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बिंदेश्वर पाठक ने दिल्ली AIIMS में ली अंतिम सांस, बिहार के वैशाली से है खास नाता

सहदेई बुजुर्ग (वैशाली): बिहार ने आजादी के इस पावन पर्व पर अपना एक महान लाल खो दिया है। मूलरूप से बिहार के वैशाली जिले के रहने वाले सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक डॉ. बिंदेश्वर पाठक का मंगलवार को निधन हो गया। डॉ. पाठक ने दिल्ली के एम्स में अंतिम सांस ली।

डॉ. बिंदेश्वर पाठक मंगलवार सुबह 10:30 मिनट पर अपने आवास महावीर एंक्लेव स्थित सुलभ ग्राम पहुंचे। यहां उन्होंने करीब 11 बजे ध्वजारोहण किया।

ध्वजारोहण के बाद करीब पांच मिनट इन्होंने वहां मौजूद लोगों को संबोधित किया। इसी बीच डॉ. पाठक को सांस लेने में थोड़ी दिक्कत महसूस हुई। करीब 12:50 मिनट पर डॉ. पाठक की बेचैनी काफी ज्यादा बढ़ गई।

1:42 मिनट पर ली अंतिम सांस

इस बीच, डॉ. पाठक ने स्वयं एम्स के चिकित्सक बात की। इसके बाद वे पूरे होश में एम्स के लिए निकले। डॉक्टरों ने उन्हें सीपीआर (कार्डियक पल्मोनरी रिससिटेशन) देकर धड़कन ठीक करने की कोशिश की।

हालांकि, उन्हें सफलता नहीं मिल सकी। एम्स में भर्ती होने के कुछ देर बाद डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। डॉ. पाठक ने 1:42 मिनट पर अंतिम सांस ली।

सहदेई बुजुर्ग के रहने वाले थे डॉ पाठक

वैशाली के सहदेई बुजुर्ग प्रखंड के पोहियार बुजुर्ग पंचायत के रामपुर बघेल रहने वाले सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक पद्म भूषण बिंदेश्वरी पाठक का निधन 77 वें स्वतंत्रता दिवस समारोह के दिन होने के बाद से पूरे इलाके में गम का माहौल है। लोग अपने इस लाल के जाने का दुख मना रहे हैं। उनके गांव में भी शोक का वातावरण है।

डॉ पाठक की ये थी शिक्षा-दीक्षा

बिंदेश्वर पाठक का जन्म 2 अप्रैल 1943 को रामपुर बघेल गांव में हुआ था। उनकी प्राथमिक शिक्षा गांव में ही हुई थी। बाद में वह 1964 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से समाज शास्त्र में स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी।

पटना विश्वविद्यालय से 1980 में पटना मास्टर डिग्री हासिल किया था। 1985 में उन्हें पीएचडी की भी उपाधि मिली थी।

1970 में की थी सुलभ इंटरनेशनल की स्थापना

बिंदेश्वरी पाठक ने 1970 में सुलभ इंटरनेशनल की स्थापना की थी। महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित बिंदेश्वरी पाठक सर पर मैला ढोने की प्रथा को समाज के लिए अभिशाप मानते थे।

इसके लिए उन्होंने सभी सामाजिक ताने-बाने को दरकिनार करते हुए इस प्रथा को मिटाने का न सिर्फ संकल्प लिया, बल्कि इसके लिए कार्य किए।

इतना ही नहीं, वे लगातार विभिन्न प्रकार के सामाजिक दायित्वों का निर्वहन भी करते रहे। वह महिलाओं के सर्वांगीण विकास के साथ-साथ युवाओं के कौशल विकास और खासकर बालिकाओं के कौशल विकास के लिए लगातार प्रयासरत रहे और इस दिशा में उन्होंने कई कार्य किए।

हाल ही में रामपुर में स्थापित किया था हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर

बीते 17 अप्रैल को वह अपने गांव रामपुर बघेल एक हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर का उद्घाटन भी किया था। इस हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर का निर्माण उन्होंने ही अपने से कराया था।

इस दौरान उन्होंने इस हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर के माध्यम से महिलाओं लड़कियों को कौशल विकास के प्रशिक्षण देने की बात कही थी।

गांव के यज्ञ में शामिल होने का किया था वादा

11 अगस्त को बिंदेश्वरी पाठक सहदेई के तोई गांव स्थित श्री बालनाथ मठ में आयोजित अभिनंदन समारोह में शामिल होने आए थे। इस दौरान उन्हें मठ एवं ग्रामीणों की ओर से सम्मानित किया गया था।

उन्होंने इस कार्यक्रम में वादा किया था कि वह नवंबर में मठ की ओर से आयोजित किए जाने वाले यज्ञ में शामिल होंगे और यज्ञ में अपने विचार भी प्रस्तुत करेंगे, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। इसके पहले ही उनका निधन हो गया और उनके वादे अधूरे रह गए।

प्रखंड में किए कई उल्लेखनीय कार्य

स्वक्षता के क्षेत्र में काम करते हुए उन्होंने अपने गांव और प्रखंड के लिए भी कई उल्लेखनीय कार्य किए। बताया जाता है कि वह अपने गांव में बरसों पूर्व ही दलित बस्तियों में अपने संसाधनों से सुलभ इंटरनेशनल के माध्यम से घर-घर में शौचालय का निर्माण करवाया था।

जब उस समय आज के जैसे शौचालय निर्माण को लेकर ना कोई अभियान चल रहा था ना ही कोई विशेष कार्यक्रम ही संचालित थे। उस दौर में उन्होंने आगे बढ़कर समाज को रास्ता दिखाने का काम किया था।

क्षेत्र में शोक की लहर

आज उनके जाने का गम हर किसी को है। उनके निधन से क्षेत्र में शोक की लहर है। हर और उनके किए गए कार्यों की चर्चा हो रही है। 80 वर्ष की उम्र में भी वह की पूरी ऊर्जा के साथ कार्य कर रहे थे। वह निश्चित ही हर किसी के लिए प्रेरणादाई है।

ब्राह्मण परिवार में जन्म लेने के बाद भी उन्होंने समाज के सबसे निचले तबके को सर पर मैला ढोने के श्राप से मुक्ति दिलाने का जो संकल्प लिया और उस दिशा में जो कार्य किया वह कई लोगों के लिए प्रेरणादाई है

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