जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा में परियोजनाओं में 20 हजार से ज्यादा यूनिट बेची हैं। वहीं करीब 19 हजार क्लेम को दिवाला कानून के तहत दायर किया गया है। कंपनी की वेबसाइट पर पोस्ट की गई जानकारी के मुताबिक, करीब 13 सौ होम बायर्स ने अभी तक क्लेम नहीं किया है।

    2017 में शुरू हुई थी प्रक्रिया

    जून 2021 में सुरक्षा समूह को जेआईएल (Jaypee Infratech) के अधिग्रहण के लिए लेनदारों की समिति (सीओसी) की मंजूरी मिली थी। इसमें बैंक और घर खरीदार शामिल हैं। सीओसी के इस फैसले से 20,000 मकान खरीदारों को रुकी हुई परियोजनाओं में अपने फ्लैटों का कब्जा मिलने की उम्मीद जगी है। जिल के खिलाफ कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया अगस्त 2017 में शुरू की गई थी।

    6 से 42 महीने में पूरे होंगे प्रोजेक्ट

    एनसीएलटी ने जेपी इन्फ्राटेक (Jaypee Infratech) को खरीदने के लिए मुंबई की कंपनी सुरक्षा एआरसी के रिजॉल्यूशन प्रस्ताव को मंगलवार को मंजूरी दे दी है। यह कंपनी अगले 6 से 42 महीने में जेपी इंफ्राटेक के नोएडा और यमुना अथॉरिटी एरिया में स्थित 26 प्रॉजेक्ट पूरे करेगी। करीब तीन महीने से यह आदेश एनसीएलटी में रिजर्व था। बायर्स का कहना है कि जो समय बीत गया है वो तो वापस नहीं आ सकता लेकिन अब कम से कम आगे का रास्ता तय हो गया है और अब इन अधूरे प्रॉजेक्टों में काम शुरु हो जाएगा।

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