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जरूरी दवाओं के दाम बढ़े नहीं, कम हुए… स्वास्थ्य मंत्री ने किया कांग्रेस अध्यक्ष का दावा खारिज

नई दिल्ली: स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने सोमवार को एक के बाद एक कई ट्वीट करते हुए कहा कि देश में जरूरी दवाओं की कीमतों में बढ़ोतरी नहीं बल्कि 6 फीसदी से ज्यादा की कमी हुई है। स्वास्थ्य मंत्री ने जरूरी दवाओं की कीमतों में कमी के आंकड़ों को जारी करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के दामों में बढ़ोतरी के दावे को खारिज किया है। एक दिन पहले खरगे ने ट्वीट कर 384 जरूरी दवाओं के दाम 11 फीसदी से ज्यादा बढ़ने का दावा किया था। सोमवार को स्वास्थ्य मंत्री ने इसका जवाब देते हुए कहा कि 1 अप्रैल 2023 से जरूरी दवाओं के दाम में 6.73 फीसदी की कमी अनुमानित की गई है। वहीं, राष्ट्रीय औषध मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA) का कहना है कि ड्रग्स प्राइस कंट्रोल ऑर्डर (DPCO) 2013 के प्रावधान के मुताबिक हर साल 1 अप्रैल से थोक मूल्य सूचकांक (WPI) से जुड़ी आवश्यक दवा के दाम बढ़ाए जाते हैं। दवा की अधिकतम कीमतों में पहली अप्रैल 2023 से 12.12 प्रतिशत की सीमा में दवा उत्पादकों द्वारा बढ़ोतरी की जा सकती है, वहीं दूसरी तरफ सितंबर 2022 में स्वास्थ्य मंत्रालय ने आवश्‍यक दवाओं की राष्‍ट्रीय सूची में 870 दवाओं को शामिल किया है और इसमें से 651 जरूरी दवाओं की नई अधिकतम कीमतें (Ceiling price) अधिसूचित की जा चुकी हैं। इसके कारण इन दवाओं की कीमत में औसत 16.62 प्रतिशत की कमी हुई है। ऐसे में अगर दवा की कीमत बढ़ेगी नहीं बल्कि घटेगी।

स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कीमतों में कमी का फॉर्म्युला
मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने कांग्रेस अध्यक्ष के ट्वीट का जवाब देते हुए कहा कि UPA सरकार में बनाए गए DPCO, 2013 के प्रावधान के अनुसार हर साल WPI के हिसाब से फार्मा कंपनियां दवाई के दाम बढ़ाती हैं या घटाती हैं। लेकिन केंद्र ने नवंबर 2022 में जरूरी दवाओं की लिस्ट और दामों में संशोधन किया। DPCO, 2013 के तहत इस तरह अधिसूचित दवाओं की मान्य अधिकतम कीमतें (Ceiling price) संशोधित करने का काम NPPA द्वारा शुरू कर दिया गया है। अब तक 870 आवश्यक दवाओं में से 651 की नई अधिकतम कीमतें अधिसूचित की जा चुकी है। जिसके कारण दवाओं की कीमतों में औसत 16.62 प्रतिशत की कमी हुई है। अब उपभोक्ताओं को अंदाजन सालाना 3500 करोड़ रुपये की बचत होगी।


WPI से लिंक 651 जरूरी दवाओं की कीमतों में 12.12% की सीमा में कंपनी 1 अप्रैल 2023 से दवाई के दाम बढ़ा सकती है। लेकिन अगर कंपनी पूरा भी दाम बढ़ा ले तब भी औसत 6.73% की कमी अनुमानित की गई है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में चलाया जा रहा जनऔषधि अभियान एक बड़ा सफल अभियान है, जिसने मार्केट में एक उच्चतम प्रतिस्पर्धा तैयार की है। इस कारण सालाना WPI के तहत जिस सीमा में दाम बढ़ाने की इजाजत है, उसके बावजूद भी फार्मा कंपनियां पूरा दाम नहीं बढ़ाती है।
कैसे तैयार होती है जरूरी दवाओं की लिस्ट
स्वास्थ्य मंत्रालय जरूरी दवाओं की राष्‍ट्रीय सूची (NLEM) तैयार करता है। कई साल बाद सितंबर 2022 में एक नई लिस्ट तैयार हुई, जिसमें 870 दवाओं को शामिल किया गया। कई कैंसर रोधी दवाएं, एंटीबायॉटिक्स, वैक्सीन, सिगरेट की लत छुड़ाने वाली निकोटीन रिप्लेसमेंट थेरेपी (एनआरटी) समेत कई जरूरी दवाओं को नई लिस्ट में जोड़ा गया है। नैशनल फॉर्मा प्राइसिंग अथॉरिटी यानी NPPA द्वारा 651 दवाओं की कीमतें तय कर दी गई है और बाकी दवाओं की कीमतों का असेसमेंट जारी है। दवा की अधिकतम कीमत तय होती है और इसके आधार पर व्यवस्था होती है कि कोई भी कंपनी अपने हिसाब से दाम नहीं बढ़ा सकती है। जरूरी दवाओं की राष्ट्रीय सूची 2015 के बाद 2022 में अपडेट होकर सामने आई है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कैंसर के इलाज में काम आने वाली चार बड़ी दवाओं को आवश्यक दवाओं की लिस्ट में शामिल किया है। बैंडामुस्टिन हाइड्रोक्लोराइड, इरीनोटेकन एचसीआई ट्राईहाईड्रेट, लोनालिडोमाइड और ल्यूप्रोलिड एसीटेट दवाओं के दाम अब कम हो सकेंगे। नई लिस्ट में संक्रमण रोकने में काम आने वाली 18 दवाओं को जोड़ा गया है। बैक्टीरिया से होने वाले संक्रमण, फंगस के संक्रमण के इलाज में काम आने वाली दवाओं के दाम अब कम हो जाएंगे।

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