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मेडिकल में बढ़े भी, पिछड़े भी:MBBS सीटें पिछले 8 साल में 77% बढ़ीं, फिर भी डॉक्टर 80% तक कम

देश में एक तरफ मेडिकल कॉलेजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, वहीं स्वास्थ्य केंद्र डॉक्टरों की भारी कमी झेल रहे हैं। पिछले 8 साल (2014-2022) में देश में मेडिकल कॉलेज 387 से बढ़कर 648 हो गए। यानी 67% की बढ़ोतरी हुई है। इसी दौरान एमबीबीएस की सीटें भी 77% की बढ़ोतरी के साथ 54,348 से बढ़कर 96,072 तक पहुंच गईं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट ‘गवर्नेंस रिफॉर्म्स इन मेडिकल एजुकेशन (2014-2022)’ में ये आंकड़े सामने आए हैं।

मगर एक और सरकारी रिपोर्ट रूरल हेल्थ स्टेटिक्स 2020-21 के मुताबिक, देश के पीएचसी (प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र) और सीएचसी (सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र) में 4.3% से लेकर 80% तक डॉक्टरों की कमी है। 2005 में देशभर के पीएचसी में कुल 20,308 एलोपैथिक डॉक्टर थे, जो 2021 में 31,716 हो गए। फिर भी जरूरत के अनुसार यह आंकड़ा कम है।

CHC में जरूरत के हिसाब से 83% सर्जन, 74% स्त्री रोग विशेषज्ञों, 80% बाल रोग विशेषज्ञों और 82% चिकित्सकों की कमी है। पीएचसी में 31% महिला एएनएम की भी किल्लत है। वहीं, स्वास्थ्य मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट दावा करती है कि देश में प्रति 834 लोगों पर एक डॉक्टर है, जो WHO के 1000:1 के अनुपात के करीब है। लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि देश में 27% डॉक्टर सक्रिय ही नहीं हैं। डॉक्टरों की सबसे ज्यादा कमी झारखंड, राजस्थान, पंजाब, छत्तीसगढ़, यूपी, बिहार में है।

सुखद पहलू; सरकारी कॉलेज 96% व निजी 42% बढ़ गए

  • देश के कुल 648 मेडिकल कॉलेज में से 355 सरकारी और 293 निजी हैं। 2014 से 2022 के बीच सरकारी कॉलेज 96% और निजी 42% बढ़े हैं।
  • 2014 में सरकारी सहायता से 157 मेडिकल कॉलेज खोलने की मंजूरी दी गई थी। इनमें से 93 शुरू हो चुके हैं, जबकि 60 कॉलेज दो साल में शुरू होने की उम्मीद है।
  • पिछले 8 साल में मेडिकल की पोस्ट ग्रेजुएट सीटों में सबसे ज्यादा 105% बढ़ोतरी दर्ज हुई है और ये 30,191 से बढ़कर 63,842 हो गई है।

चिंता भी… देश में हेल्थ सेक्टर का बजट बढ़ाना चाहिए था, लेकिन घटा दिया गया…

  • नेशनल हेल्थ पॉलिसी-2017 के तहत 2025 तक हेल्थ बजट जीडीपी का 2.5% होना चाहिए। मगर 2022-23 के बजट में यह 0.35% पर पहुंच गया, जबकि 2020-21 में 1.1% रहा था।
  • इकोनॉमिक सर्वे के मुताबिक, झारखंड में प्रति 10,000 लोगों पर सिर्फ 4 डॉक्टर हैं। राजस्थान में यह आंकड़ा 5, पंजाब में 6, छत्तीसगढ़ में 7, यूपी-बिहार-हरियाणा-महाराष्ट्र में 8-8, गुजरात में 9 और मध्यप्रदेश में 11 है।
  • यूपी के ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों में सबसे ज्यादा 1871 एएनएम की कमी है। इस सूची में हिमाचल (1253) दूसरे व गुजरात (616) तीसरे पर है।
  • देश के शहरी इलाकों में कुल 5,481 पीएचसी हैं। लेकिन, जनसंख्या के अनुपात के अनुसार ये 44% कम हैं। सिर्फ 66% यू-पीएचसी ही सरकारी भवनों में चल रहे हैं। 27% अब भी किराये की बिल्डिंग से संचालित किए जा रहे हैं।

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