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कंगाल पाकिस्तान में होगा सैन्य तख्तापलट? सेना ने बुलाई आपातकालीन कमांडर्स कॉन्फ्रेंस, कारण जानें

इस्लामाबाद: पाकिस्तान में गहराते आर्थिक संकट के बीच पाकिस्तानी सेना ने अपने शीर्ष कमांडरों के साथ एक बैठक बुलाई है। इस बैठक में देश की कंगाल अर्थव्यवस्था और अस्थिर राजनीतिक संकट के अलावा सेना के बजट में संभावित कटौती की अटकलों पर चर्चा होनी है। पाकिस्तानी सेना इस बात से नाराज है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से बेलआउठ पैकेज पाने के लिए पाकिस्तानी सरकार सैन्य बजट में कटौती की प्लानिंग कर रही है। ऐसे में आशंका है कि पाकिस्तान में सैन्य तख्तापलट हो सकता है। कई विशेषज्ञों ने भी बताया है कि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के समर्थकों और सुरक्षा बलों के बीच बढ़ता विवाद अब सैन्य नेतृत्व वाले समाधान की ओर जा रहा है। अगर ऐसा हुआ तो पाकिस्तान में चौथी बार सेना सत्ता पर काबिज होगी।

पाकिस्तान एक साथ कई मुश्किलों में घिरा

फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान हर कुछ वर्षों में आर्थिक संकट में फंसता है। लेकिन, रिपोर्ट बताती है कि इस बार का आर्थिक संकट काफी गंभीर है। पाकिस्तान कंगाली के बीच आतंकवादी हमलों और अब तक के सबसे खराब राजनीतिक संकट का सामना कर रहा है। बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा समेत कई इलाकों में आतंकवादियों की पकड़ काफी मजबूत हो गई है। पेशावर में पुलिस लाइन में हुए आत्मघाती हमले में 100 से अधिक सुरक्षाकर्मियों और उनके परिजनों की मौत हुई थी। क्वेटा और कराची में भी पुलिस प्रतिष्ठानों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है।

आतंकी हमलों में 27 फीसदी की बढ़ोत्तरी

इस्लामाबाद स्थित एक शोध संगठन पाकिस्तान इंस्टीट्यूट फॉर पीस स्टडीज (PIPS) के अनुसार, देश में 2021 की तुलना में 2022 में आतंकवादी हमलों में पहले ही 27% की वृद्धि देखी जा चुकी है। पाकिस्तान को आज़ादी मिलने के बाद के 75 वर्षों में सेना ने तीन बार सत्ता पर कब्जा किया है और चार दशकों तक सीधे देश पर शासन किया है।

पाकिस्तान पर जीडीपी का 96 फीसदी कर्ज

मौजूदा आर्थिक संकट के बीच, पाकिस्तान का बाहरी ऋण और देनदारियां लगभग 130 अरब डॉलर तक पहुंच गई हैं। यह पाकिस्तान के कुल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 95.39 प्रतिशत है। लंबे समय से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था काफी हद तक बाहरी कर्ज पर निर्भर है। औद्योगिक उत्पादन और गिरते निर्यात के बिना, कर्ज एक खतरनाक स्तर को पार कर गया है। वहीं पिछले साल आई अभूतपूर्व बाढ़ ने इसे और भी बदतर बना दिया है।

पाकिस्तान में क्यों हो सकता है तख्तापलट

कमांडर्स कॉन्फ्रेंस के दौरान पाकिस्तान के आर्थिक संकट के बीच सैन्य खर्च में कटौती पर चर्चा की जाएगी। आईएमएफ ने पाकिस्तान को कर्ज देने से पहले रक्षा बजट घटाने और सैन्य खर्च को कम करने का भी प्रस्ताव रखा है। पाकिस्तानी सेना को डर है कि अगर सरकार ने आईमएफ की शर्त मानते हुए बजट को कम कर दिया तो इससे उनकी कमाई सीधे तौर पर प्रभावित हो सकती है। यही कारण है कि पाकिस्तानी सेना मौजूदा शहबाज शरीफ सरकार से चिढ़ी हुई है। इस बीच शहबाज शरीफ की तरफ से भी सेना को मनाने के लिए काम किया जा रहा है।

इमरान खान की गिरफ्तारी न होने से भी घबराई है सेना

पाकिस्तानी विशेषज्ञों के अनुसार, 14 मार्च को इमरान खान की गिरफ्तारी न होने से पाकिस्तानी सेना के सर्वोच्च अधिकारी दहशत में हैं। इमरान खान को आतंकवाद के आरोप में गिरफ्तार किया जाना था, जिसके कारण उनके समर्थकों द्वारा हिंसक विरोध किया गया था। इमरान खान ने आरोप लगाया है कि पाकिस्तानी सरकार सेना के इशारे पर उनकी गिरफ्तारी करना चाहती है, क्योंकि वे भ्रष्टाचार रोकने की बात करते हैं।

पाकिस्तानी सेना में व्यापक भ्रष्टाचार

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में राजनेताओं और सैन्य अधिकारियों को मुफ्त भूमि और अन्य रियायतों के तौर पर 17.4 बिलियन डॉलर खर्च किया गया है। पाकिस्तानी सेना तेल आयात से लेकर रियल एस्टेट समेत कई क्षेत्रों में देश की कुल अचल संपत्ति के 10 फीसदी की मालिक है। अफगानिस्तान सुलह के लिए पूर्व अमेरिकी विशेष प्रतिनिधि के रूप में नामित राजदूत जल्माय खलीलजाद ने बताया कि कुछ देशों ने पहले ही पाकिस्तान में नियोजित निवेश को निलंबित कर दिया था। वहीं, आईएमएफ से मिलने वाले बेलआउट पैकेज पर भी बात नहीं बन सकी है।

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