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G-20 में दिखेगा भारत का स्वस्थ विश्व विजन

मनसुख मंडाविया
‘सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया, सर्वे भद्राणि पश्यंतु मा कश्चिद् दुख भागभवेत।’ यानी सभी प्रसन्न रहें, सभी स्वस्थ रहें, सबका भला हो, किसी को भी कोई दुख ना रहे। जी-20 में हमारा नीति-वाक्य भी यही है ‘वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर’ जो ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की हमारी अवधारणा से निकला है। तिरुवनंतपुरम में इसी महीने से शुरू हो रही जी-20 हेल्थ वर्किंग ग्रुप की बैठकों में भारत इसी मंत्र के साथ एक वैश्विक स्वास्थ्य संरचना के प्रति अपने विजन और कमिटमेंट को पूरी दुनिया के सामने रखेगा।

कोविड-19 महामारी ने सभी देशों के स्वास्थ्य ढांचे को हिला कर रख दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के जी-20 की अध्यक्षता के मूल उद्देश्य को ‘उपचार, सद्भाव और आशा’ के रूप में परिभाषित किया है। उन्होंने वैश्वीकरण को और अधिक मानव-केंद्रित करने का विजन रखा है जो सार्वभौमिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देता है। कोविड आपदा से सीख लेते हुए जब इंडोनेशिया जी-20 की अध्यक्षता कर रहा था तब उसने वैश्विक स्वास्थ्य संबंधी ढांचे को मजबूत करने का आह्वान किया था।

भारत के संदर्भ में बात करें तो हमारे लिए वैश्विक स्वास्थ्य संबंधी ढांचा तीन प्राथमिकताओं पर टिका है। पहला, रोग के प्रकोप को रोकने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर क्षमताओं को मजबूत करना। विश्व स्वास्थ्य संगठन, विश्व बैंक, जी7, एक्सेस टू कोविड19 टूल्स एक्सीलेटर जैसे कई संगठनों के साथ हम प्रयास कर रहे हैं कि मौजूदा संसाधनों को समन्वित करके व्यवस्था में व्याप्त खामियों को पहचानें और उन्हें ठीक करें। हमारा ‘वन हेल्थ’ उद्देश्य मनुष्य, जीव और पर्यावरण के बीच की कड़ी के रूप में कार्य करेगा। जी-20 इंडिया हेल्थ ट्रैक और वैश्विक स्वास्थ्य आपातकालीन ढांचे को मजबूत करने के साथ ही, आपदा रोधी तौर-तरीकों को इसमें समाहित करने की दिशा में काम करेगा। भविष्य की ऐसी चुनौतियों को देखते हुए, सऊदी अरब, इटली और इंडोनेशियाई प्रेसीडेंसी ने महामारी की रोकथाम, तैयारी और प्रतिक्रिया के लिए Financial Intermediary Fund बनाया है।

दूसरी प्राथमिकता फार्मास्युटिकल क्षेत्र में सहयोग मजबूत कर गुणवत्तापूर्ण टीकों, चिकित्सा और निदान तक सबकी समान पहुंच बनाना है। भारतीय जेनरिक दवाइयों की पूरी दुनिया में अलग अहमियत है। वित्त वर्ष 2022 में भारत ने 200 देशों को 24.47 बिलियन डॉलर के फार्मा उत्पादों की आपूर्ति की। पूरी दुनिया ने जीवन रक्षक टीकों की असमानता को दूर करने में भारत की भूमिका को सराहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ‘वैक्सीन मैत्री’ के जरिए भारत ने सबसे कठिन समय में 100 से अधिक देशों को कोविड वैक्सीन दी। भारत कई निम्न और मध्यम आय वाले देशों को सस्ती HIV दवाएं और एंटी-टीबी जेनरिक दवाओं की आपूर्ति करता है। हमारी पूरी कोशिश है कि इनके लिए क्लिनिकल टेस्ट, अनुसंधान, विकास सहायता और किफायती चिकित्सा उपायों के लिए एक अनुकूल ढांचा तैयार हो। फार्मा सेक्टर को मजबूत करने के लिए सरकार ने प्रॉडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम शुरू की है।

तीसरी प्राथमिकता सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के लिए डिजिटल स्वास्थ्य सुविधाओं के विकास और नवाचार को बढ़ावा देना है। कोविड-19 से मिले अनुभवों ने हमें यह दिखाया है कि कैसे डिजिटल तकनीक दूरस्थ क्षेत्रों के डेटा कलेक्शन, चिकित्सा समाधान और आभासी देखभाल में मदद कर सकती हैं। वैक्सीन लगवाने के लिए लाखों नागरिकों ने कोविन ऐप का उपयोग किया, दूरस्थ क्षेत्रों में टेली-परामर्श जीवन रक्षक साबित हुई। भारत सरकार की मुफ्त टेली मेडिसिन सेवा ई-संजीवनी ने आठ करोड़ टेली-परामर्श दिए हैं। इस प्राथमिकता के तहत हम ग्लोबल डिजिटल पब्लिक हेल्थ गुड्स- टेली-मेडिसिन, टेली-रेडियोलॉजी, टेलीओप्थाल्मी और यहां तक कि एक ई-आईसीयू को बढ़ावा देने की योजना बना रहे हैं। आशा है कि जी-20 सदस्यों के सामूहिक प्रयासों से एक ऐसा ईकोसिस्टम बनेगा जो निम्न-मध्यम आय वाले देशों को एक समान स्तरीय स्वास्थ्य सुविधाओं का मंच प्रदान करेगा।

कोविड महामारी के कठिन समय के दौरान, भारत ने अपने सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम के जरिए पूरे विश्व में अपना लोहा मनवाया है। इसी अनुभव को लेकर चलते हुए जी-20 अध्यक्षता ने हमें दुनिया के सामने एक ‘स्वस्थ विश्व’ के नए विजन को प्रस्तुत करने का मंच प्रदान किया है।

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